- पन्ना में मिली सफलता का अध्ययन करने कम्बोडिया का उच्च स्तरीय दल पहुँचा
- पन्ना आकर दल ने बाघों को फिर से आबाद करने की सीखी तकनीक
- पन्ना के जंगल में स्वच्छन्द रूप से विचरण करते बाघ परिवार का भी किया दीदार
कम्बोडिया के उच्च स्तरीय दल को पन्ना के बाघ पुनर्स्थापना योजना की जानकारी देते हुये क्षेत्र संचालक विवेक जैन। |
अरुण सिंह,पन्ना। म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व की तर्ज पर कम्बोडिया में भी बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से आबाद किया जायेगा। पन्ना में बाघ पुनस्र्थापना योजना को मिली चमत्कारिक सफलता का अध्ययन करने कम्बोडिया का उच्च स्तरीय दल 25 अक्टूबर को यहां पहुँचा है। इस 17 सदस्यीय दल में वन एवं पर्यावरण तथा पर्यटन विभाग के आला अधिकारी शामिल हैं। कम्बोडिया के इस उच्च स्तरीय दल ने पन्ना टाईगर रिजर्व का भ्रमण कर यहां पर बाघों की दुनिया को फिर से आबाद करने की तकनीक को न सिर्फ सीखा अपितु अपने यहां पन्ना मॉडल को अपनाने की इच्छा जताई है। पन्ना के जंगल में स्वच्छन्द रूप से विचरण करते हुये बाघ परिवार को देख यह दल अभिभूत हो गया।
उल्लेखनीय है कि पन्ना का जंगल हमेशा बाघों से आबाद रहा है। लेकिन बीते कुछ दशकों से मानवीय हस्तक्षेप बढऩे व शिकार की घटनाओं के चलते पन्ना के बाघों का भरा पूरा संसार उजड़ गया और वर्ष 2009 में अधिकृत रूप से पन्ना टाईगर रिजर्व को बाघ विहीन घोषित कर दिया गया। बाघों की उजड़ चुकी इस दुनिया को फिर से आबाद करने के लिये पन्ना में बाघ पुनस्र्थापना योजना का बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य शुरू हुआ, जिसके तहत प्रथम चरण में यहां कान्हा और बान्धवगढ़ से 4 बाघिनें तथा पेंच टाईगर रिजर्व से एक नर बाघ पन्ना लाया गया। बेहजर प्रबन्धन और जनभागीदारी से बाघ पुनस्र्थापना योजना को यहां शानदार सफलता मिली, जो पूरी दुनिया के लिये एक मिशाल बन गई। सबसे ज्यादा चमत्कृत करने वाली बात यहां जो घटित हुई वह पालतू बाघिनों को जंगली बनाना है। पन्ना टाईगर रिजर्व में दो अनाथ पालतू बाघिनों को न सिर्फ जंगली बनाया गया अपितु इन दोनों ही बाघिनों ने बाघों की वंश वृद्धि में भी अपना योगदान दिया। इस अनूठी कामयाबी की ख्याति देश की सीमाओं को पार करते हुये अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर फैली और अनेकों देशों के लोग पन्ना की सफलता को देखने, समझने तथा अध्ययन करने के लिये यहां आने लगे। पन्ना के बाघ पुनस्र्थापना की कामयाबी से कम्बोडिया इस कदर प्रभावित हुआ है कि वह अब अपने यहां पन्ना की ही तर्ज पर बाघों को फिर से आबाद करने की दिशा में अग्रसर हो रहा है। मालुम हो कि कम्बोडिया के जंगल में नवम्बर 2007 के पूर्व तक बाघ थे, लेकिन इसके बाद यह देश बाघों से विहीन हो गया। अब कम्बोडिया में उजड़ चुके बाघों के संसार को पुन: आबाद करने के प्रयास हो रहे हैं, जिसके लिये पन्ना मॉडल का अनुकरण किया जा रहा है। इसी परिपेक्ष्य में कम्बोडिया के उच्च स्तरीय दल ने पन्ना टाईगर रिजर्व का दो दिवसीय दौरा किया है।
ड्रोन के द्वारा मॉनीटरिंग सिस्टम को समझते हुये दल के सदस्य। |
क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व विवेक जैन ने जानकारी देते हुये आज बताया कि कम्बोडियन डेलीगेट्स में शामिल उच्च स्तरीय दल ने यहां पार्क भ्रमण करने के साथ बाघ संरक्षण के संबंध में जानकारी हासिल की है। दल में शामिल लोगों के संबंध में जानकारी देते हुये श्री जैन ने बताया कि पर्यावरण मंत्रालय कम्बोडिया के प्रमुख सचिव, विशेष सचिव, वन एवं वन्यप्राणी विभाग के महानिदेशक, सहायक महानिदेशक, क्षेत्र संचालक, पर्यटन विभाग कम्बोडिया के प्रमुख सचिव, महानिदेशक, अन्तर्राष्ट्रीय कॉपरेशन विभाग के निदेशक, टूरिस्ट इन्वेस्ट विभाग के निदेशक एवं उप निदेशक, प्रोविन्सियल गवर्नमेंट रिप्रजेन्टेटिव माननीय स्वे सम ईंग प्रोविन्सियल गर्वनर, मुख्य प्रशासक मोन्डुलकिरी प्रोविन्स एवं उप मुख्य मोण्डुलकिरी तथा विश्व प्रकृति निधि कम्बोडिया के कण्ट्री डायरेक्टर, रिजनल इनीसियेटिव लीड, लैण्ड स्केप मैनेजर एवं टूरिज्म मैनेजर शामिल रहे।
दल ने सीखा मॉनीटरिंग की माडर्न तकनीक
समुदायों से समन्वय के सन्दर्भ में वर्तमान स्थिति की प्रगति की चर्चा भी कम्बोडियन डेलीगेट्स से की गई।
कम्बोडियन दल के साथ फोटो सेशन का द्रश्य |