- सात पहाडों का सीना चीरकर बहती है केन नदी
- पन्ना टाइगर रिजर्व की जीवन रेखा है केन
पन्ना टाइगर रिज़र्व से होकर गुजरने वाली केन नदी का मनोरम द्रश्य। |
अरुण सिंह, पन्ना। सात पहाडों का सीना चीरकर प्रवाहित होने वाली केन नदी को पन्ना टाइगर रिजर्व की जीवन रेखा कहा जाता है. तमाम तरह की विशिष्टताओं व रहस्यों से परिपूर्ण केन नदी म.प्र. की एक मात्र ऐसी नदी है जो प्रदूषण से मुक्त है. यह अनूठी नदी अपने प्रवाह क्षेत्र में पत्थरों पर चित्रकारी करते हुए बहती है, चित्रकारी वाले इन पत्थरों को बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लोग शजर कहते हैं.
उल्लेखनीय है कि शजर एक अनोखा पत्थर होता है, ऊपर से बदरंग दिखने वाले इस पत्थर को जब मशीन में तराशते हैं तो इसमें झाडिय़ों, पेड़ - पौधों, पशु - पक्षियों, मानव और जलधारा के विभिन्न रंगीन चित्र देखने को मिलते हैं. आकर्षक चित्रकारी वाला यह पन्ना जिले के अजयगढ़ कस्बे से लेकर उ.प्र. में बांदा जिले के कनवारा गांव तक पाया जाता है. पन्ना जिले में पण्डवन नामक स्थान में केन नदी का अद्भुत नजारा देखते ही बनता है. इस जगह पर पतने, व्यारमा व मिढ़ासन सहित पांच नदियां केन में मिलती हैं. नदियों के इस संगम में पत्थरों की विस्मय बिमुग्ध कर देने वाली आकृतियां नजर आती हैं. पण्डवन से होते हुए केन पन्ना टाइगर रिजर्व के बीच से तकरीबन 55 किमी. तक प्रवाहित होती है, इस नदी को पन्ना टाइगर रिजर्व की जीवन रेखा भी कहा जाता है. केन नदी के कंचन जल में मगर व घडियाल जैसे सरीसृप व विभिन्न प्रजाति की मछलियां पाई जाती हैं, वहीं जंगल में विचरण करने वाले शाकाहारी व मांसाहारी वन्य प्रांणियों की जिन्दगी का भी यह नदी आधार है.
केन नदी की धार से रेत निकालती पोकलेन मशीन। |
केन नदी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह घने जंगलों व पहाडों से होकर प्रवाहित होती है, फलस्वरूप यह नदी प्रदूषण से मुक्त है. इसकी वजह यह है कि केन नदी का प्रवाह क्षेत्र मानव आबादी से दूर है. लेकिन अब बढ़ती आबादी के साथ - साथ इस नदी पर भी खतरा मंडराने लगा है. बालू के अवैध व अनियंत्रित उत्खनन से भी नदी के नैसर्गिक स्वभाव में बदलाव आना शुरू हो गया है. बालू की अत्यधिक निकासी से जल स्तर तेजी से जेहां गिर रहा है वहीं नदी किनारे के ग्रामों में भी जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है. पर्यावरण से जुड़े लोगों का कहना है कि केन नदी से बड़े पैमाने पर हो रहे रेत के उत्खनन से घडियालों का वजूद जहां संकट में पड़ सकता है, वहीं केन नदी की खूबी भी तिरोहित हो सकती है. इसलिए समय रहते अवैध उत्खनन व पर्यावरण के साथ होने वाले खिलवाड़ पर प्रभावी रोक लगाया जाना चाहिए ताकि केन अपने प्राकृतिक स्वरूप में प्रवाहित होती रहे.
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