Saturday, July 9, 2022

हाथी रामबहादुर की कहानी, जिसने अपने ही महावत व एक रेंजर की ली है जान !

  • ढाई दशक से भी अधिक समय तक जिस हाथी का उसके महावत से निकट का दोस्ताना रिश्ता रहा हो, उसे वह यदि अचानक मार डाले तो हर किसी के जेहन में सवाल उठता है कि आखिर हाथी के ऐसे व्यवहार की वजह क्या हो सकती है ? मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में 4 जुलाई को सुबह घटी इस घटना के बाद से यहां के महावत डरे और सहमे हुए हैं। हिंसक हो चुके इस हाथी को ट्रेंकुलाइज करके बेडियों और मोटी जंजीरों से बांधकर कैद किया गया है।


  
जंगल में गस्त के दौरान बाघ परिवार के पास से गुजरता हाथी रामबहादुर, ऊपर बैठे एम. पी. ताम्रकार। (फ़ाइल फोटो)   

                      

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना (मध्यप्रदेश)। बाघों के लिए प्रसिद्ध मध्य प्रदेश का पन्ना टाइगर रिजर्व इन दिनों बागी हो चुके एक 55 वर्षीय नर हाथी को लेकर चर्चा में हैं। इस हाथी ने 4 जुलाई को सुबह अपने ही महावत बुधराम रोटिया (57 वर्ष) की दांत से दबा कर जान ले ली है। घटना के बाद से पन्ना टाइगर रिजर्व में मातम और भय का माहौल है। 2 वर्ष पूर्व इस हाथी ने अगस्त 2020 में रेंज ऑफिसर बी.एस. भगत को भी इसी तरह दांत से दबा कर मार डाला था। बीते 2 सालों से इस हाथी को अलग रखा जा रहा था। जंगल की निगरानी व अन्य दूसरे कार्यों में भी इसका उपयोग नहीं किया जाता था। घटना दिनांक को सुबह महावत बुधराम जब जंगल में हाथी रामबहादुर को ढूंढ रहा था, उसी समय हाथी ने हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया।

छत्तीसगढ़ के जंगल में पले बढ़े इस हाथी को वर्ष 1993 में पकड़ा गया था। उस समय हाथी की उम्र 25- 26 वर्ष के लगभग थी। महावत बुधराम तभी से इस हाथी के साथ हमेशा रहा है। पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना की चमत्कारिक सफलता के सबसे अहम किरदार रहे पूर्व क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति का यह सबसे चहेता हाथी रहा है। श्री मूर्ति बताते हैं कि वर्ष 1993 में इस हाथी को जसपुर (छत्तीसगढ़) के जंगल से पकड़ा गया था। आपने बताया कि उस समय वे वहां डीएफओ के पद पर थे, फलस्वरुप हाथी को पकड़े जाने के अभियान में शामिल थे। कर्नाटक से आए रेस्क्यू दल की मदद से हाथी रामबहादुर तथा उसके भाई को पकड़ा गया था। उसी समय से महावत बुधराम हाथी के साथ रहा है।

हाथी रामबहादुर सितंबर 2002 में पन्ना आया


हाथी रामबहादुर को ट्रैंक्युलाइज कर उसे मोटी जंजीर से बांधे जाते समय की तस्वीर। 

क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि सितंबर 2002 में संजय टाइगर रिजर्व से नर हाथी रामबहादुर को पन्ना लाया गया था। हाथी के साथ ही महावत बुधराम भी पन्ना आया और तभी से वह निरंतर इस हाथी के सानिध्य में रहकर उसकी देखरेख करता रहा है। क्षेत्र संचालक श्री शर्मा ने बताया कि मृतक महावत बुधराम के दो बेटे हैं और दोनों ही बेटे पन्ना टाइगर रिजर्व के हाथियों की देखरेख चारा कटर के रूप में कर रहे हैं। आपने बताया कि चारा कटर अस्थाई कर्मी हैं, जो महावत के सहयोगी होते हैं तथा हाथियों की देखरेख व उनकी सेवा करते हैं। पूरी जिंदगी जिस हाथी के साथ रहकर उसकी सेवा में गुजारी, उसी हाथी ने महावत बुधराम को जब मौत के घाट उतार दिया तो इस घटना ने अन्य दूसरे महावतों व चारा कटरों को भी दहला दिया है।

