Monday, July 15, 2019

फादर ऑफ़ दि पन्ना टाइगर रिज़र्व टी - 3 घायल

  •  बाघों से विहीन पन्ना टाईगर रिजर्व को इसी वनराज ने किया है आबाद
  • पेंच  टाईगर रिजर्व से 7 नवम्बर 2009 को लाया गया था पन्ना
  •            मौजूदा समय बाघ टी-3  आयु हो चुकी है 17 वर्ष 


पन्ना टाईगर रिजर्व का बुजुर्ग बाघ टी-3।  (फाइल फोटो)

अरुण सिंह,पन्ना। बाघ पुनर्स्थापना  योजना को चमत्कारिक सफलता दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाला पन्ना टाईगर रिजर्व का सबसे बुजुर्ग बाघ टी-3 आपसी जंग में घायल हो गया है। अत्यधिक उम्रदराज हो जाने के कारण यह बाघ कोर क्षेत्र के बाहर विगत कई महीनों से विचरण कर रहा था। पिछले कुछ समय से बाघ टी-3 बलैया सेहा के आस-पास वाले इलाके में अपना ठिकाना बनाये था, जहां पन्ना में ही जन्मे नर बाघ पी-213(31) से टी-3 का आमना-सामना हो गया। इलाके को लेकर इन दोनों के बीच हुई लड़ाई में युवा बाघ पी-213(31) ने टी-3 को बुरी तरह जख्मी कर दिया है। टी-3 के पैर में जख्म हैं, घायल होने पर यह बाघ बलैया सेहा वाला इलाका छोड़कर रमपुरा के जंगल में पहुँच गया है।
क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया ने घटना की पुष्टि करते हुये बताया कि टी-3 के पैरों में जख्म है, फिर भी वह चल फिर रहा है। मालुम हो कि वर्ष 2009 में पन्ना टाईगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था, उस समय बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत पेंच टाईगर रिजर्व से 7 नवम्बर 2009 को इसे पन्ना लाया गया था। उस समय बाघ टी-3 की उम्र तकरीबन 7 वर्ष की थी। बीते 10 वर्षों में इस बाघ ने पन्ना में एक नया इतिहास रचते हुये बाघ विहीन पन्ना टाईगर रिजर्व को आबाद कर यहां पर बाघों की नई दुनिया बसा दी। मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व में जितने भी बाघ हैं वे सब टी-3 की ही संतान हैं। यही वजह है कि इस बुजुर्ग बाघ को फादर ऑफ दि पन्ना टाईगर रिजर्व भी कहा जाता है।

जंगल में बाघ की औसत उम्र होती है 12 से 14 वर्ष

खुले जंगल में आमतौर पर बाघ की औसत उम्र अधिकतम 12 से 14 वर्ष होती है, जिसे पन्ना क यह बाघ 3 वर्ष पूर्व ही पूरी कर चुका है। खुले जंगल में चुनौतियों के बीच स्वच्छन्द रूप से विचरण करते हुये इतने उम्रदराज बाघ को देखना किसी अजूबा से कम नहीं है। वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने बाघ टी-3 के संबंध में जानकारी देते हुये बताया कि इसके दांत गिर गये हैं तथा यह अब कोर क्षेत्र से बाहर पेरीफेरी में रह रहा है। अधिक उम्र हो जाने की वजह से टी-3 वन्यजीवों का शिकार कर पाने में अब सक्षम नहीं है, यही वजह है कि वह कोर क्षेत्र से बाहर पेरीफेरी में रहकर मवेशियों का शिकार करके जीवित है।

लड़ाई में जख्मी हुये बाघ की हो रही है निगरानी

आपसी लड़ाई में घायल हो चुके बुजुर्ग बाघ टी-3 की हर गतिविधि पर वन अमले द्वारा नजदीक से नजर रखी जा रही है। क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने बताया कि पैरों में जख्म हैं, फिर भी यह चल फिर रहा है। बाघ के जख्म जल्दी भर सकें, इसके जो भी संभव उपाय हैं, वह पार्क प्रबंधन द्वारा किया जा रहा है। चूंकि टी-3 की उम्र बहुत अधिक हो चुकी है, इसलिये उसे टन्क्यूलाइज कर मलहम पट्टी नहीं की जा सकती। ऐसी स्थिति में प्राकृतिक रूप से ही जख्म ठीक होने का इंतजार किया जा रहा है। इस बीच फिर किसी बाघ से टी-3 की भिड़ण्त न होने पाये, इसके लिये निगरानी टीम हर समय इस पर नजर रखेगी।
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