- पन्ना में पक्षी दर्शन के शौकीन पर्यटकों की दिनों दिन बढ़ रही है संख्या
- तीन सौ से भी अधिक प्रजातियों के रंग-बिरंगे पक्षी नजर आते हैं यहां
टाईगर रिजर्व से होकर प्रवाहित होने वाली केन नदी की चट्टान पर विश्राम करते प्रवासी पक्षी ब्लैक स्ट्रोक। |
अरुण सिंह, पन्ना। बाघों से आबाद हो चुके मध्यप्रदेश के पन्ना टाईगर रिजर्व का जंगल पक्षी दर्शन के शौकीन पर्यटकों के लिये जन्नत से कम नहीं है। लगभग 543 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र तथा यहां से प्रवाहित होने वाली केन नदी में तीन सौ से भी अधिक प्रजातियों के रंग-बिरंगे पक्षी देखने को मिलते हैं। ठण्ड का मौसम शुरू होने के साथ ही यहां पर प्रवासी पक्षियों का आगमन भी शुरू हो गया है। प्रवासी पक्षियों की मौजूदगी तथा उनके कलरव से इन दिनों टाईगर रिजर्व का जंगल गुलजार है। रिज़र्व वन क्षेत्र के धुंधुवा सेहा सहित आस-पास के इलाकों में दुर्लभ प्रजाति के हिमालयन वल्चर जहां नजर आने लगे हैं, वहीं पीपर टोला, रमपुरा तालाब व केन नदी में साइबेरिया से उड़ान भरकर पहुंचे प्रवासी पक्षी ब्लैक स्ट्रोक बड़ी संख्या में दिख रहे हैं। सर्दी के इस मौसम में प्रवासी पक्षियों की मौजूदगी से पक्षी दर्शन के शौकीन पर्यटकों का उत्साह देखते ही बन रहा है ।
उल्लेखनीय है कि म.प्र. में पाई जाने वाली गिद्धों की चार प्रजातियां किंग वल्चर, लांग विल्ड वल्चर, व्हाइट बैक्ड वल्चर तथा इजिप्सियन वल्चर पन्ना टाईगर रिजर्व में अच्छी संख्या में निवास करते हैं। लेकिन ठण्ड का मौसम आने पर गिद्धों की तीन प्रजातियां यहां प्रवास के लिए आते हैं । ये प्रवासी हिमालयन वल्चर पूरे ठण्ड के दिनों में यहां रूकते हैं और घोसला बनाकर बच्चे भी देते हैं। ठण्ड खत्म होने पर मार्च के महीने में हिमालयन वल्चर चले जाते हैं। वन अधिकारियों का कहना है कि शीत ऋतु में यहां आने वाले प्रवासी वल्चरों में सिनरस वल्चर, यूरेशियन ग्रिफिन वल्चर तथा हिमालयन वल्चर प्रमुख हैं। बताया गया है कि भारत में गिद्धों की 8 प्रजातियां पाई जाती हैं, इनमें 7 प्रजाति के गिद्ध पन्ना टाईगर रिजर्व में हैं जो निश्चित ही गर्व की बात है।
चट्टानों व पेड़ों पर बनाते हैं घोसले
धुंधुवा सेहा में सुबह चट्टान में बैठकर गुनगुनी धूप का आनंद लेते वल्चर। |
म.प्र. में पाई जाने वाली गिद्धों की चार प्रजातियां पन्ना टाईगर रिजर्व में पूरे वर्ष नजर आती हैं। यहां की आबोहवा व पर्यावरण इन गिद्धों के अनुकूल है, यही वजह है कि यहां इनकी संख्या निरन्तर बढ़ रही है। इन चार प्रजातियों में दो प्रजातियां लांग बिल्ड वल्चर तथा इजिप्सियन वल्चर पहाड़ की चट्टानों में घोंसला बनाते हैं जबकि व्हाइट वैक्ड वल्चर व किंग वल्चर ऊंचे वृक्षों पर घोंसला बनाकर रहते हैं। पन्ना टाईगर रिजर्व का धुंधुवा सेहा लांग विल्ड वल्चर व इजिप्सियन वल्चरों के लिए उत्तम रहवास है। यह खूबसूरत सेहा इन दिनों पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।
राज्य पक्षी दूधराज के भी होते हैं दर्शन
खूबसूरत कलगी से सुसज्जित म.प्र. का राज्य पक्षी दूधराज। |
म.प्र. के राज्य पक्षी दूधराज(इंडियन फ्लाईकैचर) पन्ना टाईगर रिजर्व के जंगल में खूब नजर आता है । शानदार कलगी वाला यह खूबसूरत पक्षी देशी व विदेशी सभी पर्यटकों को खूब लुभाता है । इस पक्षी के दर्शन होते ही पर्यटक खुशी से झूम उठते हैं । पन्ना टाईगर रिजर्व के प्रसिद्ध पाण्डव जल प्रपात की वादियों में दूधराज पक्षी सबसे अधिक देखने को मिलता है । यह स्थल राज्य पक्षी के लिए आदर्श रहवास है । दूधराज के अलावा भी पाण्डव जल प्रपात के आस-पास दुर्लभ प्रजाति के अनेकों पक्षी देखने को मिल जाते हैं । यही वजह है कि बर्ड वॉचिंग के शौकीनों का यहाँ जमावड़ा लगा रहïता है । इस स्थल की एक विशेषता यह भी है कि यह पर्यटकों के भ्रमण हेतु बारहों महीना खुला रहता है।
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