- आजादी के अरसठ सालों में नहीं पहुंचा कोई मंत्री, विधायक व अधिकारी
- सड़क मार्ग न होने से ग्रामवासी नारकीय जिन्दगी जीने को मजबूर
विकास से वंचित गुमनामी के अँधेरे में खोया पन्ना जिले का कुडरा गांव। फोटो - अरुण सिंह |
अरुण सिंह,पन्ना। यह सुनकर सहसा भरोसा नहीं होता कि कोई गांव ऐसा भी हो सकता है जहां आजादी के अरसठ साल गुजर जाने के बाद भी आज तक कोई मंत्री, सांसद, विधायक यहां तक की आला अधिकारी भी नहीं पहुंचा. गुमनामी के अंधेरे में खोया यह बदनसीब गांव कुडरा पन्ना विधानसभा क्षेत्र में आता है, जहां की विधायक प्रदेश शासन की कद्दावर मंत्री सुश्री कुसुम सिंह महदेेले हैं. फिर भी इस गांव में मूलभूत सुविधायें तो दूर आवागमन के लिए सड़क मार्ग तक नहीं है. पहाडिय़ों और जंगली नालों से घिरा यह गांव बारिश के मौसम में पूरी तरह कट जाता है. किसी के बीमार पडऩे पर 7 किमी. दूर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र धरमपुर तक पहुंच पाना भी दुस्कर हो जाता है फलस्वरूप अनेको लोग इलाज के अभाव में असमय काल कवलित हो जाते हैं.
उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 52 किमी. दूर अजयगढ़ जनपद की सबसे बड़ी पंचायत धरमपुर के अन्तर्गत आने वाले कुडरा गांव की आबादी तकरीबन 600 है. धरमपुर तक तो पक्का सड़क मार्ग है तथा यात्री बसों का भी अवागमन होता है, लेकिन धरमपुर से कुडरा गांव तक 7 किमी. की दूरी तय करना आसान नहीं है. धरमपुर से कुडरा के लिए जो कच्चा मार्ग है, उस मार्ग से जाने पर रास्ते में जो परिद्रश्य और माहौल नजर आता है, उसे देख चंबल के बीहडों की याद ताजा हो जाती है. मिट्टी के ऊंचे टीलों के बीच से गुजरने वाले इस टेढ़े - मेढ़े कच्चे मार्ग पर यदा - कदा पैदल या साईकिल सवार ग्रामीण मिलते हैं, दूर - दूर तक और कुछ नजर नहीं आता. रविवार को सुबह लगभग 9 बजे पन्ना के पत्रकारों का दल जब इस दुर्गम और गुमनाम गांव में पहुंचे तो यहां के वाशिंदे भी हैरत में पड़ गये. कुडरा गांव के माध्यमिक शाला परिसर में गाड़ी खड़ी होने पर गांव के लोग कौतूहल वश यह जानने वहां एकत्रित हो गये कि कौन लोग आये हैं. जब उन्हें पता चला कि कोई नेता व अधिकारी नहीं अपितु पन्ना से पत्रकार इस गांव के हाल जानने के लिए आये हैं तो उनकी खुशी और प्रशन्नता का ठिकाना नहीं रहा.
इस दुर्गम गांव में पत्रकारों के पहुंचने पर उत्साहित ग्रामवासी। |
पेयजल और सड़क सबसे बड़ी समस्या
गांव का एकलौता कुंआ जहां से ग्रामीण पेयजल लेते हैं। |
इस गांव की सबसे बड़ी समस्या पेयजल और सड़क मार्ग का अभाव है. दुनिया से अलग - थलग पड़े तथा विकास से अछूते इस गांव के लोगों में आक्रोश तो है लेकिन वे बेवश और लाचार हैं. चुन्नू सिंगरौल अपना गुस्सा प्रकट करते हुए कहते हैं कि ऐसी सरकार नहीं रहना चाहिए जिसे आम जनता के दु:ख दर्द और तकलीफ से कोई वास्ता नहीं है. इन्द्रपाल सिंगरौल का कहना है कि हम चाहते हैं गांव की पेयजल समस्या दूर हो तथा सड़क बन जाय. अभी गांव में सिर्फ एक हैण्डपम्प है तथा खेत में बना एक निजी कुंआ है जिससे गांव का निस्तार होता है. इन्द्रपाल ने बताया कि वह 40 साल का हो गया लेकिन हमारी समस्या दूर करने का कोई प्रयास नहीं हुआ अब तो ऐसा लगता है कि इस गांव का भविष्य अंधकारमय है. आज आप लोग यहां आये तो एक उम्मीद जागी है कि शायद पानी और सड़क की समस्या दूर करने के लिए कोई पहल हो.
