- धार्मिक महत्व के स्थलों व नदियों के किनारे रही मेलों की धूम
- शहर के प्रमुख मन्दिरों में दिनभर चला पूजा-पाठ का दौर
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। मन्दिरों के शहर पन्ना सहित पूरे जिले में मकर संक्रांति का पर्व बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया गया। सूर्य स्नान के पर्व मकर संक्रान्ति पर जिले में कई धर्मस्थलों, नदियों व ऐतिहासिक महत्व के स्थलों पर मेला आयोजन की परंपरा है। यह मेले लोगों को सांस्कृतिक विरासत के दर्शन कराने के अतिरिक्त मनोरंजन व मेल मिलाप के अवसर भी उपलब्ध कराते हैं। मकर संक्रान्ति पर्व पर आज नगर के मंदिरों में भी दिनभर पूजा पाठ का दौरा चला। भगवान जुगुल किशोर जी मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया गया। भगवान को खिचड़ी का भोग लगाया गया।
उल्लेखनीय है कि मकर संक्रान्ति के अवसर पर पन्ना जिले में कई स्थानों पर मेला भरता है। जिले में मेलों की एक पूरी श्रंखला आयोजित होती है। जिसमें सारंगधर, पण्डवन, गंगा झिरिया, अजयगढ़ के अजयपाल व चौमुखनाथ के मेले खास अहमियत रखते हैं। जो पवित्र कुण्डों, नदियों व देव स्थलों पर लगते हैं। इन स्थानों पर परंपरानुसार इस वर्ष फिर मेले आयोजित किये गये, जिसकी समूचे जिले में धूम हैं। जिला मुख्यालय के निकट स्थित सारंगधर में भी हर वर्ष विशाल मेला भरता है। मकर संक्रान्ति पर्व से शुरू होने वाला यह मेला कई दिन तक चलता है। आज मेले के पहले दिन आसपास के ग्रामों से हजारों की संख्या में ग्रामीण व जिला मुख्यालय पन्ना से भी बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचे और सारंग मंदिर में दर्शन किए।
भगवान श्रीराम के परम भक्त मुनि सुतीक्षण की पावन तपस्थली व भगवान राम के वनवास के साक्षी सारंगधर मेले में मकर संक्रान्ति मेले के प्रति लोगों में सदा से ही उत्साह रहा है। जिला मुख्यालय पन्ना का सबसे निकटतम मेला होने के कारण यहां ग्रामीण ही नहीं शहरी लोग भी अपने परिजनों के साथ पहुंचते हैं। पन्ना से बृजपुर मार्ग पर महज 18 किमी दूर इस स्थल पर आज मेले का आयोजन किया जा रहा है। यह वही स्थल है जहां प्रभु श्रीराम ने पृथ्वी को निसचर विहीन करने का प्रंण किया था।
जिला मुख्यालय से लगभग 50 किमी की दूरी पर स्थित सलेहा कस्बे के निकट चर्तुमुखी शिव मंदिर व प्राचीन सरोवर स्थित है। जिसे चौमुखनाथ के नाम से लोग जानते हैं। शिव के ज्योर्तिलिंगों में गिने जाने वाले भगवान चौमुखनाथ महादेव के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा है। मकर संक्रान्ति पर्व पर धार्मिक महïत्व के इस प्राचीन स्थल पर भी मेला भरता है ।
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उल्लेखनीय है कि मकर संक्रान्ति के अवसर पर पन्ना जिले में कई स्थानों पर मेला भरता है। जिले में मेलों की एक पूरी श्रंखला आयोजित होती है। जिसमें सारंगधर, पण्डवन, गंगा झिरिया, अजयगढ़ के अजयपाल व चौमुखनाथ के मेले खास अहमियत रखते हैं। जो पवित्र कुण्डों, नदियों व देव स्थलों पर लगते हैं। इन स्थानों पर परंपरानुसार इस वर्ष फिर मेले आयोजित किये गये, जिसकी समूचे जिले में धूम हैं। जिला मुख्यालय के निकट स्थित सारंगधर में भी हर वर्ष विशाल मेला भरता है। मकर संक्रान्ति पर्व से शुरू होने वाला यह मेला कई दिन तक चलता है। आज मेले के पहले दिन आसपास के ग्रामों से हजारों की संख्या में ग्रामीण व जिला मुख्यालय पन्ना से भी बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचे और सारंग मंदिर में दर्शन किए।
सारंगधर आश्रम का मेला
भगवान श्रीराम के परम भक्त मुनि सुतीक्षण की पावन तपस्थली व भगवान राम के वनवास के साक्षी सारंगधर मेले में मकर संक्रान्ति मेले के प्रति लोगों में सदा से ही उत्साह रहा है। जिला मुख्यालय पन्ना का सबसे निकटतम मेला होने के कारण यहां ग्रामीण ही नहीं शहरी लोग भी अपने परिजनों के साथ पहुंचते हैं। पन्ना से बृजपुर मार्ग पर महज 18 किमी दूर इस स्थल पर आज मेले का आयोजन किया जा रहा है। यह वही स्थल है जहां प्रभु श्रीराम ने पृथ्वी को निसचर विहीन करने का प्रंण किया था।
पण्डवन मेला
मकर संक्राति पर्व का सबसे बड़ा मेला पण्डवन मेला ही है जो जिला मुख्यालय से 48 किमी दूर अमानगंज के निकट स्थित पण्डवन ग्राम में लगता है। सात नदियों के संगम पर आयोजित होने वाले इस मेले के प्रति ग्रामीण व शहरी दोंनो तरह के लोगों के लिए खासा आकर्षक का केन्द्र है। यह मेला मकर संक्राति से प्रारंभ होकर दस दिन तक चलता रहता है। यहां केन नदी का मनोरम दृश्य व पत्थरों का कटाव देखते ही बनता है।गंगा झिरिया मेला
पन्ना- कटनी मार्ग पर पवई से शाहनगर के बीच स्थित टिकरिया के निकट वन प्रांत में गंगा झिरिया नाम का यह सुरम्य व प्राचीन धार्मिक स्थल मौजूद है। गंगा झिरिया नाम का कुण्ड यहां स्थित है। जिसके पानी में तमाम चमत्कारिक गुण हैं। यह पानी भी कभी सूखता नहीं है। मकर संक्रांति के अवसर पर यहां भी विशाल मेला भरता है।अजयपाल किला का मेला
जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर स्थित अजयगढ़ में अजयपाल पहाड़ी पर मकर संक्रांति में मेला लगता है। यह पहाड़ प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्व के स्थलों से परिपूर्ण है। पहाड़ी पर एक प्राचीन दुर्ग स्थित है। कहते हैं कि यह दुर्ग चंदेल राजाओं के बनवाये खजुराहो के मंदिरों से भी पुराने हैं। इस मेले में भी अजयगढ़ सहित आस-पास के ग्रामीण अंचलों से हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं।चौमुख नाथ महादेव
जिला मुख्यालय से लगभग 50 किमी की दूरी पर स्थित सलेहा कस्बे के निकट चर्तुमुखी शिव मंदिर व प्राचीन सरोवर स्थित है। जिसे चौमुखनाथ के नाम से लोग जानते हैं। शिव के ज्योर्तिलिंगों में गिने जाने वाले भगवान चौमुखनाथ महादेव के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा है। मकर संक्रान्ति पर्व पर धार्मिक महïत्व के इस प्राचीन स्थल पर भी मेला भरता है ।
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