Monday, October 15, 2018

बांस उद्योग से खुल सकते हैं रोजगार के नये अवसर

  •   पन्ना के जंगल में प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में होता है  बांस,
  •   कल्दा पठार के श्यामगिरी का सालिड बैम्बू पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध


 पर्यटकों के ठहरने हेतु बांस से निर्मित की गई झोपड़ी। फोटो - अरुण सिंह 

।। अरुण सिंह ।। 

पन्ना। प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण पन्ना जिले के जंगलों में प्रचुर मात्रा में बांस का उत्पादन होता है, यदि वन क्षेत्र से लगे ग्रामों में निजी कृषि भूमि पर भी बांस का रोपण किया जाय तो किसानों की जिन्दगी में भी खुशहाली आ सकती है। बांस उद्योग को बढ़ावा मिलने पर पन्ना जिले में विकास व रोजगार के नये अवसरों का सृजन हो सकता है। लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई ठोस और प्रभावी पहल नहीं की गई है। 

इसके विपरीत पन्ना जिले के समृद्ध वन क्षेत्र को बड़े ही  सुनियोजित तरीके से उजाडऩे का कार्य किया जा रहा  है । बड़े पैमाने पर प्रतिदिन जहाँ  जंगल में बेशकीमती वृक्षों की कटाई हो  रही  है , वहीँ  वन क्षेत्रों के आस-पास होने वाले अवैध उत्खनन से भी पर्यावरण व जंगल को भारी क्षति पहुँच रही  है । पन्ना जिले के कल्दा पठार का जंगल जो वहाँ  के आदिवासियों की जिन्दगी का आधार है  उसे भी उजाडऩे के प्रयास तेजी से हो  रहे  हैं। यदि कल्दा पठार के समृद्ध वन क्षेत्र की सुरक्षा व संरक्षण के  लिए आवश्यक कदम न उठाए गये तो यहाँ  के आदिवासियों की जिन्दगी मुश्किल में पड़ जाएगी।

उल्लेखनीय है कि अनगिनत खूबियों व विकास की विपुल संभावनाओं के बावजूद पन्ना जिला विकास के मामले में आज भी अन्य दूसरे जिलों की तुलना में काफी पीछे है। यहां का सम्यक विकास कैसे हो, इसके लिए इस जिले की खूबियों और विशिष्टताओं पर गौर करना होगा तथा उसी के अनुरूप कार्य योजना बनानी होगी। दूसरे जिलों की नकल करके विकास की अंधी दौड़ में सहभागी होना, इस जिले की प्रकृति के अनुकूल नहीं होगा। यहां के जंगलों में नैसर्गिक रूप से पाई जाने वाली वन संपदा का जिले के विकास व रोजगार के सृजन में उपयोग हो, यह जरूरी है। प्रकृति ने हमें जो सौगात उपहार में प्रदान की है उसी से हम विकास व समृद्धि के नये आयाम छू सकते हैं। अकेले बांस उद्योग को बढ़ावा दिये जाने से इस जिले का कायाकल्प हो सकता है। गरीबों की इमारती लकड़ी कहा जाने वाला बांस आज महत्वपूर्ण उद्योग के रूप में उभरा है, स्थिति यह है कि मांग के अनुरूप बांस की आपूर्ति नहीं हो पा रही है।

शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में हर कहीं बांस की उपयोगिता कम होने के बजाय और बढ़ी है। ग्रामीण अंचलों में एक समुदाय विशेष के लोग बांस के बर्तन व अन्य आकर्षक उपयोगी वस्तुएं बनाकर ही अपना जीवन यापन करते हैं। यदि इस समुदाय के लोगों को बांस शिल्प व उद्यम के लिए प्रशिक्षण दिया जाय तो बांस बर्तनों के निर्माण में इन्हें दक्षता हासिल करने में कठिनाई नहीं होगी। बांस पन्ना जिले में कुटीर उद्योग का रूप ले, इस दिशा में यदि सार्थक और कारगर पहल हो तो रोजगार के नये अवसरों का सृजन होने के साथ - साथ लोगों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।

बांस से निर्मित झोपड़ी व कुर्सियां पर्यटकों की पसंद 



पन्ना जिले में चूंकि पर्यटन विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है, इसलिए यहां प्राकृतिक माहौल व आबोहवा प्रदान करने वाले रिसॉर्ट भी बन रहे हैं। यहां बांस से निर्मित झोपडिय़ों व बांस की कुर्सियों का प्रचलन अधिक है, पर्यटक भी यह पसंद करते हैं। इसके अलावा भी बांस के अनगिनत उपयोग हैं, जिनके बारे में यहां के लोगों को सही जानकारी व प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। किसानों को भी अपनी निजी भूमि में बांस रोपण के लिए प्रेरित करने से उन्हें अतिरिक्त आय होगी साथ ही जिले में खुलने वाले बांस आधारित कुटीर उद्योगों को सहजता से बांस उपलब्ध हो सकेगा।

श्यामगिरी में होता है सालिड बैम्बू

पन्ना जिले में दक्षिण वन मण्डल अन्तर्गत कल्दा पठार के श्यामगिरी क्षेत्र में विशिष्ट प्रजाति का बांस होता है जो पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। दक्षिण वन मण्डलाधिकारी अनुपम सहïाय ने बताया कि श्यामगिरी के सालिड बैम्बू को कागज इन्डस्ट्री बहुत पसंद करती हैं। ओरियन्ट पेपर मिल अमलई में सप्लाई होने के चलते यहां का बांस खत्म होने की कगार में पहुंच गया था। लेकिन बीते दो सालों में इस प्रजाति के बांस को पुर्नजीवित करने के प्रयास हुए जिसके अच्छे परिणाम सामने आये हैं।

बांस के होते  हैं अनगिनत उपयोग

बांस बहुउपयोगी होता है, यही वजह है कि इसकी मांग निरन्तर बढ़ रही है। बांस से खूबसूरत और आकर्षक तरह - तरह के बर्तन तो बनते ही हैं, इसके रेशों से बना कपड़ा हवादार व सुखदायक होता है। बांस पर्यावरण की दृष्टि से भी अच्छा है तथा इससे निर्मित वस्तुंए शत प्रतिशत नष्ट होने योग्य होती हैं। यह प्राकृतिक रूप से एन्टी बैक्टीरियल व एन्टी फंगल होता है। 

बांस निर्मित भवन भूकंप अवरोधी होते हैं इतना ही नहीं बांस की कोंपलें पशुओं के लिए बेहतर चारा होता है। पन्ना जिला जहाँ  के जंगलों में प्राकृतिक रूप से बांस का उत्पादन होता है  वहां  बांस के बिगड़े वनों में सुधार करके तथा बांस से संबंधित कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देकर पन्ना जिले में रोजगार के नये अवसरों का सृजन किया जा सकता है । इस दिशा में जिले के  कलेक्टर  व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का ध्यान अपेेक्षित है।

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