- मानव आबादी वाले असुरक्षित वन क्षेत्र में छोडऩे से निर्मित हुई यह स्थिति
- स्वच्छन्द विचरण हेतु छोडऩे से पूर्व सक्षम अधिकारियों की अनुमति जरूरी
- लापरवाह वन अमले ने डीएफओ तक को नहीं दी मामले की जानकारी
अरुण सिंह,पन्ना। दक्षिण वन मण्डल पन्ना के सलेहा वन परिक्षेत्र अन्तर्गत बौलिया के जंगल में स्वच्छन्द विचरण हेतु छोड़े गये दुर्लभ वन्य जीव पेंगोलिन की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची एक में दर्ज यह विलुप्त प्राय प्राणी पिछले दिनों सलेहा वन परिक्षेत्र के जोधनटोला गाँव में ग्रामवासियों को मिला था। इस विचित्र जीव को देख ग्रामीणों ने तुरन्त पुलिस को सूचना दी, फलस्वरूप सलेहा थाना पुलिस पेंगोलिन को उठाकर थाने ले गई। यहां पर वन अमले की मौजूदगी में तमाशबीनों द्वारा पेंगोलिन के ऊपर पानी की मोटी धार डालकर सताया जाता रहा। दूसरे दिन इस वन्य प्राणी को बेहद असुरक्षित इलाके में स्वच्छन्द विचरण के लिये छोड़ दिया गया और इसके लिये सक्षम अधिकारियों से अनुमति लेना तो दूर उन्हें मामले की जानकारी तक नहीं दी गई।
उल्लेखनीय है कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की प्रथम अनुसूची में जो भी वन्य प्राणी आते हैं, उनसे संबंधित रेस्क्यू, उपचार व स्वतंत्र विचरण हेतु छोडऩे के लिये स्थल चयन जैसे सभी कार्य बावत मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक (पीसीसीएफ) की अनुमति जरूरी है। चूंकि पेंगोलिन न सिर्फ अनुसूची एक में आता है अपितु यह दुर्लभ और विलुप्त प्राय भी है। ऐसी स्थिति में पेंगोलिन जैसे वन्यजीव को सक्षम अधिकारियों की अनुमति के बिना मानव आबादी वाले असुरक्षित इलाके में छोड़ा जाना वन अमले की लापरवाही, संवेदनहीनता और अज्ञानता को दर्शाता है। जानकारों का कहना है कि स्वच्छन्द विचरण हेतु छोडऩे से पूर्व यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि वन्य प्राणी पूर्ण रूप से स्वस्थ है या नहीं। छोडऩे के उपरान्त स्वच्छन्द विचरण करने में स्वास्थ्य की दृष्टि से उसको कोई व्यवधान तो नहीं होगा। इस हेतु वन्य प्राणी चिकित्सक का स्वास्थ्य प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है। अनुसूची एक में शामिल वन्य प्राणी को स्वच्छन्द विचरण हेतु छोडऩे से पूर्व स्थल का चयन करने में पूरी सावधानी बरती जाती है। इस बात का ध्यान रखा जाता है कि चयनित स्थल वन्य प्राणी के लिये अनुकूल रहवास स्थल है या नहीं, स्थल का चयन सही न होने पर वन्य प्राणी की मृत्यु हो सकती है।
पेंगोलिन के लिये सुरक्षित नहीं बौलिया का जंगल
पेंगोलिन जैसे दुर्लभ और विलुप्त प्राय वन्य प्राणी के लिये सलेहा वन परिक्षेत्र का जंगल किसी भी दृष्टि से सुरक्षित नहीं कहा जा सकता। इस पूरे इलाके में जहां मानव आबादी व भारी चहल-पहल है, वहीं बड़ी संख्या में यहां पर पत्थर की खदानें भी संचालित होती हैं। अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में पेंगोलिन की अत्यधिक माँग व उसकी भारी-भरकम कीमत को देखते हुये इस वन्य जीव की व्यापक पैमाने पर तस्करी होती है। जाहिर है कि तस्करों की नजर हमेशा इस प्राणी पर रहती है। असुरक्षित इलाके में खुला छोड़ दिये जाने से यह वन्य प्राणी कभी भी तस्करों व शिकारियों के हत्थे चढ़ सकता है। यदि सलेहा वन परिक्षेत्र के कर्मचारी मामले को गंभीरता से लेते और उच्च वन अधिकारियों को पेंगोलिन के मिलने की जानकारी देते तो निश्चित रूप से उसे बौलिया के जंगल में छोडऩे के बजाय सर्वाधिक सुरक्षित व अनुकूल वन क्षेत्र का चयन होता जहां यह वन्य प्राणी सुरक्षित माहौल में स्वच्छन्द रूप से विचरण करता, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ।पन्ना टाईगर रिजर्व के जंगल में अनुकूल रहवास
पन्ना टाईगर रिजर्व का जंगल पेंगोलिन के लिये अनुकूल और उत्तम रहवास स्थल है जहां उसकी सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है। ऐसा सुरक्षित वन क्षेत्र जिले में ही होने के बावजूद पेंगोलिन को कैसे बेहद असुरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ दिया गया यह आश्चर्यजनक है। बाघ पुनस्र्थापना योजना को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिलब्ध पन्ना टाईगर रिजर्व में हर तरह के विशेषज्ञ मौजूद हैं। जो अपनी सेवायें म.प्र. के अन्य पार्कों सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों में देते हैं। पन्ना टाईगर रिजर्व में न केवल अपने देश के वन अधिकारी अपितु रूस, केन्या, वितनाम, चीन व कम्बोडिया आदि देशों के अधिकारी भी प्रशिक्षण प्राप्त करने व यहां की सफलता को देखने के लिये आते हैं। अनेकों ऐसे देश हैं जो पन्ना मॉडल को अपने यहां अपना रहे हैं। इतनी सुविधाओं की सहज उपलब्धता के रहते हुये ऐसी लापरवाही चिन्ताजनक व वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर खतरनाक है।इनका कहना है...
0 क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व विवेक जैन ने जागरण को बताया कि सलेहा क्षेत्र के जोधनटोला गाँव में पेंगोलिन के मिलने की जानकारी उन्हें नहीं है। आपने कहा कि यदि पेंगोलिन वहां मिला है तो उसे पन्ना टाईगर रिजर्व में ही छोड़ा जाना चाहिये था, क्योंकि यहां का जंगल इस वन्य प्राणी के लिये अनुकूल है। यहां पर पेंगोलिन पाये जाते हैं जिनकी तस्वीरें कैमरा ट्रेप पर भी प्राप्त हुई हैं।विवेक जैन, क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व
0 नवागत वन मण्डलाधिकारी दक्षिण पन्ना से पेंगोलिन के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है। इसके संबंध में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर मैं आपको स्थिति से अवगत कराऊंगी। आपने बताया कि पेंगोलिन अनुसूची एक का प्राणी है जिसकी सुरक्षा से खिलवाड़ नहीं होना चाहिये।
श्रीमति मीना कुमारी मिश्रा, वन मण्डलाधिकारी दक्षिण पन्ना
00000
No comments:
Post a Comment