- "वत्सला" भौतिक रूप से भले ही अब हमारे बीच नहीं है, लेकिन दुनिया भर के वन्य जीव प्रेमियों के जेहन में उसकी स्मृतियाँ हमेशा जीवित रहेंगी। मंगलवार की शाम तक़रीबन 7 बजे वत्सला को टाइगर रिज़र्व के अधिकारियों व कर्मचारियों की मौजूदगी में हिनौता हांथी कैम्प से कुछ दूरी पर खैरईया नाले के पास पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। सभी ने अपने प्रिय और बेहद आत्मीय वत्सला को नम आँखों के साथ अंतिम विदाई दी।
 |
कुनबे के नन्हे-मुन्ने सदस्यों के साथ जंगल में टहलती "दाई मां" वत्सला। |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की धरोहर तथा बीते कई दशकों से यहां हाथियों के कुनबे में जन्मने वाले नन्हे-मुन्नों की दाई की तरह परवरिश करने वाली हथिनी वत्सला के निधन पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उसे श्रद्धांजलि अर्पित की है।
डॉक्टर यादव ने सौ साल से भी अधिक उम्र वाली इस हथिनी वत्सला के देहांत पर सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से कहा कि वत्सला मात्र हथिनी नहीं थी, वह हमारे जंगलों की मूक संरक्षक, पीढ़ियों की सखी और प्रदेश की संवेदनाओं की प्रतीक थी। पन्ना टाइगर रिजर्व की यह प्रिय सदस्य अपनी आंखों में अनुभवों का सागर और अस्तित्व में आत्मीयता लिए रही। उसने कैंप के हाथियों के दल का नेतृत्व किया और नानी-दादी बनकर हाथी के बच्चों की स्नेहपूर्वक देखभाल भी की। वत्सला की स्मृतियां हमारी माटी और मन में सदा जीवित रहेंगी।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व देश के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी वत्सला के देह त्यागने पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट पर मंगलवार को लिखा कि आज एक दु:खद समाचार ने हृदय को व्यथित कर दिया। पन्ना टाइगर रिजर्व की गौरवशाली धरोहर, हम सबकी अत्यंत प्रिय वत्सला अब हमारे बीच नहीं रहीं। वे दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनियों में शुमार थीं। दशकों तक उन्होंने दादी की तरह नन्हे हाथियों की देखभाल की।
पन्ना टाइगर रिजर्व में उन्हें देखना और पुकारना, एक आत्मीय संवाद जैसा अनुभव होता था। वत्सला, तुम सदा हमारी स्मृतियों में जीवंत रहोगी।
अलविदा!
अपने नाम को पूरी तरह किया है चरितार्थ
वत्सला को दो बार मौत के मुंह से बचाने वाले वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ एस.के. गुप्ता बताते हैं कि वह बेहद शांत, संवेदनशील और वात्सल्य से परिपूर्ण रही है। इस हथिनी ने अपने नाम को पूरी तरह से चरितार्थ किया है। डॉ संजीव गुप्ता बताते हैं कि जब भी कोई हथिनी यहां बच्चे को जन्म देती थी तो वत्सला जन्म के समय एक कुशल दाई की भूमिका निभाती रही है। इस हथिनी का जैसा नाम है वैसा उसके द्वारा आचरण भी किया जाता रहा है। लगभग दो वर्ष की उम्र होने पर जब पार्क प्रबंधन द्वारा किसी बच्चे को उसकी मां से पृथक किया जाता रहा, तो उसे वत्सला के पास छोड़ते थे। इन बच्चों को वत्सला बड़े प्यार से अपने पास रखती थी।
 |
वत्सला के घाव में पट्टी करते वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव कुमार गुप्ता। |
डॉ. गुप्ता बताते हैं कि पन्ना टाइगर रिजर्व में उनके कार्यकाल में लगभग 15 बच्चों का जन्म हुआ लेकिन एक भी डिलीवरी में उनके द्वारा कोई इंजेक्शन व उपचार करने की आवश्यकता नहीं पड़ी। वत्सला बखूबी एक दक्ष दाई की तरह बच्चे को जनाने का काम करती रही है। डॉ.गुप्ता बताते हैं कि उनकी जॉइनिंग के समय वर्ष 2000 में जब मैंने हथिनी वत्सला का स्वास्थ्य परीक्षण किया था उस समय हथिनी के पूरे दांत गिर चुके थे। 25 वर्ष पूर्व हथिनी की उम्र 80 से 85 वर्ष के बीच रही होगी। उस हिसाब से अब हथिनी की उम्र 103 से 105 वर्ष होनी चाहिए, जो दुनिया के जीवित हाथियों में सबसे अधिक है।
वत्सला की लंबी सूंड का क्या है रहस्य
दुनिया की सबसे उम्रदराज कही जाने वाली हथिनी वत्सला की तमाम खूबियों में से एक खूबी उसके शारीरिक बनावट को लेकर भी है। जिससे हाथियों के झुंड में भी वत्सला को आसानी से पहचाना जा सकता था। दरअसल वत्सला की सूंड दूसरे अन्य हांथियों के मुकाबले अधिक लंबी रही है। सूंड की लंबाई इतनी अधिक थी कि वत्सला जब खड़ी होती थी तो दो से तीन फिट सूंड को जमीन के ऊपर मोड़ कर रखना पड़ता था। उसकी इस खूबी के कारण वन्यजीव प्रेमी Peeyush Sekhsaria वत्सला को पांच पैर वाली हथिनी भी कहते रहे हैं। वत्सला की सूंड इतनी लंबी कैसे हुई, इस बाबत वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता का कहना है कि शुरुआती दिनों में हथिनी वत्सला के द्वारा लकड़ी की बोगियों को उठाने व रखने का कार्य किया जाता रहा है। यही वजह है कि उम्र बढ़ने के साथ ही वत्सला की सूंड भी लंबी हो गई।
वत्सला भौतिक रूप से भले ही अब हमारे बीच नहीं है, लेकिन दुनिया भर के वन्य जीव प्रेमियों के जेहन में उसकी स्मृतियाँ हमेशा जीवित रहेंगी। मंगलवार की शाम तक़रीबन 7 बजे वत्सला को टाइगर रिज़र्व के अधिकारियों व कर्मचारियों की मौजूदगी में हिनौता हांथी कैम्प से कुछ दूरी पर खैरईया नाले के पास पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। सभी ने अपने प्रिय और बेहद आत्मीय वत्सला को नम आँखों के साथ अंतिम विदाई दी।
वीडियो : उम्रदराज हथिनी "वत्सला" को पन्ना टाइगर रिज़र्व के महावत बड़े प्यार के साथ जंगल में पूरी सतर्कता के साथ इस तरह टहलाने ले जाते थे -