प्रेम और ममता से भरी गाय के आंचल में दुबका बैठा तेंदुआ। |
प्रेम को परिभाषित नहीं किया जा सकता, हाँ अनुभव किया जा सकता है। प्रेम से भरे हृदय में सब कुछ समाहित हो जाता है। वहां अपना व पराये का भेद भी मिट जाता है। इसीलिए तो प्रेम को आकाश की तरह विराट यहाँ तक कि परमात्मा कहा गया है। प्रेम एक ऐसा रहस्य लोक है, जहाँ डूबने पर जो अलौकिक अनुभूति होती है उसे व्यक्त नहीं किया जा सकता। संत कबीर ने शायद इसी अनुभूति को ही 'गूंगे केरी सरकरा' कहा है। हम यहाँ एक ऐसे अलौकिक प्रेम सम्बन्ध का जिक्र कर रहे हैं जिनके बीच प्रेम और वात्सल्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसीलिए तो प्रेम को बेबूझ पहेली कहते है।
यह अनूठी प्रेम कहानी बड़ोदरा के एक गांव की है। गांव में लाक डाउन लगने के बाद से ही हर रोज रात में ये तेंदुआ इस गाय से मिलने आता है और घंटों ऐसे ही बैठा रहता है मानो वो किसी अपने से मिल रहा हो। रोज - रोज कुछ देर के लिए गांव के कुत्तों का डरकर भौंकने और रात भर के लिए गांव के बाहर भाग जाने से गांव वालों ने सीसीटीवी कैमरा लगवाया तो ये नजारा दिखा। चूंकि तेंदुआ गांव के किसी जानवर को नुक्सान नहीं पहुंचाता है और दो-तीन घंटे गाय के पास बैठने के बाद चला जाता है इसलिए गांव वालों ने इस बात का पता लगाना शुरू कर दिया कि गाय और तेंदुए की इस अजीब प्रेम के पीछे क्या रहस्य है।
इस रहस्य से पर्दा उठाया गाय के पुराने मालिक ने
उसने बताया कि 2010 में जब ये तेंदुआ छोटा था और इस गाय ने पहले बछिया को जन्म दिया था तब इस तेंदुए की मां को शिकारियों ने मार दिया था। इसलिए वन विभाग वाले इस तेंदुए को उसकी गाय के पास लाते थे जहां वो उनके सामने ही दूध निकालकर तेंदुए को पिलाता था और इतने समय में तेंदुआ को गाय खुब दुलारती थी। फिर जब तेंदुआ बड़ा हो गया तो इसने दूध पीना बंद कर दिया और ये गाय भी उसने बेच दी।
अभी भी तेदुए को लगता है कि ये गाय उसकी मां है और ये बहुत दिनों से इसको खोज रहा था , अब जाकर ये उसको मिली है तो इसीलिए ये उससे मिलने चला आता है। गाय और तेंदुए के बीच उपजे इस अलौकिक प्रेम सम्बन्ध की कहानी व चित्र मैंने प्रवीन गोस्वामी की फेसबुक वॉल से साभार ली है।
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