- आयोजित हुई पर्यावरणीय जनसुनवाई में उठे विरोध के स्वर
- पर्यावरण मंत्रालय को प्रस्तुत रिपोर्ट में तथ्यों को छिपाने का आरोप
पर्यावरणीय जनसुनवाई में ग्रामीणों का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता चन्द्रबदन तिवारी |
अरुण सिंह,पन्ना। जिले में अमानगंज क्षेत्र अन्तर्गत हरदुआकेन, पुरैना, सोतीपुरा, मड़ैयन तथा ककरा में सीमेन्ट औद्योगिक इकाई की स्थापना के लिये म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरणीय जनसुनवाई का आयोजन बीते रोज ग्राम पंचायत देवरा में किया गया। भारी गहमा-गहमी और हंगामे के बीच संपन्न हुई इस पर्यावरणीय जनसुनवाई में ग्रामीणों द्वारा उनके हितों की अनदेखी करने का जहां आरोप लगाया गया वहीं यह भी कहा गया कि कम्पनी ने उक्त परियोजना की इनवायरमेंटल इम्पेक्ट असेसमेन्ट स्टडी रिपोर्ट जो वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार को सौंपी गई है, उसमें वास्तविक तथ्यों को छिपाया गया है। आयोजित हुई इस पर्यावरणीय जनसुनवाई में अपर कलेक्टर जे.पी. धुर्वे, एसडीएम भूपेन्द्र रावत, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय सागर के अधिकारी, प्रस्तावित सीमेन्ट औद्योगिक इकाई के अधिकारी व कर्मचारी तथा प्रभावित होने वाले ग्रामों के लोग मौजूद रहे।
उल्लेखनीय है कि आयोजित हुई इस पर्यावरणीय जनसुनवाई में हंगामा होने की आशंका तथा औद्योगिक इकाई की स्थापना व उत्खनन से होने वाले नुकसान को लेकर जनता में उपजे असंतोष को देखते हुये भारी सुरक्षा इंतजाम किये गये थे ताकि जनसुनवाई स्थल पर अप्रिय स्थिति निर्मित न हो। इन हालातों में प्रभावित होने वाले ग्रामों के ज्यादातर लोग जनसुनवाई में अपनी बात रखने से वंचित रह गये। इस स्थिति में समस्त ग्रामवासियों व प्रभावित होने वाले किसानों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता चन्द्रबदन तिवारी जो इसी क्षेत्र के निवासी हैं, उन्होंने लिखित आवेदन पर्यावरणीय जनसुनवाई की अध्यक्षता कर रहे अपर कलेक्टर जे.पी. धुर्वे को सौंपकर बिन्दुवार आपत्ति दर्ज कराई है। आवेदन में लेख किया गया है कि कम्पनी द्वारा जो भूमि क्रय की गई है, उसमें अधिकांश दो फसली और सिंचित भूमि है, जबकि कम्पनी द्वारा एक फसली बताया गया है। जिससे प्रथम दृष्टया यह प्रमाणित है कि परियोजना में किसानों के हितों को अनदेखा किया जाकर वास्तविक तथ्यों को छिपाया गया है। जिससे उपरोक्त तथ्यों की पुन: जाँच किया जाना आवश्यक है।
मानव स्वास्थ्य पर पड़ेगा प्रतिकूल प्रभाव
सीमेन्ट औद्योगिक इकाई की स्थापना होने पर यहां पर चूना पत्थर का उत्खनन बड़े पैमाने पर होगा तथा ब्लाङ्क्षस्टग भी कराई जायेगी, जिसका मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। आवेदन में लेख किया गया है कि ग्राम ककरा, देवरा, सप्तई, जूड़ी, सोतीपुरा आदि में कम्पनी ने ग्राम से लगे हुये खेत किसानों से क्रय किये हैं जो एरिया कोर जोन खनन क्षेत्र है। जिससे भविष्य में ग्रामवासियों का रहना मुश्किल हो जायेगा। उत्खनन कार्य में जो ब्लाङ्क्षस्टग व भारी मशीनरी का उपयोग होगा उससे ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ क्रिस्टलीन सिलिका की धूल निकलेगी, जिसके कारण ग्रामवासी लाइलाज सिलिकोसिस जैसी घातक बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं। सिलिकोसिस बीमारी से ग्रामीणों को बचाने के लिये कोर जोन से लगे हुये सभी ग्रामों के विस्थापन की स्थिति निॢमत हो सकती है। जिसे देखते हुये ग्रामीणों के हित में उचित कानूनी प्रावधान होना चाहिये।जमीन के क्रय-विक्रय में घोटाला की आशंका
अधिवक्ता चन्द्रबदन तिवारी द्वारा अपर कलेक्टर को सौंपे गये आवेदन में यह आशंका व्यक्त की गई है कि जमीन के क्रय-विक्रय में बड़ा घोटाला व षडय़ंत्र चल रहा है। उन्होंने लेख किया है कि ग्राम पंचायत देवरा के अन्तर्गत वर्ष 1985-86 के पूर्व व बाद में लगभग 40-50 एकड़ भूमि हरिजन आदिवासी भूमिहीन व्यक्तियों को 4-4, 5-5 एकड़ भूमि के पट्टे दिये गये थे। जिसमें से अधिकांश आदिवासी रोजी-रोटी की तलाश में पलायन कर चुके हैं, कुछ लोगों की मृत्यु हो चुकी है तथा कुछ को अपनी जमीन की जानकारी ही नहीं है। परन्तु राजस्व रिकार्ड में जमीन उनके नाम दर्ज है। इस जमीन का अधिगृहण करने तथा क्रय-विक्रय करने के संबंध में षडय़ंत्र चल रहा है। ऐसी स्थिति में सभी हरिजन आदिवासियों के पट्टे संज्ञान में लिये जाकर विधिवत जाँच करवाई जाये।00000
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