पन्ना टाइगर रिजर्व के महावतों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि रेंजर बी.एस. भगत को मारने के बाद से हाथी राम बहादुर का स्वभाव बेहद आक्रमक हो गया था। कोई महावत व चारा कटर बीते 2 साल से इस हाथी के पास नहीं गया। इंसान को देख कर ही डेढ़-दो सौ मीटर दूर से रामबहादुर मारने के लिए दौड़ पड़ता है। यही वजह है कि कोई इसके आसपास नहीं फटकता। सिर्फ बुधराम ही था जिसका कमांड रामबहादुर मानता रहा है, लेकिन अब बुधराम की मौत के बाद से कोई महावत इस हाथी पर चढऩे को तैयार नहीं है।

पन्ना के पुनरुद्धार में हाथी का रहा है अहम योगदान


 रामबहादुर का दांत पकड़कर खड़े आर. श्रीनिवास मूर्ति, ऊपर महावत बुधराम।

स्वर्गीय बुधराम रोटिया व हाथी रामबहादुर का पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इनके बिना कामयाबी संभव नहीं थी, पूर्व क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व श्री मूर्ति ने बताया। वे कहते हैं कि राम बहादुर इकलौता ऐसा हाथी है जो मस्त में रहते हुए भी काम करता है। आमतौर पर मस्त के दौरान हाथियों से काम नहीं लेते, उन्हें बांधकर रखते हैं। हाथी रामबहादुर के दांत को पकड़े अपनी एक तस्वीर साझा करते हुए श्री मूर्ति बताते हैं कि यह तस्वीर प्रसिद्ध हाथी विशेषज्ञ व सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डब्लूआईआई डॉ. जॉन सिंह ने ली थी।

तस्वीर में आंख के ऊपर ग्रंथि से तरल पदार्थ निकलता नजर आ रहा है, जो यह बताता है कि हाथी मस्त में है। ऐसे समय भी महावत बुधराम एक साधारण छड़ी के सहारे रामबहादुर को नियंत्रित रखा और मुझे उसके दांत (टस्क) पकड़कर खड़े होने में कोई दिक्कत नहीं हुई। उस समय हाथी विशेषज्ञ डॉ जॉन सिंह की प्रतिक्रिया थी कि हाथी रामबहादुर एक अजूबा है। जिससे मस्त के दौरान भी काम लिया जाता है और वह महावत की सुनता भी है।

बाघों को ट्रेंकुलाइज करने में हुआ सर्वाधिक उपयोग


पन्ना टाइगर रिजर्व में हाथियों के कुनबे में अधिकांश बच्चे रामबहादुर के ही हैं। विशाल डीलडोल वाले इस हाथी का उपयोग रेस्क्यू व बाघों को ट्रेंकुलाइज करने में सबसे ज्यादा हुआ है। श्री मूर्ति बताते हैं कि बाघ पुनर्स्थापना योजना के दौरान मैंने हमेशा इसी हाथी का उपयोग किया और इसने कभी भरोसा नहीं तोड़ा। बाघों को ट्रेंकुलाइज करने में 50 से भी अधिक बार इस हाथी का उपयोग हुआ है। कई बार तो वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता हाथी के ऊपर खड़े होकर टाइगर को डॉट लगाई और रामबहादुर उस दौरान सांस रोककर चट्टान की तरह खड़ा रहा, ताकि काम में बाधा न पहुंचे।

मस्त के दौरान भी काम करने वाला यह हाथी अपने ही महावत पर हमला कर उसे क्यों मारा ? इस सवाल के जवाब में श्री मूर्ति बताते हैं कि वर्ष 2018 में जंगल की गश्त के दौरान विद्युत तार की चपेट में आने से महावत बुधराम का आधा शरीर पैरालाइज हो गया था। शारीरिक अक्षमता के कारण शायद महावत और हाथी के बीच संवाद कमजोर हुआ और ऐसे हालात बन गए। श्री मूर्ति कहते हैं कि हाथी का प्रबंधन आसान काम नहीं है, उसके साथ बेहतर तालमेल व प्रेम पूर्ण बर्ताव जरूरी होता है। गुस्सा तो सबमें होता है फिर हाथी तो एक जानवर है। इसको अलग रखने से मद और बढ़ गया होगा।

