- जंगली केंवाच के रोएं से होती है तेज खुजली
- आयुर्वेदिक दवावों में होता है बीजों का प्रयोग
।। बाबूलाल दाहिया ।।
जंगली केंवाच के रोएं अगर शरीर पर लग जाए तो बहुत तेज खुजली, जलन करते हैं। इससे सूजन होने लगती है। केंवाच की फलियों के ऊपर बन्दर के रोम के जैसे रोम होते हैं। इससे बन्दरों को भी खुजली उत्पन्न होती है, इसलिए बंदर भी इसके नज़दीक नहीं जाते। केवांच एक लता है, इसे किवांच या कौंच भी बोला जाता है।
अधिकांश लोग केंवाच की खुजली उत्पन्न करने वाली सिर्फ जंगली प्रजाति को ही जानते हैं। इसके खतरनाक खुजली उत्पन्न करने वाले रोएं के जो भुक्त भोगी हैं, केवॉच का नाम सुनकर ही उनके शरीर में सिहरन सी होने लगती है। लेकिन आपका यह जानना भी जरुरी है कि हर केवांच में खुजली नहीं होती ? केंवाच की ऐसी प्रजाति भी होती है जिसकी खेती की जाती है तथा उसकी स्वादिष्ट सब्जी भी बनती है। इसकी लताएँ 5-6 मीटर तक लंबी हो जाती हैं। इसे जून माह में बरसात शुरू होते ही लगाया जा सकता है और अक्टूबर में फ़लत शुरू हो जाती है। इसकी फलियाँ 5-8 सेंटीमीटर लंबे "S"आकार की होती हैं, जिसमें 4-6 गोल बीज होते है। पके बीजों का प्रयोग आयुर्वेदिक दवावों में होता है।
अमूमन केवांच तीन प्रकार की होती हैं। काली केवॉच, हरी केवांच और भूरी केवांच। हरी और काली केंवाच की स्वादिष्ट सब्जी बनती है। लेकिन भूरी केवांच के रोएं लग जाने से देह में ऐसी खुजली उतपन्न होती है कि फिर गोबर लगाकर धोने से ही उससे निजात मिलती है। यह सब्जी वाली दोनों केवांच को लोग बाड़ में उगाते हैं पर भूरी केवांच जंगली है जो नैसर्गिक ढंग से ही जंगलों य खेतों के बाड़ में जमती है। इन तीनों प्रकार की केवांच का आयुर्वेद में बड़ा महत्व है। लेकिन भूरी केवॉच खुजली भर उत्पन्न नहीं करती, वह खेत से चूहे भगाने में भी लाजबाब है।
बस किसान को करना यह है कि पहले वह खेत में लगे चूहे के बिलों को चिन्हित करले कि " कहां-कहां चूहा सक्रिय हैं ?" यह जानने के लिए हर एक बिल को पहले मिट्टी से बन्द कर दें। फिर जिस बिल में चूहे होंगे तो वह बन्द बिल को खोल देंगे। चिन्हित करने के पश्चात भूरी केवांच के परिपुष्ट हरे फल को तोड़ एक पालीथीन बैग में रख लें। और हर एक चिन्हित बिल में चिमटे से पकड़-पकड़ उनमें एक-एक फल रख दें एवं बिल को पुनः गीली मिट्टी से बंद कर दें।
जैसे ही उस फल का रुआ उड़कर चूहों के शरीर में लगेगा तो चूहे ऐसा भागते हैं कि कम से कम अनाज के उस सीजन तक तो लौटकर दोबारा खेत आने का नाम नही लेते। पर अभी तो केंवाच के बोने का समय है। चूहा भगाने का काम तो बाद में अक्टूबर से मार्च तक रहता है। इस वर्ष हमनें 100 से अधिक लोगों को जो 10-10 प्रकार की सब्जियों के बीज के पैकेट बांटे हैं, उनमें एक केवांच भी थी।
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