Saturday, January 2, 2021

पन्ना स्थित एशिया की इकलौती एनएमडीसी हीरा खदान बन्द

  •   परियोजना के संचालन हेतु 31 दिसंबर 20 तक के लिए थी अनुमति 
  •  खदान में उत्खनन कार्य पूरी तरह बंद करने पीटीआर से जारी हुआ पत्र 

पन्ना जिले की मझगंवा स्थित एनएमडीसी हीरा खदान का प्रवेश द्वार।    

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। बेशकीमती हीरो के लिए विख्यात मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में मझगवां स्थित एनएनडीसी हीरा खनन परियोजना में हीरो का उत्पादन नए वर्ष के पहले दिन से बन्द हो गया है। पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने परियोजना के महाप्रबंधक को पत्र जारी कर उत्खनन कार्य 1 जनवरी 2021 से पूर्णरूपेण बंद करने के निर्देश दिए थे, जिसके परिपालन में खदान बंद कर दी गई है। मालुम हो कि एनएमडीसी हीरा खदान पन्ना टाइगर रिजर्व के गंगऊ  अभ्यारण्य अंतर्गत वन भूमि रकबा 74.018 हेक्टेयर में संचालित है। जिसके संचालन की अवधि 31-12-2020 को समाप्त हो गई है। क्षेत्र संचालक का पत्र मिलने के बाद से ही परियोजना में हड़कंप मचा हुआ है। 

 उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित एशिया महाद्वीप की इकलौती मैकेनाइज्ड एनएमडीसी खदान में वर्ष 1968 से लेकर अब तक लगभग 13 लाख कैरेट हीरों का उत्पादन किया जा चुका है। इस खदान में अभी भी 8.5 लाख कैरेट हीरों का उत्पादन होना शेष है। ऐसी स्थिति में खदान संचालन की अनुमति यदि नहीं मिलती तो अरबों रुपए कीमत के हीरे जमीन के भीतर ही दफन रह जाएंगे। मामले के संबंध में परियोजना के महाप्रबंधक एस.के. जैन से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि हीरा खनन परियोजना को आगे संचालित रखने के लिए आवश्यक अनुमति की अवधि समाप्त हो जाने के कारण 1 जनवरी 21 से उत्खनन बंद कर दिया गया है।  आपने बताया कि अनुमति के लिए आवेदन राज्य वन्य प्राणी बोर्ड तथा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में लंबित है, जिस पर जल्दी ही निर्णय होने की उम्मीद है। कोरोना महामारी के कारण स्वीकृतियां मिलने में विलम्ब हुआ है। श्री जैन ने बताया कि वन्य जीव संरक्षण विभाग सहित पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति मिलते ही उत्पादन यथावत होने लगेगा। 


परियोजना के बंद होने से यहां सैकड़ों कर्मचारी जहां चिंतित हैं, वहीं इस परियोजना के आसपास स्थित ग्रामों के निवासी जिन्हें परियोजना से शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल सहित अन्य बुनियादी सुविधाएं मिलती हैं, वे भी परेशान हैं। गौरतलब है कि जंगल व खनिज संपदा से समृद्ध पन्ना जिले में ऐसी कोई बड़ी परियोजना व उद्योग स्थापित नहीं हुए जिनसे इस पिछड़े जिले के विकास को गति मिलती। यहां पर सिर्फ एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना है, जिससे पन्ना की पहचान है।  इस परियोजना के कारण ही पन्ना शहर को देश व  दुनिया में डायमंड सिटी के रूप में जाना जाता है। यदि परियोजना को पर्यावरण महकमे से उत्खनन की अनुमति नहीं मिली और परियोजना स्थाई रूप से बंद हो जाती है तो हीरों की रायल्टी के रूप में शासन को प्रतिवर्ष मिलने वाले करोड़ों रुपए के राजस्व की जहां हानि होगी, वहीं डायमंड सिटी के रूप में पन्ना की जो पहचान है उस पर भी ग्रहण लग जाएगा। 

 इस्पात राज्य मंत्री को कर्मचारियों ने सौंपा ज्ञापन 


कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारी केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को ज्ञापन सौंपते हुये। 

हीरा खनन परियोजना पर मंडरा रहे संकट के बादलों के बीच नए साल के पहले दिन केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते जब एनएमडीसी परियोजना मझगवां पहुंचे तो कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों व कर्मचारियों ने श्री कुलस्ते को ज्ञापन सौंपा। कर्मचारियों ने मंत्री जी को परियोजना के संचालन में उत्पन्न संकट की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि खनिज संपदा प्रकृति में विशेष परिस्थितियों में निर्मित होती है, जिसका स्थानांतरण असंभव होता है। खनन कार्य खनिज संपदा के प्राप्ति स्थल पर ही करना होता है। कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों व कर्मचारियों ने श्री कुलस्ते से मांग की है कि परियोजना के संचालन हेतु राज्य वन्य प्राणी बोर्ड व पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृति दिलाई जाय ताकि परियोजना का संचालन निर्विघ्न तरीके से हो सके।  ज्ञातव्य हो कि हीरा खनन परियोजना का प्रारंभ सन 1958 में हुआ था, जबकि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में लागू हुआ है। बीते 5 वर्षों में परियोजना द्वारा नैगम सामाजिक दायित्व के तहत 1037. 56 लाख रुपये व्यय किए गए हैं। परियोजना बंद होने की स्थिति में पन्ना जिले के लोग मिलने वाले इस लाभ से वंचित हो जाएंगे।

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