Tuesday, April 16, 2019

खजुराहो लोकसभा क्षेत्र के अनुत्तरित सवाल और मुद्दे



  • हर चुनाव में उठते हैं वही मुद्दे फिर भी हालात जस के तस 
  • कब खत्म होगा जनता को बरगलाने और भ्रमित करने  का सिलसिला 



।। अरुण सिंह, पन्ना ।। 
हर पांच साल में लोकसभा के चुनाव होते हैं जिसमें राजनैतिक दल व प्रत्याशी बड़े - बड़े दावे और वायदे करते हैं लेकिन चुनाव खत्म होते ही सब भूल जाते हैं. यह सिलसिला अनवरत रूप से जारी है, यही वजह है कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र के इस अंचल में दशकों  पूर्व जो मुद्दे उठते रहे हैं वे आज भी कायम हैं। बुन्देलखण्ड  का खजुराहो लोक सभा क्षेत्र तीन जिलों की आठ विधान सभा सीटों से मिलकर बना है।जिनमे छतरपुर की दो, पन्ना की तीन और कटनी की तीन विधान सभा सीटें शामिल हैं।इन तीनों जिलों में पन्ना जिले की स्थिति सबसे ज्यादा दयनीय है।आमतौर पर यहाँ से बाहरी प्रत्यासी ही सांसद चुने जाते रहे हैं नतीजतन उनके द्वारा क्षेत्र के विकास व् बुनियादी समस्याओं के निराकरण में कोई रूचि नहीं  जाती रही। बाहरी जनप्रतिनिधि चुने जाने से यहाँ स्थानीय सक्षम नेतृत्व भी विकसित नहीं हो सका, जिसका खामियाजा यह क्षेत्र आज भी भुगत रहा है। आज भी यहाँ दशकों पुराने सवाल अनुत्तरित हैं,  शिक्षा, स्वास्थ्य,बेरोजगारी,पलायन,कुपोषण,पेयजल संकट सहित अवैध उत्खनन की समस्या भयावह बन चुकी है। हर चुनाव में इन मुद्दों व सवालों को उठाया भी जाता है लेकिन चुनाव के बाद सरे मुद्दे अगले पांच साल के लिए दफ़न हो जाते हैं। आखिर जनता को बरगलाने और मूर्ख बनाने का यह सिलसिला कब तक चलता रहेगा ?
इसे बिडंबना ही कहेंगे कि बद्हाली का दंश झेल रहे बुन्देलखण्ड में विकास के मुद्दे पर चुनाव नहीं होता। कड़वा सच तो यह है कि आज भी यहां के अधिसंख्य मतदाता कपोलकल्पित मुद्दों, जातिवाद व धनबल के प्रभाव में आकर वोट कर देते हैं।  यही वजह है कि विकास के मामले में अत्यधिक पिछड़ा यह क्षेत्र आज भी जस का तस है।  बुनियादी और मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहने के बावजूद इस क्षेत्र के लोग अभी भी चुनाव के समय भ्रमित हो जाते हैं। जाति, धर्म, पूर्वाग्रहों और सड़ी -  गली मान्यताओं से मुक्त होकर योग्य, सक्षम व  विकास के लिए समर्पित प्रत्यासी का चुनाव नहीं करते जिससे नाकारा लोग चुनकर संसद पहुँच जाते हैं जिनका विकास और जनता की समस्याओं से कोई वास्ता नहीं रहता। सवाल पूंछने पर वे उल्टा नसीहत देने लगते है कि हम राष्ट्र को मजबूत और शक्तिशाली बनाने के महती अभियान में जुटे हैं, इस बड़े लक्ष्य को पाने के लिए जनता को कुछ तो त्याग करना पड़ेगा और कष्ट भी उठाना पड़ेगा। देश व राष्ट्रहित की  बात सुनकर जनता अपना दुःख दर्द भूलकर चुप हो जाती है और नेता जी पूरे  पांच साल सत्ता सुख का बिना किसी अवरोध के भोग करते हैं। कपोलकल्पित मुद्दों से भ्रमित कर तथा समाज में जातिवाद का जहर घोलकर अपनी नेतागिरी चमकाने वाले लोगों की असलियत जानने और समझने की जरूरत है, तभी सक्षम, योग्य और क्षेत्र के विकास हेतु समर्पित व्यक्ति का चुनाव संभव हो सकेगा और यह पिछड़ा इलाका भी अन्य दूसरे क्षेत्रों की तरह विकास की राह पर अग्रसर हो सकेगा।
मालुम हो कि खजुराहो संसदीय क्षेत्र में तीन जिलों की आठ विधान सभा सीटें आती हैं, जिनमें पन्ना जिले की तीन सीटे शामिल हैं. सबसे बुरी स्थिति इन्हीं तीन विधानसभा क्षेत्रों की है जहां शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क, कुपोषण, गरीबी, बेरोजगारी, शोषण जैसी अनगिनत समस्यायें हैं।  प्रकृति ने पन्ना जिले को प्राकृतिक संपदा से समृद्ध किया है, यहां विकास की विपुल संभावनायें भी हैं फिर भी यह गरीब और दीन हीन है।  विकास के लिए यहां अनेको अवसर भी आये लेकिन जनप्रतिनिधियों की अपराधिक लापरवाही और निष्क्रियता के कारण उस अवसर का फायदा दूसरे जिलों ने उठा लिया।  पन्ना जिले की प्राकृतिक आबोहवा व माहौल शिक्षा के अनुकूल है।  यह जिला यदि शिक्षा का हब बन जाये तो अन्य दूसरी समस्याओं का निराकरण स्वमेव हो सकता है।  लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि शिक्षा की यहां पर सबसे बद्हाल दशा है। चुनाव लड़ रहे ज्यादातर प्रत्याशी धन बल, बाहुबल व जातिवाद के सहारे सांसद बनने की ख्वाहिश रखते हैं, लेकिन उनके जेहन में जल, जंगल, जमीन, मानवाधिकार व सामुदायिक अधिकार से ताल्लुक रखने वाले सवाल नहीं कौंधते।  जंगल तेजी से कट रहे हैं, अवैध उत्खनन भी बेखौफ जारी है. यदि यही रवैया रहा तो न जंगल बचेगा न पानी, जीव जन्तु भी गायब हो जायेंगे, फिर भला हमारा वजूद कैसे कायम रह सकेगा। कुछ मुट्ठी भर लोगों का विकास यदि जंगल व आदिवासियों को उजाड़कर हो तो इसे मंजूर नहीं किया जा सकता. प्राकृतिक संसाधनों को कारपोरेट घरानों को सौंपे जाने की योजना भी खतरनाक है, यह इस क्षेत्र के वाशिंदों के हित में नहीं है।  कारपोरेट घरानों के लोग जंगल और खेत उजाड़कर मुनाफा कमाकर चले जायेंगे लेकिन यहां के लोग कहां जायेंगे।  इस क्षेत्र के चहुंमुखी विकास के लिए सार्थक बहस व चर्चा होनी चाहिए तथा उसी के अनुरूप विकास की योजना बनाई जाकर उस पर क्रियान्वयन होना चाहिए तभी इस पिछडे क्षेत्र की तकदीर व तस्वीर बदल सकती है, सिर्फ झूंठ  बोलने व कोरे आश्वासनों से कुछ  होने वाला नहीं है।

