- पन्ना में कृषि व इंजीनियरिंग महाविद्यालय खोलने हो चुकी है घोषणा
- मूर्तरूप लेने में पन्नावासियों को कब तक करना पड़ेगा इंतजार
अरुण सिंह,पन्ना। औद्योगिक विकास से वंचित बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना जिले में शिक्षा व पर्यटन विकास की विपुल संभावनायें मौजूद हैं, लेकिन इस दिशा में भी अभी तक कोई सार्थक पहल व प्रयास नहीं होने के चलते पन्ना की स्थिति जस की तस बनी हुई है। पन्ना के चारों तरफ वन क्षेत्र होने के कारण यहां कोई ऐसे उद्योग विकसित नहीं हो सके, जो रोजगार का जरिया बन सकें। ऐसी स्थिति में गरीबी और बेरोजगारी जैसे इस जिले की नियति बन चुकी है। पर्यटन विकास की दिशा में यहां बहुत कुछ हो सकता है, जिससे रोजगार के नये अवसरों का जहां सृजन होगा वहीं इस पिछड़े इलाके का कायाकल्प हो सकता है। मालुम हो कि यहां पर ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व के जहां अनेकों भव्य मंदिर हैं, वहीं अनूठे प्राकृतिक मनोरम स्थलों की भरमार है। इनका समुचित विकास कराया जाकर यदि पर्यटन से जोड़ा जाये तो यह पूरा इलाका देशी व विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन सकता है।
उल्लेखनीय है कि प्रकृति ने पन्ना जिले को अनगिनत सौगातों से नवाजा है, लेकिन अभी तक शासन, प्रशासन व इस क्षेत्र से चुे जाने वाले जनप्रतिनिधियों ने प्रकृति प्रदत्त इन सौगातों को कोई अहमियत नहीं दी। शान्ति का टापू कहे जाने वाले पन्ना शहर के आस-पास की आबोहवा और वातावरण शिक्षा के लिये बेहद अनुकूल है। लेकिन दुर्भाग्य से अभी तक यहां एक भी तकनीकी शिक्षण संस्थान नहीं खुल सका है। जबकि पन्ना को शिक्षा का हब बनाये जाने की पिछले एक दशक से निरंतर माँग की जाती रही है, लेकिन नेताओं की रूचि इसमें कम तथा अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति में ज्यादा रही है। यही वजह है कि सब कुछ रहते हुये भी पन्ना को अभी तक कुछ भी हासिल नहीं हो सका। शिक्षण संस्थाओं के अभाव में इस जिले के होनहार और प्रतिभाशाली बच्चे आॢथक कमजोरी के चलते उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पन्ना जिले के विकास को दृष्टिगत रखते हुये अनेकों घोषणायें की थीं। इन घोषणाओं में इंजीनियरिंग व एग्रीकल्चर कॉलिज पन्ना में खोले जाने की घोषणा प्रमुख हैं। घोषणा के मुताबिक पन्ना के महिला पॉलीटेक्निक का उन्नयन कर उसे इंजीनियरिंग कॉलिज का दर्जा देकर उसे शीघ्र शुरू किये जाने की बात की गई थी। वहीं एग्रीकल्चर कॉलिज के लिये तो भूमि आबंटन की प्रक्रिया भी पूरी की जा चुकी है। इसके लिये जिला मुख्यालय से लगे पटवारी हल्का क्र. 13 में 30 हेक्टेयर भूमि आबंटित की गई है। इस नवीन कृषि महाविद्यालय को कैबिनेट की मंजूरी भी मिल चुकी है तथा बजट भी स्वीकृत हो चुका है। लेकिन अभी तक कृषि महाविद्यालय के निर्माण हेतु जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय जबलपुर को बजट प्राप्त नहीं हुआ। इस बीच प्रदेश में विधानसभा चुनाव शुरू हो गये और सरकार भी बदल गई। ऐसी स्थिति में पन्ना जिले के लिये स्वीकृत इन दो उच्च शिक्षा संस्थानों के लिये नये सिरे से पहल व प्रयास किया जाना जरूरी हो गया है ताकि ये मूर्तरूप ले सकें।
पन्ना विधायक से लोगों को है उम्मीद
पन्ना विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह से लोगों को ढेरों उम्मीदें हैं। इस जिले के लोग इनकी क्षमताओं से वाकिफ भी हैं, क्योंकि पवई क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुये आपके द्वारा वहां विकास के अनेकों कार्य कराये गये हैं। पवई में सड़क सुविधाओं के विस्तार सहित सिंचाई सुविधा व शिक्षा के बेहतरी के लिये आपके द्वारा सराहनीय कार्य किया गया तथा प्रदेश शासन में पर्यटन मंत्री के रूप में पर्यटन के विकास हेतु भी सार्थक कदम उठाये थे। इस बार इन्हें पन्ना से प्रत्याशी बनाया गया और इन्होंने यहां से भी रिकार्ड मतों से जीत दर्ज की है। ऐसी स्थिति में पन्ना विधानसभा क्षेत्र के लोगों की अपने विधायक से अपेक्षायें भी बढ़ी हैं। पन्नावासियों को विश्वास है कि प्रदेश में सरकार भले ही कांग्रेस की है लेकिन विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंहअपनी क्षमताओं का उपयोग करते हुये तालमेल बनाकर पन्ना को इंजीनियरिंग व एग्रीकल्चर कॉलिज की सौगात दिलाने में जरूर कामयाब होंगे।पर्यटन विकास के लिये भी की है पहल
उच्च शिक्षण संस्थानों की स्थापना के साथ ही पन्ना में पर्यटन विकास के लिये भी सम्मिलित रूप से सक्रिय प्रयासों की जरूरत है। इस दिशा में पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने रूचि दिखाई है। मिली जानकारी के अनुसार पन्ना विधानसभा क्षेत्र में राम वन पथ गमन क्षेत्रों को पर्यटन के माध्यम से विकसित किये जाने की योजना है। इन चिह्नित क्षेत्रों में प्रदेश शासन ने पर्यटन विकास की क्या योजना बनाई है, इस संबंध में पन्ना विधायक ने विधानसभा में सवाल लगाकर जानकारी चाही है। मालुम हो कि पन्ना में सारंगधर व बृहस्पति कुण्ड जैसे अनेकों धार्मिक महत्व वाले प्राकृतिक मनोरम स्थल हैं, जो राम वन पथ गमन में आते हैं। यदि इनका समुचित विकास हो जाता है तो निश्चित ही इसका लाभ पन्ना को मिलेगा।00000
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