Wednesday, August 3, 2022

वनोपज से समृद्ध पन्ना व छतरपुर के जंगलों में पड़ोरा की बहार

  •  बाजार में जंगली पड़ोरा 150 से 200 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा
  •  इस मौसम में जंगली पड़ोरा आदिवासियों की अतिरिक्त आय का साधन

पन्ना के बाजार में जंगली पड़ोरा 150 से 200 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा 

।। अरुण सिंह ।। 

पन्ना । बुन्देलखण्ड क्षेत्र में जंगली पड़ौरा की सब्जी इस सीजन में बड़े चाव के साथ खाई जाती है। औषधीय जड़ी बूटियों और वनोपज से समृद्ध पन्ना व छतरपुर जिले के जंगलों में इन दिनों पड़ोरा की बहार है। अत्यधिक पौष्टिक व आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर यह जंगली सब्जी यहाँ के जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगती है। इन दिनों पड़ोरा की लतर में फल आये हुये हैं जो बामुश्किल एक पखवाड़ा तक ही मिलेंगे। वन क्षेत्र के आसपास रहने वाले आदिवासी जंगल से पड़ोरा तोड़कर न सिर्फ खाते हैं अपितु बाजार में बेंच भी देते हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय हो जाती है। पन्ना के बाजार में जंगली पड़ोरा 150 से 200 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है।

शहर के गाँधी चौक में पड़ौरा का ठेला लगाए इरसाद मुहम्मद ने बताया कि यह इसी सीजन में मिलता है। छतरपुर निवासी इरसाद ने बताया कि वह छतरपुर से 30 किलो पड़ौरा आज पन्ना बेचने के लिए लाया है जो दो-तीन घण्टे में बिक जायेगा जिससे उसे कम से कम 6-7 सौ रुपये की आय होगी। उसने बताया कि जंगल के आसपास रहने वाले आदिवासी पड़ौरा तोड़कर लाते हैं जिसे हम 150 रुपये की दर से खरीद लेते हैं और बाजार में ठेला लगाकर 200 रुपये प्रति किलो की दर से बेचते हैं। चूँकि पड़ौरा सिर्फ 15 दिन इसी सीजन में मिलता है, इसलिए मंहगा होने के बावजूद हर कोई इसका स्वाद लेना चाहता है। यही वजह है कि ठेला लगाने के कुछ घण्टे में ही पूरा पड़ौरा बिक जाता है। 

गौरतलब है कि पड़ोरा एक बहुवर्षीय कद्दूवर्गीय फसल है, जो पौष्टिक गुणों से भरपूर होने के साथ-साथ विभिन्न बीमारियों की रोकथाम में सहायक होती है। इसकी खेती कर किसान समृद्ध बन सकते हैं। उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों से इसकी खेती करने की अपील की गई है।  उद्यान विभाग के सहायक संचालक रहे एम.के. भट्ट ने बताया कि पन्ना के जंगली क्षेत्रों में पड़ोरा बिना उगाये उग जाता हैं, इसलिए आदिवासियों द्वारा पन्ना के जंगलों से तुड़ाई कर बाजार में इन दिनों 150 से 200 रुपये प्रति किलो बेचा जा रहा है। जंगल क्षेत्रों के आस-पास के लोग इसको सब्जी के रूप में बहुतायत से उपयोग करते हैं। 


पड़ोरा के बीजों की बुवाई का समय जून-जुलाई है। पड़ोरा के बीज को एक बार बोने के बाद इसके मादा पौधे से लगभग 8 से 10 वर्षो तक फल प्राप्त होते रहते हैं। इस पर कीड़ों व बीमारियों का प्रकोप बहुत कम होता है। परन्तु फल मक्खी पड़ोरा के फलों को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। श्री भट्ट ने बताया कि पड़ोरा का प्रयोग सब्जी के रूप में किया जाता है जो बहुत स्वादिष्ट होती है तथा मानव संतुलित आहार का एक महत्वपूर्ण भाग है। आपने बताया कि पड़ोरा की सब्जी पौष्टिक गुणों से भरपूर होती है। पड़ोरा के फलों का उपयोग अचार बनाने के लिए भी किया जाता है। यह कफ, खांसी, अरूचि, वात, पित्तनाशक और हृदय में होने वाले दर्द से राहत दिलाता है। पड़ोरा के फलों का सेवन मधुमेह रोगी के शर्करा नियंत्रण में भी बहुत उपयोगी होता है।

पड़ोरा को कहा जाता है सबसे ताकतवर सब्जी

मौजूदा दौर में जंक फूड का इतना क्रेज बढ़ चुका है कि लोग अपने शरीर को जरूरी ताकत देने वाली सब्जी, दाल का सेवन कम ही करते हैं। यह बहुत कम लोग जानते हैं कि कुछ सबज्यिां ऐसी होती हैं, जिन्हें कुछ दिन खाने पर ही इसका फायदा मिल जाता है. ऐसी ही एक सब्जी पड़ोरा है। ऐसा कहा जाता है कि यह दुनिया की सबसे ताकतवर सब्जी है। इसे औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। इस सब्जी में इतनी ताकत होती है कि महज कुछ दिन के सेवन से ही आपका शरीर तंदुरुस्त बन जाता है। पड़ोरा को कंटोला,ककोड़े और मीठा करेला के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में भी इसे सबसे ताकतवर सब्जी के रूप में माना गया है। यह सब्जी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ प्रोटीन से भरपूर होती है, जिसे खाने से शरीर ताकतवर बनता है। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर सब्जी है. जो शरीर को साफ रखने में भी काफी सहायक है। अगर आप इसकी सब्जी नहीं खाना चाहते तो अचार बनाकर भी सेवन कर सकते हैं। आयुर्वेद में कई रोगों के इलाज के लिए इसे औषधि के रूप में प्रयोग करते हैं, यह पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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