- केन-बेतवा लिंक परियोजना की हकीकत जानने पन्ना पहुँचेगी सेन्ट्रल इम्पावर्ड कमेटी
- पर्यावरण प्रेमी तथा पन्ना परिवर्तन मंच केन नदी में प्रस्तावित बांध का कर रहे विरोध
पन्ना टाईगर रिजर्व के बीच से प्रवाहित केन नदी। |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। केन-बेतवा लिंक परियोजना अपने शुरूआती दौर से ही विवादों के घेरे में है। पर्यावरण व वन्य जीव प्रेमियों सहित नदियों पर गहन अध्ययन करने वाली अनेकों समाज सेवी संस्थाओं ने इस प्रस्तावित परियोजना को न सिर्फ पर्यावरण के लिये हानिप्रद बताया है अपितु यह चेतावनी भी दी है कि केन्द्र सरकार की यह महत्वाकांक्षी नदी जोड़ो परियोजना यदि मूर्त रूप लेती है तो बुन्देलखण्ड क्षेत्र का एक मात्र टाईगर पापुलेशन पन्ना टाईगर रिजर्व नष्ट हो जायेगा।
इसी बात को दृष्टिगत रखते हुये कुछ समाजसेवियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी लगाई गई थी। जिसमें यह लेख किया गया है कि केन-बेतवा लिंक परियोजना से पर्यावरण को कितनी क्षति होगी, इसका सही आंकलन नहीं किया गया है। याचिका में उठाये गये बिन्दुओं की पड़ताल करने तथा जमीनी हकीकत जानने के लिये सुप्रीम कोर्ट ने इम्पावर्ड कमेटी गठित की है, जो 27 मार्च बुधवार को पन्ना पहुँच रही है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित यह उच्च स्तरीय कमेटी मौके का जायजा लेने के साथ-साथ टाईगर रिजर्व के अधिकारियों, याचिका कर्ता सहित अन्य लोगों से भी बातचीत करके हकीकत जानने का प्रयास करेगी। इस प्रस्तावित परियोजना का पर्यावरण प्रेमी व पन्ना परिवर्तन मंच के लोग पुरजोर विरोध कर रहे हैं। परिवर्तन मंच के सचिव अंकित शर्मा का कहना है कि केन नदी के नैसर्गिक प्रवाह को रोकना पन्ना जिले के लिये घातक होगा।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित यह उच्च स्तरीय कमेटी मौके का जायजा लेने के साथ-साथ टाईगर रिजर्व के अधिकारियों, याचिका कर्ता सहित अन्य लोगों से भी बातचीत करके हकीकत जानने का प्रयास करेगी। इस प्रस्तावित परियोजना का पर्यावरण प्रेमी व पन्ना परिवर्तन मंच के लोग पुरजोर विरोध कर रहे हैं। परिवर्तन मंच के सचिव अंकित शर्मा का कहना है कि केन नदी के नैसर्गिक प्रवाह को रोकना पन्ना जिले के लिये घातक होगा।
उन्होंने कहा कि इस जीवन दायिनी नदी के कंचन जल पर पहला हक पन्ना जिलावासियों का है, जिन्होंने जंगल और वन्य प्राणियों के वजूद को कायम रखने के लिये अपनी इच्छाओं की कुर्बानी दी है। जंगल व वन्य प्राणियों के संरक्षण हेतु पन्ना जिले के लोगों को प्रगति व विकास की संभावनाओं से वंचित होना पड़ा है। इसलिये कहीं अन्यत्र खुशहाली लाने के लिये यहां की नैसर्गिक सम्पदा को उजाडऩे की इजाजत नहीं मिलनी चाहिये।
गौरतलब है कि केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत ढोंढन गाँव के पास केन नदी पर प्रस्तावित बांध का यदि निर्माण कराया गया तो पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र का बड़ा हिस्सा डूब जायेगा। डूब में आने वाला घने जंगल से आच्छादित यह वन क्षेत्र राष्ट्रीय पशु बाघ व विलुप्ति की कगार में पहुँच चुके गिद्धों का प्रिय रहवास है। बांध बनने पर इस वन क्षेत्र के 14 लाख से भी अधिक वृक्षों का सफाया हो जायेगा।
इस परियोजना के मूर्त रूप लेने में दो से ढाई दशक लगेंगे जिसमें हजारों करोड़ रू. जहां खर्च होंगे वहीं भारी भरकम मशीनों का जहां उपयोग होगा वहीं हजारों मजदूर भी वन्य प्राणियों के इस रहवास में कार्य करेंगे। इन हालातों में यहां नैसर्गिक जीवन जीने वाले वन्य प्राणी कैसे रह पायेंगे ? इस बीच पर्यावरण को कितना नुकसान होगा तथा केन नदी का नैसर्गिक प्रवाह थमने से नीचे के सैकड़ो ग्रामों के लोगों को किस तरह के दुष्परिणाम भोगने पडेंग़े, इस दिशा में भी सोचने व विचारने की महती जरूरत है।
मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में 45 से भी अधिक बाघ स्वच्छन्द रूप से विचरण कर रहे हैं। समूचे बुन्देलखण्ड में एक मात्र बाघों का शोर्स पापुलेशन पन्ना टाईगर रिजर्व में विद्यमान है। वर्ष 2009 में यहां का जंगल बाघ विहीन हो गया था फलस्वरूप बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से बसाने के लिये बाघ पुनर्स्थापना योजना शुरू की गई। जिसे उल्लेखनीय सफलता मिली और बाघ विहीन यह जंगल फिर से आबाद हो गया।
पन्ना टाईगर रिजर्व में 45 से भी अधिक बाघ
नदी के जल में विश्राम करता बाघ परिवार। |
मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में 45 से भी अधिक बाघ स्वच्छन्द रूप से विचरण कर रहे हैं। समूचे बुन्देलखण्ड में एक मात्र बाघों का शोर्स पापुलेशन पन्ना टाईगर रिजर्व में विद्यमान है। वर्ष 2009 में यहां का जंगल बाघ विहीन हो गया था फलस्वरूप बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से बसाने के लिये बाघ पुनर्स्थापना योजना शुरू की गई। जिसे उल्लेखनीय सफलता मिली और बाघ विहीन यह जंगल फिर से आबाद हो गया।
बीते 9 वर्षों में यहां पर 77 से भी अधिक बाघ शावकों का जन्म हुआ है। मालुम हो कि बढ़ती आबादी के दबाव में पन्ना जिले का सामान्य वन क्षेत्र तेजी से उजड़ रहा है। सिर्फ पन्ना टाईगर रिजर्व का कोर क्षेत्र जो 542 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है काफी हद तक सुरक्षित है। लेकिन इसे भी उजाडऩे की तैयारी की जा रही है जो पर्यावरणीय दृष्टि से दुर्भाग्यपूर्ण है।
0 बुन्देलखण्ड क्षेत्र की जीवनदायिनी केन नदी की कुल लम्बाई 427 किमी है।
0 जहां बांध बन रहा है वहां से केन नदी की डाउन स्ट्रीम की लम्बाई 270 किमी है।
0 बांध की कुल लम्बाई 2031 मीटर जिसमें कांक्रीट डेम का हिस्सा 798 मीटर व मिट्टी के बांध की लम्बाई 1233 मीटर है। बांध की ऊँचाई 77 मीटर है।
0 ढोढऩ बांध से बेतवा नदी में पानी ले जाने वाली लिंक कैनाल की लम्बाई 220.624 किमी होगी।
0 बांध का डूब क्षेत्र 9 हजार हेक्टेयर है, जिसका 90 फीसदी से भी अधिक क्षेत्र पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में निहित है।
0 105 वर्ग किमी. का कोर क्षेत्र जो छतरपुर जिले में है, डूब क्षेत्र के कारण विभाजित हो जायेगा। इस प्रकार कुल 197 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र डूब व विभाजन के कारण नष्ट हो जायेगा।
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लिंक परियोजना से जुड़े कुछ तथ्य
0 जहां बांध बन रहा है वहां से केन नदी की डाउन स्ट्रीम की लम्बाई 270 किमी है।
0 बांध की कुल लम्बाई 2031 मीटर जिसमें कांक्रीट डेम का हिस्सा 798 मीटर व मिट्टी के बांध की लम्बाई 1233 मीटर है। बांध की ऊँचाई 77 मीटर है।
0 ढोढऩ बांध से बेतवा नदी में पानी ले जाने वाली लिंक कैनाल की लम्बाई 220.624 किमी होगी।
0 बांध का डूब क्षेत्र 9 हजार हेक्टेयर है, जिसका 90 फीसदी से भी अधिक क्षेत्र पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में निहित है।
0 105 वर्ग किमी. का कोर क्षेत्र जो छतरपुर जिले में है, डूब क्षेत्र के कारण विभाजित हो जायेगा। इस प्रकार कुल 197 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र डूब व विभाजन के कारण नष्ट हो जायेगा।
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दैनिक जागरण में प्रकाशित रिपोर्ट |
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