मस्त के दौरान हो जाते हैं आक्रामक

मस्त के दौरान हाथी आमतौर पर ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं, इस समय वे मारने का बहाना ढूंढते हैं। हाथी मस्त में है इस बात का पता कैसे लगता है ? इस सवाल के जवाब में वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता बताते हैं कि हाथी में आंख के ऊपर बगल में "टेंपोरल ग्लैंड" होती है जिसमें सूजन आती है जो पेनफुल होती है। जितना पेन होगा हाथी उतना ही आक्रामक होगा। डॉक्टर गुप्ता बताते हैं कि मस्त नार्मली 3 माह का होता है, जिसे तीन भागों में बांटते हैं। प्री मस्त, मिड मस्त व पोस्ट मस्त। हाथी सबसे ज्यादा आक्रामक मिड मस्त में होता है, क्योंकि सबसे ज्यादा सूजन व डिस्चार्ज इस समय होता है। डिस्चार्ज में एक तरल पदार्थ निकलता है, जिसमें थेरोमोन होता है जो फीमेल को अट्रैक्ट करता है। इसी दौरान टेस्टस्ट्रॉन हार्मोन का निर्माण सबसे अधिक होता है। यह हार्मोन मेटिंग के काम आता है।

उपयोग ना होने से आक्रामकता और बढ़ी

पन्ना टाइगर रिजर्व में 12 वर्षों तक पदस्थ रहने के बाद सहायक संचालक के पद से सेवानिवृत्त हुए एम.पी. ताम्रकार ने चर्चा करते हुए बताया कि हाथी रामबहादुर का बीते 2 वर्ष के दौरान उपयोग ना के बराबर हुआ। जिससे उसका पुराना जंगली स्वभाव वापस लौट आया और वह ज्यादा आक्रामक हो गया।

ताम्रकार बताते हैं कि पन्ना बाघ पुनर्स्थापना के दौरान हाथियों का भरपूर उपयोग गस्त, बाघों की सर्चिंग व रेडियो कॉलर पहनाने आदि में होता रहा है।रिजर्व वन क्षेत्र के हाथी अर्ध वाइल्ड होते हैं, इनका जितना उपयोग हो उतना वे नियंत्रण में रहते हैं। उपयोग ना होने पर मनमर्जी करने लगते हैं। रामबहादुर जब जंगल में था पकड़ा नहीं गया था, उस समय इसने कई लोगों को मारा था। हाथी इस धरती का सबसे बड़ा वन्य प्राणी है जिसके जीन में आक्रामकता होती है।

आपने बताया कि आबादी क्षेत्र में रहने वाले पालतू हाथी व रिजर्व वन क्षेत्र के हांथियों में बहुत फर्क होता है। पालतू हाथी मानव आबादी में होते हैं, इसलिए उनकी आक्रामकता खत्म हो जाती है। पालतू हाथी टाइगर के सामने नहीं जा सकता, देखकर ही भाग खड़ा होगा। रिजर्व क्षेत्र के हाथी पब्लिक टच में नहीं रहते इसलिए इनके स्वभाव में बुनियादी अंतर रहता है। चूंकि हाथी की याददाश्त बहुत ज्यादा होती है, इसलिए वे पुरानी किसी भी घटना को याद करके मौका मिलने पर अपनी खुन्नस (गुस्सा) निकालते हैं। महावत बुधराम के साथ हो सकता है, ऐसा ही कुछ हुआ हो।

अब कैद में मोटी जंजीरों से बंधा है रामबहादुर

 

लोहे की मोटी जंजीर से बंधने के बाद शांत खड़ा हाथी रामबहादुर। 

पन्ना टाइगर रिजर्व के बुधरौंड जंगल में 4 जुलाई तक खुला घूमने वाला हाथी रामबहादुर अब कैद में है। बेहद खतरनाक हो चुके इस हाथी को हिनौता हाथी कैंप में मोटी जंजीरों से बांधकर सघन निगरानी में रखा गया है। क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि 4 जुलाई को सुबह महावत बुधराम को मारने के बाद यह हाथी फरार हो गया था। घटना वाली रात टीम पूरे समय हाथी को ट्रैक करती रही, ताकि यह आबादी क्षेत्र में न जा पाए। हालात यह थे कि महावत इसके आसपास जाने का प्रयास करते तो वह खदेड़ लेता था। 5 जुलाई को सुबह यह अपने आप हिनौता हाथी कैंप की तरफ आ गया। यहां इसे सुबह लगभग 9:30 बजे ट्रेंकुलाइज किया गया और 4 घंटे की मशक्कत के बाद इसे बेडय़िां पहनाकर मोटी जंजीर से बांधा गया है। अभी कुछ दिन इसे इसी तरह रखा जाएगा। पूरी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी गई है, निर्देश प्राप्त होने पर आगे की कार्यवाही की जाएगी।

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