- क्षेत्रीय विधायक ने श्यामगिरि वुमेन पोल्ट्री प्रोड्यूसर कम्पनी कल्दा का किया शुभारंभ
- प्रथम चरण में 100 महिलाओं के साथ मुर्गीपालन से आजीविका की गतिविधि शुरू की गई
पन्ना। जिला प्रशासन द्वारा आदिवासी परिवार की महिलाओं को मुर्गीपालन गतिविधि से जोड़कर आजीविका का अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कल्दा पठार क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में मंगलवार को प्रथम चरण में 100 महिलाओं के साथ मुर्गीपालन से आजीविका की गतिविधि शुरू की गई। क्षेत्रीय विधायक प्रहलाद लोधी ने ग्राम गुर्जी में श्यामगिरि वुमेन प्रोड्यूसर कंपनी कल्दा का शुभारंभ किया और हितग्राही परिवार की महिलाओं से चर्चा की।
उन्होंने जिला प्रशासन की इस पहल को अभिनव और सराहनीय बताते हुए कहा कि अब महुआ एवं लकड़ी एकत्र कर आजीविका के साधन जुटाकर जीवनयापन करने वाली महिलाओं को स्थानीय स्तर पर ही मुर्गीपालन की गतिविधि से आजीविका का अवसर उपलब्ध हो सकेगा। इससे महिलाओं की आमदनी भी बढ़ेगी। आगामी 3 वर्ष में 500 आदिवासी परिवार की महिलाओं को आजीविका से जोड़े जाने का लक्ष्य है। शुभारंभ कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष मीना राजे सहित जनपद पंचायत अध्यक्ष मोहिनी मिश्रा, जिला पंचायत सीईओ संघ प्रिय, अतिरिक्त सीईओ अशोक चतुर्वेदी, परियोजना अधिकारी संजय सिंह परिहार भी उपस्थित थे।
इस योजना के फलीभूत होने में तत्कालीन कलेक्टर संजय कुमार मिश्र सहित वर्तमान कलेक्टर हरजिंदर सिंह, विधायक प्रह्लाद लोधी, जिला पंचायत अध्यक्ष मीना राजे परमार, जिला पंचायत, आजीविका मिशन, जनपद पंचायत पवई, शाहनगर और संबंधित ग्राम पंचायत की टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। साथ ही प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला कल्दा के प्रधानाध्यापक, एमपीडब्ल्यू पीसीएल संस्था के सीईओ डॉ. हरेकृष्ण डेका, मैनेजर दीपक तुशीर, धनीराम, परियोजना सहायक रमेश वर्मा का भी अभूतपूर्व सहयोग रहा।
जिला पंचायत सीईओ संघ प्रिय ने बताया कि एमपीडब्ल्यू पीसीएल संस्था और आजीविका मिशन की टीम द्वारा कल्दा पठार क्षेत्र के पवई एवं शाहनगर जनपद अंतर्गत कल्दा, घुटेही, सर्रा, मैन्हा ग्राम पंचायतों के गुर्जी, महुआडोल, बौलिया, सर्रा व टिकुलपोंड़ी ग्रामों में आजीविका मिशन से जुड़ी अत्यंत गरीब आदिवासी महिलाओं को गतिविधि शुरू करने के लिए चिन्हित किया गया था तथा सभी हितग्राहियों के साथ बैठक कर आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया। सभी हितग्राहियों को कटनी जिले के ढ़ीमरखेड़ा में 7 दिवस का प्रशिक्षण भी दिया गया है।
12 करोड़ 40 लाख रूपए में तैयार होगा मुर्गी शेड
मनरेगा योजना से ग्राम एवं जनपद पंचायत की टीम द्वारा 500 हितग्राहियों के लिए 12 करोड़ 40 लाख रूपए लागत से मुर्गी शेड बनवाए जा रहे हैं। प्रति हितग्राही शेड की लागत 2 लाख 48 हजार रूपए निर्धारित है। सभी ग्राम पंचायतों की टीम द्वारा समय सीमा में शेड का निर्माण किया गया है। प्रथम चरण में 2 करोड़ 48 लाख रूपए की राशि से 100 मुर्गी शेड तैयार कर 30 जनवरी से गतिविधि प्रारंभ कर दी गई है। इसके अलावा जिला खनिज प्रतिष्ठान मद की राशि से भी प्रति हितग्राही को 30 हजार रूपए के मान से 100 हितग्राहियों के लिए 30 लाख रूपए की राशि गतिविधियों के लिए प्रदान की गई है।
संस्था उपलब्ध कराएगी चूजे, विक्रय भी करेगी
आजीविका गतिविधि के लिए प्रत्येक मुर्गी शेड में लगभग 600 चूजे रखे जाएंगे। एमपीडब्ल्यू पीसीएल संस्था द्वारा चूजे प्रदान किए जाएंगे और 35 दिवस बाद विक्रय के लिए ले जाया जाएगा। मुर्गी शेड की आदिवासी महिला द्वारा 35 दिनों की अवधि में प्रत्येक दिन मुर्गी को तीन बार दाना पानी खिलाने सहित साफ-सफाई करेगी। खरीदी, बिक्री और दाना प्रदान करने की जिम्मेदारी संस्था की होगी। संपूर्ण वर्ष में प्रत्येक शेड में 6 से 7 चक्र में चूजे रखे जाकर गतिविधि की जाएगी। प्रत्येक चक्र में मुर्गी के वजन अनुसार एक महिला को 5 से 8 हजार रूपए की अतिरिक्त आय होगी। इस प्रकार वार्षिक 50 से 70 हजार रूपए तक की अतिरिक्त आमदनी हो सकेगी। महिला को केवल वर्ष में लगभग 250 दिन 2 से 3 घण्टे मुर्गी शेड में मुर्गी को दाना पानी और साफ-सफाई के लिए समय देना होगा।
उल्लेखनीय है कि जिले में लगभग 16 प्रतिशत आदिवासी समुदाय की जनसंख्या है। इनकी मुख्य आबादी कल्दा पठार क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में निवासरत है। क्षेत्र के आदिवासी परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने और मुख्यतः जंगल उत्पादों से आजीविका के साधन जुटाकर जीवन यापन करने के कारण तथा महिलाओं की सुरक्षा के गंभीर खतरे की संभावना के कारण जिला प्रशासन द्वारा वर्ष 2022-23 में आदिवासी परिवार की महिलाओं को मुर्गी पालन गतिविधि शुरू कर आजीविका से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इसके लिए एमपीडब्ल्यू पीसीएल संस्था से अनुबंध कर सर्वे कराया गया।
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