Wednesday, March 14, 2018

पलाश का फूल आजीविका का बन सकता है साधन



  • पन्ना में वनोपज की कोई कमी नहीं, वन आधारित उद्योगों की कमी है। ग्रामीणों ने बताया कि यदि वन आधारित गतिविधियॉं जिले मे हो और उसका लाभ मिले तो हम लोगों की गरीबी दूर हो सकती है।



। अरुण सिंह 

पन्ना। प्रकृति ने मानव को कई उपहार दिये हैं। समय-समय पर इसका अहसास अपने आप होने लगता है। मौसम के हिसाब से देखे तो बसंत के बाद अब चैत्र आ गया। पेड़ो से पत्ते गिरना नई कोपले निकलना, महुआ की पीगे फूटना, फसलों में चना,मसूर,गेहूॅं सभी पकने के बाद इठला रहे हैं। मौसम की मार के बावजूद वनों ने अपने उपहार स्वरूप मानव को महुआ, चिरौजी की आवक का आगाज कर दिया है। इसके अलावा छिवला,पलाश जो औषधीय गुणों से भरा पड़ा है, चारो तरफ  वन क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दिया है।

जहां एक ओर नये-नये उद्योग लग रहे हैं, जो मानव को नुकसान भी पहुंचा रहे हैं। उसकी जगह पन्ना जिले में कई ऐसे वनोपज जड़ी बूटी उपलब्ध हैं जहां हजारो युवाओ को रोजगार के साधन मिल सकते हैं। यहां की बात करे तो कई लाख रूपये का नागरमाथा अर्थात गुदिला ही यहां के लोगो को मिलता है।  कई आदिवासी परिवार साल भर के लिये इसी से अपना गुजारा करते हैं। 

महुआ, अचार, तेदुपत्ता, डोरी, आंवला यहां के वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी एवं गरीब परिवार के लिये रोजी रोटी का सहारा है। यहां के आदिवासी वर्ष भर के लिये इसी से अपना काम चलाते हैं।  आज कल छिवला पलाश पूरे जंगल में है इसके औषधीय गुण के बारे में बगौहा सहित आसपास के गांवों में कई ग्रामीणों से चर्चा की। ग्रामीणों ने बताया कि यदि वन आधारित गतिविधियॉं जिले में हो और उसका लाभ मिले तो हम लोगों की गरीबी दूर हो सकती है।

छिवला अर्थात पलाश के औषधीय गुण


पलाश का पेड़ जहाँ औषधीय गुणों से भरपूर होता है वहीँ इसके पत्तों का भी ग्रामीण इलाकों में आज भी उपयोग होता है। जानकारों के मुताबिक शरीर में घाव होने पर इसके छिलके को कुचलकर लगाने से घाव भर जाता है, फूल के गुदे के रंग उतार कर पीने से दस्त मिट जाता है, बकले के अन्दर के गुदे को उबाल कर पीने से छाले मिट जाते हैं।  दॉंत का दर्द भी ठीक हो जाता है तथा मुंह का सूजन मिट जाता है। 

पलाश के पेड़ में  गोद भी निकलती है, जिसका उपयोग डाढ़ में लगाने से दर्द ठीक हो जाता है। फूल की वौड़ खाने से उल्टी नही होती, फूल के रंग को पानी में डाल कर नहाने से लू नही लगती है। सफेद कपड़े को फूल के रंग से रंग  कर पहनते है, इसके पेड़ से बेहतरीन रस्सी एवं कूची बनती है। पलाश के पत्ते से दोना एवं पत्तल बनाये जाते हैं। 

मवेशियों को बाधने वाली जगह पर फूल डालने से जानवरों के कीड़े नही पड़ते, पिस्सू आदि कीड़े मर जाते हैं। फूल से गनगौर की पूजा होती है, लकड़ी हवन के लिये उपयोग होती है। गोद से लााख की कडे बनते हैं, जो महिलाये पहनती हैं।  सूखा रोग में पलाश की गाठ बांधने से लाभ पहुंचता है, डायविटीज में पलास के फूल को पानी में भिगोकर रंग को पीने से डायविटीज कम होती है।

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