Saturday, April 20, 2019

गाँव-गाँव तालाब बनेगा, तभी हमारा वोट मिलेगा



  •   खजुराहो लोकसभा क्षेत्र अन्तर्गत पन्ना जिले के ग्रामों में गूँज रहा  यह नारा
  •   बुन्देलखण्ड के इस इलाके में बेरोजगारी, सूखा, पलायन और जल संकट की समस्या गम्भीर




अरुण सिंह,पन्ना। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के अधिकांश इलाकों में बेरोजगारी, सूखा, पलायन और जल संकट गम्भीर समस्या है जिसके निराकरण हेतु किसी भी राजनैतिक दल द्वारा कोई भी सार्थक पहल व प्रयास नहीं हुआ, जिससे यहां के वाङ्क्षशदों को समस्याओं से जूझना नियति बन चुकी है। गर्मी के इस मौसम में पानी के लिये भटकने को मजबूर पन्ना जिले के रैपुरा क्षेत्र में तकरीबन 10 ग्रामों के लोगों ने एक स्वर में यह कहना शुरू कर दिया है कि हमें जल संकट से निजात दिलाया जाये। इस इलाके के इन ग्रामों में यह नारा गूँज रहा है, गाँव-गाँव तालाब बनेगा, तभी हमारा वोट मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले की तीनों विधानसभा सीटें खजुराहो लोकसभा के अन्तर्गत आती हैं। मौजूदा समय लोकसभा चुनाव की सरगर्मी उफान पर है और सभी प्रमुख राजनैतिक दलों के प्रत्याशी येन केन प्रकारेण वोट हथियाकर चुनावी वैतरणी को पार करने की जुगत में जुटे हुये हैं। चुनाव में आम जनता से जुड़े मुद्दों व समस्याओं पर चर्चा करने के बजाय राजनीतिक दलों के प्रत्याशी गैर जरूरी बातों जिनसे आम जनता को कोई लेना देना नहीं है, उन बातों और मुद्दों पर उलझाने के प्रयास किये जा रहे हैं। ताकि उन्हें ज्वलंत समस्याओं और तीखे सवालों का सामना न करना पड़े। राजनैतिक दलों के इस बेरुखी और असल मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के हो रहे प्रयासों को देख जनता भी चौकन्नी हो गई है। गाँव-गाँव तालाब बनेगा, तभी हमारा वोट मिलेगा नारे को बुलन्द करते हुये ग्रामीणों ने मिलकर जल जीवन संगठन गठित किया है।
मालुम हो कि पन्ना जिले में देहरादून का लोका विज्ञान संस्थान लोगों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिये अभियान चला रहा है, जिसके तहत हर गाँव में ग्राम स्वराज समितियां गठित की गई हैं। इनमें से तीन ग्राम पंचायतों, फतेपुर, बीरमपुरा और बिलपुरा की समितियों के प्रतिनिधियों ने पिछले दिनों सिहारन गाँव में एक बैठक की थी। इसी बैठक में राजनैतिक दलों के उम्मीदवारों पर दबाव बनाने के लिये गाँव-गाँव तालाब बनेगा, तभी हमारा वोट मिलेगा अभियान चलाने का फैसला हुआ। ग्राम अलोनी की ग्राम स्वराज समिति के अध्यक्ष खिलावन सिंह  ने बताया कि बैठक में जल संकट पर चर्चा की गई। सभी ने यह तय किया है कि चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधियों व राजनैतिक दलों में दबाव बनाने के लिये इलाके के ग्रामों में अभियान चलाया जाये। इस अभियान के जरिये तालाबों के पुनर्जीवन और जल संकट की ओर राजनैतिक दलों का ध्यान खींचना चाहते हैं। जल संकट की गम्भीर समस्या को लेकर राजनैतिक दलों को ज्ञापन सौंपे जाने की भी योजना बनाई गई है।

ग्रामीण नाले का पानी पीने को मजबूर



जल संकट की गम्भीर हो चुकी समस्या का जिक्र करते हुये तिलकरानी बताती हैं कि पानी की किल्लत ने महिलाओं की जिन्दगी को समस्याओं से भर दिया है। हालात यह हैं कि महिलाओं और किशोरियों का अधिकांश समय पानी के इंतजाम में ही गुजर जाता है। नेता चुनाव के समय वोट माँगने आते हैं, आश्वासन भी देते हैं लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद करते कुछ भी नहीं हैं। ग्रामीणों ने बताया कि रैपुरा क्षेत्र में कुछ गाँव तो ऐसे हैं जहां लोगों को गाँव से एक-डेढ़ किमी दूर स्थित नाले का पानी पीने के लिये लाना पड़ता है। ग्रामीणों ने केन-बेतवा लिंक  परियोजना का विरोध करते हुये कहा कि हमारे खेतों को पानी नहीं मिल रहा और हम लोग पेयजल के लिये यहां-वहां भटकते फिरते हैं फिर भी यहां का पानी दूसरी जगह ले जाने की योजना बनाई जा रही है, जो हमें मंजूर नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि बड़े बांध बनाने के बजाय गाँव-गाँव छोटे तालाबों का निर्माण कराया जाना चाहिये।
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