Monday, November 5, 2018

मूर्तरूप ले रही जन समर्थन से बाघ संरक्षण की सोच

  •  पन्ना टाईगर रिजर्व में अब तक आयोजित हो चुके 157 नेचर कैम्प
  •   स्कूली बच्चे इन कैम्पों के जरिये जंगल की निराली दुनिया से हो रहे रूबरू
  •   प्रकृति की पाठशाला में जाकर अब तक 4847 बच्चे बन चुके हैं पर्यावरण प्रेमी


संवाद सम्मेलन में पन्ना नेचर कैम्पस पर प्रकाशित पुस्तक का विमोचन करते अतिथिगण।  फोटो - अरुण सिंह 


अरुण सिंह,पन्ना। अपने अभिनव प्रयोगों और अनूठी गतिविधियों के लिये देश और दुनिया में ख्याति अॢजत कर चुके म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व में जन समर्थन से बाघ संरक्षण की सोच अब धीरे-धीरे मूर्त रूप ले रही है। विगत 8 वर्ष पूर्व तक जो लोग पन्ना टाईगर रिजर्व व बाघों सहित वन्य जीवों के संरक्षण का मुखर विरोध करते हुये टाईगर रिजर्व को विकास में सबसे बड़ी बाधा मान रहे थे, वे भी अब पन्ना टाईगर रिजर्व को एक अनमोल धरोहर के रूप में मान्यता देने लगे हैं। पन्नावासियों विशेषकर युवा पीढ़ी की सोच में आ रहे इस सकारात्मक बदलाव के पीछे बाघ पुनस्र्थापना योजना को मिली चमत्कारिक सफलता व बीते 8 वर्षों के दौरान लगातार आयोजित किये गये नेचर कैम्प हैं, जिनमें भाग लेकर हजारों स्कूली बच्चों तथा नागरिकों ने जंगल की निराली दुनिया से रूबरू होकर मानव जीवन में प्रकृति और पर्यावरण की महत्ता का पाठ पढ़ा। प्रकृति के बीच जाकर बच्चों ने यह जाना कि सह अस्तित्व में ही सबकी भलाई है, प्रकृति से लड़कर हम अपने वजूद को भी सुरक्षित नहीं रख पायेंगे।
जन समर्थन से बाघ संरक्षण की सोच को गति प्रदान करने वाली गतिविधि पन्ना नेचर कैम्प के सफलतम 8 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में रविवार 4 नवम्बर को डाईट सभागार में संवाद कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस अनूठे कार्यक्रम में उन सभी प्रतिभागी बच्चों को आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने नेचर कैम्प में भाग लिया है। इस मौके पर पन्ना टाईगर रिजर्व के पूर्व क्षेत्र संचालक जिनकी अथक मेहनत, टीम वर्क व जुनून के बलबूते बाघ पुनस्र्थापना योजना को कामयाबी मिली, वे भी मौजूद रहे। टाईगर मैन के रूप में चॢचत हो चुके आर. श्रीनिवास मूर्ति सदस्य सचिव म.प्र. जैव विविधता बोर्ड भोपाल ने नेचर कैम्प के अनुभवों को बच्चों के साथ साझा किया। कार्यक्रम में श्रीमती संगीता सक्सेना राज्य निर्देशक विश्व प्रकृति निधि भारत, क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया, उप संचालक वासु कनौजिया तथा हमारे बाघों की वापसी पुस्तक के लेख पियूष शेखसरिया की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

नेचर कैम्प की 8 वर्ष पूर्व हुई थी शुरूआत


 कार्यक्रम में मौजूद नेचर कैम्प के प्रतिभागी बच्चे व नागरिक।

प्रकृति और पर्यावरण तथा जैव विविधता के संबंध में आम जन मानस में जागरूकता पैदा हो, इस मंशा को लेकर पन्ना टाईगर रिजर्व में म.प्र. स्थापना दिवस 1 नवम्बर 2010 को नेचर कैम्प की शुरूआत हुई थी। पहले नेचर कैम्प में वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह के विजेता प्रतिभागियों को शामिल किया गया था। शुरूआती सभी नेचर कैम्पों में तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति स्वयं शामिल होकर प्रतिभागी बच्चों को अपने रोचक व निराले अंदाज में जंगल की निराली और रोमांचक दुनिया से रूबरू कराया। आपकी ही पहल पर नेचर कैम्प से दो बुजुर्ग शिक्षक अम्बिका प्रसाद खरे व देवीदत्त चतुर्वेदी भी जुड़े। इनकी विशेष अभिरूचि व सक्रियता से नेचर कैम्प बच्चों में बेहद लोकप्रिय हुआ और उसकी निरन्तरता बनी रही। अब तक कुल 157 कैम्प आयोजित हो चुके हैं, जिनमें विभिन्न स्कूलों के 4847 बच्चों ने भाग लिया है।

समारोह में पुस्तक का हुआ विमोचन


पन्ना टाईगर रिजर्व व विश्व प्रकृति निधि भारत के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित संवाद सम्मेलन में पन्ना नेचर कैम्प के 8 वर्ष पुस्तक का विमोचन भी हुआ। पन्ना नेचर कैम्प की शुरूआत व सफलतम 8 वर्ष पूरे होने की गाथा को समेटे यह लघु पुस्तिका काफी रोचक व आकर्षक है, जिसका विमोचन संवाद सम्मेलन में मौजूद दो बच्चों से कराया गया। इस मौके पर बच्चों से संवाद करते हुये श्री मूर्ति ने कहा कि जब तक हम किसी चीज को देखते व समझते नहीं तब तक उससे लगाव व नफरत नहीं हो सकता। आपने कहा कि हवा, पानी व भोजन यह सब हमें जंगल से मिलता है, इसकी समझ नई पीढ़ी में आनी चाहिये ताकि वे जंगल को धरोहर की तरह संरक्षित करने के लिये प्रेरित हो सकें। आपने बताया कि जैव विविधता के लिये पूरे प्रदेश में रणनीति बन रही है, इस दिशा में पन्ना का नेचर कैम्प एक बहुत बड़ा आयाम है।
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