Tuesday, April 9, 2019

पन्ना जिले के महेबा स्थित प्राचीन जलाशय की हालत दयनीय



  •   अतिक्रमण के चलते मिट रहा इस जीवनदायी तालाब का वजूद 
  •   महेबा गाँव की पहचान था यह प्राचीन जलाशय



। अरुण सिंह 

पन्ना। जल संरक्षण व नवीन तालाबों और बांधों के निर्माण में एक ओर जहां करोड़ों रू. खर्च किये जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जिले के प्राचीन जलाशयों का वजूद मिट रहा है। किसी समय जो तालाब जन जीवन के लिये बेहद उपयोगी हुआ करते थे, वे अब समुचित देखरेख के अभाव व अतिक्रमण के कारण सिमट रहे हैं। इस तरह के उपेक्षित प्राचीन जलाशयों में एक महेबा का तालाब है, जो अतिक्रमण, भीषण गंदगी व जलीय लताओं की वजह से नष्ट होता जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि गुनौर-अमानगंज मार्ग पर स्थित ग्राम महेबा में मुख्य सड़क मार्ग के किनारे यह प्राचीन जलाशय है, जो कुछ दशक पूर्व तक इस गांव के जीवन का आधार था। इस जलाशय के पानी से जहां पूरे गांव का निस्तार होता था वहीं खेतों की ङ्क्षसचाई होने से फसलों की भरपूर पैदावार भी होती थी। पूरे वर्ष भर तालाब में पानी रहने के कारण महेबा व आस-पास जल का स्तर भी बेहतर रहता है। लेकिन इस अत्यधिक उपयोगी प्राचीन जलाशय की देखरेख न होने के कारण यह दुर्दशा का शिकार हो रहा है। 

इस विशाल जलाशय का मनोहारी दृश्य पूर्व में मीलों दूर से नजर आता था, लेकिन अब यह जलाशय बुरी तरह जलीय लताओं से आच्छादित हो गया है तथा तालाब की जमीन में अतिक्रमण करके लोगों द्वारा खेती की जा रही है। जिस भू-भाग में किसी समय अथाह जल भरा रहता था वहां लोग बाड़ लगाकर खेती कर रहे हैं। इतना ही नहीं तालाब की पार व जल भराव क्षेत्र में घर बनाकर भी लोग रहने लगे हैं जिससे इस प्राचीन जलाशय का रकबा दिनों दिन सिमटता जा रहा है। 

महेबा गांव की पहचान रहा यह तालाब अतिक्रमण और मानवीय अत्याचार से अपनी पहचान खोने लगा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि मुख्य सड़क मार्ग के किनारे स्थित होने के कारण इस मार्ग से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति को यह तालाब नजर आता है, लेकिन किसी ने भी तालाब के मिटते वजूद को बचाने तथा उसे अतिक्रमण और हो रही दुर्दशा से मुक्त करने के लिये सार्थक पहल नहीं की। तालाब में जहां-तहां निर्मित पुराने देव स्थल भी जीर्ण-शीर्ण दशा को प्राप्त हो चुके हैं। 

जहां कभी लोग तालाब में स्नान करने के बाद जल चढ़ाकर पूजा अर्चना किया करते थे वे प्राचीन मन्दिर अब गंदगी से घिर गये हैं। यदि समय रहते इस धरोहर के संरक्षण की ओर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले कुछ सालों में यह जलाशय जलीय लताओं से पटकर पूरी तरह से खेत व मैदान में तब्दील हो जायेगा। ऐसी स्थिति में यहां अतिक्रमण का शिकंजा इस कदर कस जायेगा कि तालाब के वजूद को फिर से कायम करना नामुुमकिन हो जायेगा।

तालाबों के वजूद को बचाने हों प्रयास 

प्राचीन तालाब हमारे बहुमूल्य धरोहर हैं, इनके वजूद को बचाने के लिये सार्थक व कारगर पहल होनी चाहिये। पन्ना जिले के शहरी व ग्रामीण अंचलों में स्थित राजाशाही जमाने के प्राचीन जलाशयों का यदि जीर्णोद्धार कराकर उन्हें सुरक्षित और संरक्षित करने के लिये प्रभावी कदम उठाये जायें तो जल संकट से काफी हद तक निजात मिल सकती है। लेकिन शासन व प्रशासन का ध्यान इन जीवनदायी तालाबों को सुरक्षित कर उपयोगी बनाने के बजाय नये बांधों के निर्माण में ज्यादा रूचि ली जा रही है। 

जबकि बीते 5 सालों के दरम्यान जिले में जितने बांध बने हैं उनमें कई बड़े बांध पहली बारिश में ही फूटकर बह गये जो आज तक बनकर तैयार नहीं हुये। जाहिर है कि करोड़ों रू. खर्च करने के बावजूद इन बांधों का कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है। प्राचीन जलाशयों और तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कर उन्हें साफ-सुथरा और उपयोगी बनाने के लिये अभियान चलाया जाना चाहिये। इस तरह के रचनात्मक और जनोपयोगी अभियानों में जिला प्रशासन व समाजसेवी संगठनों को भी सक्रिय भूमिका निभानी होगी ताकि प्राचीन धरोहरों को नष्ट होने से बचाया जा सके।
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