Monday, December 10, 2018

जंगल के राजा बाघ व जल के राजा मगर का पर्यटक कर रहे दीदार

  • पन्ना टाइगर रिज़र्व से प्रवाहित केन नदी में मगर देख रोमांचित हो रहे पर्यटक
  •  सरीसृप जीव मगर के लिए केन नदी का भौंरा देव बना आदर्श रहवास स्थली 



 केन नदी का भौंरादेव स्थल जहाँ पर्यटक करते हैं नौकायन। 

। अरुण सिंह 

पन्ना। जंगल के राजा बाघ सहित सरीसृप जीवों के लिए भी पन्ना नेशनल पार्क आदर्श रहवास स्थल बन चुका है । यहाँ के खूबसूरत घने जंगल व गहरे सेहों में जहाँ वनराज नजर आते हैं वहीँ यहाँ से प्रवाहित होने वाली केन नदी की बलुई चट्टानों में गुनगुनी धूप का आनंद लेते विशालकाय मगरमच्छ  सहजता दिखाई देते हैं।  

लगभग 545 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले पन्ना नेशनल पार्क के भीतर 54 किमी की लम्बाई में प्रवाहित होने वाली केन नदी मगर व घडिय़ाल जैसे सरीसृप जीवों के लिए अनुकूल आश्रय स्थली बन चुकी है।  नेशनल पार्क के मड़ला वन परिक्षेत्र अंतर्गत भौंरा देव नामक स्थान पर दर्जनों की संख्या में जल के राजा मगर नजर आते हैं । 

केन नदी की चट्टानों में ठंढ के मौसम में  सुबह की गुनगुनी धूप सेंकने के लिए पानी से बाहर निकलकर चट्टानों में मगर पड़े रहते हैं।जिनका दीदार करने बड़ी संख्या में पर्यटक केन नदी में नौकायन का लुत्फ उठाने के साथ-साथ इस विशालकाय सरीसृप जीव के भी दर्शन करके रोमांचित होते हैं।


 चट्टान के ऊपर चौकन्ना होकर बैठा विशाल मगरमच्छ। फोटो साभार  - अंकित 

उल्लेखनीय है  कि पन्ना नेशनल पार्क के भौंरादेव नौकायन क्षेत्र में 4-5 किमी तक केन नदी में बारहों महीने अथाह जल भरा रहता है । इस अथाह जल राशि में भारी भरकम मछलियों की बड़ी संख्या में मौजूदगी के चलते इस पूरे इलाके में मगर बहुतायत से पाये जाते हैं । मछलियों की प्रचुर उपलब्धता होने से मगरमच्छों को यहाँ  पर्याप्त भोजन मिल जाता है । 

केन नदी के इस क्षेत्र में अत्यधिक गहरा जल  होने से यहाँ  की मनोरम छटा देखते ही  बनती है । नदी में जगह-जगह उभरी चट्टानें अनूठी कलाकृतियों का आभास कराती हैं इन्ही  चट्टानों पर ठंड के इस मौसम में मगरमच्छ गुनगुनी धूप का आनंद लेते हुए  जहाँ -तहाँ  विश्राम करते दिखाई दे जाते हैं । पार्क भ्रमण हेतु पन्ना आने वाले पर्यटक यहाँ  के घने जंगल, गहरे सेहों व वन्यजीवों का दीदार करने के बाद केन नदी के भौंरादेव में नौकायन जरूर करते हैं । 

जंगल के राजा बाघ के दर्शन से पर्यटक यदि वंचित जाते हैं तो केन नदी में जल का राजा मगर जरूर देखने को मिल जाता है। बाघ के दर्शन न हो पाने की निराशा केन नदी में तब दूर हो  जाती है जब पर्यटक मोटरवोट में सवार होकर मगर को चट्टान में बैठे हुए हुए  निकट से निहारते हैं और उन्हें अपने कैमरे में कैद करते हैं। वन अधिकारियों का कहना है कि केन नदी में मगर व घडिय़ाल प्रजाति के सरीसृपों की संख्या में भारी वृद्धि होने से यह स्पष्ट है कि इन जीवों के रहवास हेतु  यहाँ  अनुकूल परिस्थितियां मौजूद हैं  जो प्रजनन में सहायक हैं ।

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