आठवीं के बाद नहीं पढ़ पाते बच्चे
गांव में सिर्फ आठवीं कक्षा तक के लिए स्कूल है, इसलिए गांव के लड़के व लड़कियां आठवीं तक पढ़ाई कर लेते हैं, लेकिन आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते. ग्रामवासी अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं लेकिन मजबूरी ऐसी है कि चाहकर भी वे पढ़ा नहीं पाते. पक्की सड़क न होने से बारिश के मौसम में पैदल जाना मुश्किल हो जाता है. कुडरा से धरमपुर तक 7 किमी. लम्बे मार्ग पर सात नाले पड़ते हैं जिन्हें बारिश में पार करना कठिन हो जाता है. ठंड के मौसम में भी बच्चे जंगली रास्ते से होकर नहीं जा पाते, जिससे आगे की पढ़ाई थम जाती है. गांव के कुछ बच्चों ने साहस दिखाते हुए उच्च शिक्षा हासिल करने का प्रयास भी किया है, उनमें से एक संतोष पाल है जो चित्रकूट से डी.एड. कर रहा है. संतोष पाल का कहना है कि गांव के कई युवक शिक्षा हासिल करना चाहते हैं लेकिन हालात इतने विपरीत हैं कि उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाती.इलाज के अभाव में हो जाती है मौत
स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर कुडरा गांव में कुछ भी नहीं है. गांव में किसी के बीमार पडऩे पर उसे धरमपुर या फिर अजयगढ़ ले जाना पड़ता है. लेकिन बारिश के मौसम में यहां की स्थिति बेहद चिन्ताजनक हो जाती है. बीमार व्यक्ति को चारपाई पर उठाकर ले जाना पड़ता है. रामकिशोर ने बताया कि इलाज के अभाव में हर साल गांव में कईयों की मौत हो जाती है. कई बार तो धरमपुर भी नहीं पहुंच पाते, रास्ते में ही लोग दम तोड़ देते हैं. आपने बताया कि पिछले पांच साल के दौरान वंशगोपाल लोधी 50 वर्ष, लाला प्रजापति पिता फूलचंद प्रजापति 16 वर्ष, चन्द्रपाल लोधी की पत्नी 25 वर्ष, मंगल पाल की पत्नी सुन्दीपाल तथा भूरा पाल 50 वर्ष की मौत इलाज के अभाव में हुई है. प्रसव के दौरान भी नवजात शिशुओं की मौत होती है, अभी हाल में रामभरोसे सिंगरौल की पत्नी का प्रसव हुआ और 24 घंटे के भीतर ही बच्चे की मौत हो गई.सड़क निर्माण की राशि का हुआ दुरूपयोग
धरमपुर - कुडरा सड़क मार्ग के निर्माण हेतु मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना से 59.16 लाख रू. स्वीकृत हुए हैं, जिसमें 19.25 लाख रू. व्यय भी हो चुके हैं. इस बात की जानकारी पत्रकारों ने जब ग्रामीणों को दी तो वे हैरान रह गये. सड़क मार्ग की हालत जस की तस है, वन विभाग द्वारा मिट्टी के टीलों को छीलकर जरूर कहीं - कहीं समतल किया गया है ताकि उनका आवागमन हो सके. ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग द्वारा सड़क के निर्माण में 19.25 लाख रू. कहां खर्च किये गये, यह आश्चर्यजनक है. गांव के रामसनेही का कहना है कि यदि 19 लाख रू. कुडरा गांव के लोगों को दे दिए जाते तो इतने पैसे से ही वे 7 किमी. लम्बी सड़क का निर्माण कर देते. ग्राम वासियों ने बताया कि सरपंच कोई भी हो काम भाजपा जिलाध्यक्ष का भाई कराता है. उन्होंने गांव की सीसी रोड बनवाई जो अत्यधिक घटिया है पूरी रोड बर्बाद कर दी है. गांव के लोग यदि कुछ बोलते हैं तो उन्हें डांटकर चुप करा दिया जाता है और कहा जाता है कि ज्यादा नेतागिरी न करो.गांव में नहीं है एक भी शौचालय
कुडरा गांव के महिलाएं अपनी समस्याएं बताते हुए। |
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