- अपराधमुक्त जीवन बनाने की ब्रम्हाकुमारी सीता बहन ने दी शिक्षा
कैदी भाइयों को भाई दूज एवं दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए ब्रह्माकुमारी सीता बहन |
पन्ना। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय पन्ना द्वारा पन्ना जेल में कैदी भाइयों के साथ भाई दूज एवं दीपावली का उत्सव मनाया गया। बहन जी ने सभी को दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए एवं आत्मिक स्मृति का तिलक देकर कहा कि दीपावली प्रकाश का पर्व है पर कदाचित यह भीतर के प्रकाश का प्रतीक है।
बाहर के प्रकाश में, बाहरी जगत को तो हम प्रतिदिन ही देखते हैं। क्या 364 दिन इंतजार करने के बाद आने वाला यह महापर्व भी हमें बाहरी जगत का ही दर्शन कराएगा ? क्या इसके आगोश में ऐसी कोई कीमती चीज़ नहीं है जो इसे अन्य दिनों से पृथकता प्रदान करे ? हाँ है, इसके पास एक कल्याणकारी, अलौकिक संदेश है - अपने भीतर के दीप को जलाओ; घर-घर में हर एक का आत्म-दीप जलाओ; इस आत्म-ज्ञान की रोशनी में काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार और आलस्य की अमावस्या को जला दो; शुद्ध स्नेह, शांति, संतोष, आत्मिक भाव और नम्रता की पूर्णिमा अर्थात पूर्णता के युग का आह्वान करो।
मनुष्य घरों की सफाई करते हैं, वास्तव में सर्वप्रथम सफाई की जाती है मन, वचन, कर्म की। हमें दृष्टि, वृत्ति की सफाई करनी है मन के अंदर से नकारात्मक व अशुद्ध विचार को समाप्त करना है। आपने कहा कि, दीपावली में व्यापारी अपने पुराने खाते को खत्म कर नया बहीखाता आरंभ करते हैं अर्थात आज तक हमारा कइयों के साथ जो भी मनमुटाव हुआ हो, कोई बुरा व्यवहार हो गया हो – उन पुराने खातों को समाप्त करें, पुरानी बातों को समाप्त करें और आज से नए खाते का आरंभ करें अर्थात नवीनता अपने जीवन के अंदर लेकर आए इसलिए व्यापारी लोग जब नई बहीखाता आरंभ करते हैं तो उस पर शुभ-लाभ जरूर लिखते हैं। शुभ-लाभ तो तभी होगा जब लाभ का उल्टा अर्थात भला करेंगे। जब हम सबका भला चाहते हैं सबके प्रति शुभ भावनाएं और शुभ कामनाएं मन में प्रवाहित करेंगे, तभी तो शुभ-लाभ की प्राप्ति होगी।
दिवाली पर सभी मिठाई खिलाते हैं अर्थात जो बोल हमारे मुख से निकलें वह दूसरों को सुख दें। दिवाली रावण की हार का उत्सव है आइए, इस दिवाली पर अपने अंदर के रावण को खत्म करते हैं। सिर्फ चार दिन की दिवाली नहीं, जीवन ही दिवाली है मिट्टी के इस शरीर में मैं पवित्र आत्मा हूं यह दिया जब हम जलाते हैं तब अहंकार का अंधेरा खत्म हो जाता है।
शांति का धर्म और प्यार की भाषा और एकता की संस्कृति ऐसी दुनिया हम सबको मिलकर बनानी है। इस सृष्टि पर हमें ही सच्ची दिवाली लानी है। पुरानी बातें जो दबी पड़ी है, गलतफहमी की धूल चढ़ी है, अपमान के दाग लगे हुए हैं। आइए, घर के साथ-साथ मन के कोने-कोने में सफाई करते हैं नए कपड़े, नए बर्तन– दिवाली नवीनता का समय है, जीवन को शुद्ध बनाने के लिए नई सोच, नया व्यवहार, नया संस्कार अपनाते हैं। आइए, सबको दिलखुश मिठाई खिलाते हैं। इस उपलक्ष पर आर.पी. मिश्र, जेलर, जिला जेल पन्ना ने कार्यक्रम की सराहना की तथा सभी को बहन जी के बताए हुए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
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