ऐसे कुछ  मुद्दे जिन पर चर्चा जरुरी 


0  पन्ना को शिक्षा का हब बनाया जाय. ताकि यहां के युवकों को उच्च तकनीकी शिक्षा यहीं  मिल सके, इस हेतु इंजीनियरिंग कॉलेज, कृषि महाविद्यालय की स्थापना हो। फारेस्ट रिसर्च व ट्रेनिंग सेन्टर भी यहां खुले। 
0  पर्यटन के विकास की इस क्षेत्र में व्यापक संभावनायें हैं।  पन्ना के अनूठे मन्दिरों, मनोरम प्राकृतिक स्थलों व टाइगर रिजर्व का लाभ उठाने की योजना बने. इससे रोजगार के अवसरों का भी सृजन होगा। 
0  स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में यह क्षेत्र बहुत पीछे है, बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता हेतु प्रभावी पहल हो। 
0  वनोपज की प्रचुर उपलब्धता को देखते हुए यहां पर ईको फ्रेन्डली उद्योगों की योजनाबद्ध तरीके से स्थापना हो। 
0  केन वेतवा लिंक परियोजना पन्ना जिले लिए घातक है, इसका हर स्तर  पर पुरजोर विरोध जरुरी है।   
0  पन्ना शहर को  जल संकट से निजात दिलाने तथा  लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने केन नदी का पानी पन्ना लाया जाय। 

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