Sunday, August 4, 2019

कोई तरस रहा उजियारे को, कोई सूरज बांध के सोता है

  •   'अंधेरों ने पत्र लिखा सूरज के नाम' काव्य कृति का हुआ लोकार्पण
  •   छत्रसाल महाविद्यालय के सभाकक्ष में रहा साहित्य रसिकों का जमावड़ा
  •   अच्छी कविता अपने समय के साथ भविष्य की भी बात करती है : डॉ. शर्मा


छत्रसाल महाविद्यालय के सभा कक्ष में  काव्य कृति के लोकार्पण अवसर पर मंचासीन अतिथि गण। फोटो - अरुण सिंह 

। अरुण सिंह 

पन्ना। अंधेरों ने पत्र लिखा सूरज के नाम काव्य कृति के लोकार्पण अवसर पर आज छत्रसाल महाविद्यालय पन्ना के सभाकक्ष में समूचे जिले के साहित्य रसिकों, बुद्धिजीवियों व शिक्षाविदों का जमावड़ा रहा। इस मौके पर वक्ताओं ने साहित्य के विविध आयामों पर प्रकाश डालते हुये अंधकार और प्रकाश की गहन विवेचना की। किसी ने कहा कि अंधकार का अपने आपमें कोई वजूद नहीं होता, वह तो महज प्रकाश की अनुपस्थिति है, प्रकाश की मौजूदगी होते ही अंधकार तिरोहित हो जाता है। 

कार्यक्रम में मौजूद कुछ लोगों ने अंधकार की महत्ता पर भी प्रकाश डाला और कहा कि अंधकार के बिना प्रकाश की ओर यात्रा नहीं हो सकती। बीज का अंकुरण गहन अंधकार में ही होता है, तभी उसका साक्षात्कार रोशनी से हो पाता है। अंधेरे में ही सृजन के अंकुर फूटते हैं, तभी कोपलें बाहर निकलकर हवाओं के साथ नृत्य करते हुये सूरज से बातें कर पाती हैं।

सेवानिवृत्त वाणिज्यिक कर अधिकारी एवं साहित्यकार बी.एम. नायक की अंधेरों ने पत्र लिखा सूरज के नाम काव्य कृति के लोकार्पण अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि प्रख्यात साहित्यकार डॉ. सत्येन्द्र शर्मा जहां उपस्थित रहे, वहीं छत्रसाल महाविद्यालय पन्ना के पूर्व प्राचार्य डॉ. टी.आर. नायक, डॉ. ए.के. खरे, नपा अध्यक्ष मोहन लाल कुशवाहा, डॉ. एच.एस. शर्मा, डॉ. पी.पी. मिश्रा मंचासीन रहे। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन अपने चिर परिचित अंदाज में प्रो: एस.एस. राठौर ने किया। 

कार्यक्रम का शुभारंभ शास्त्रीय संगीत के शिक्षक जनार्दन खरे द्वारा सुमधुर स्वर में प्रस्तुत की गई सरस्वती वन्दना के साथ हुआ। तबले पर उनका साथ भगवत प्रसाद मिश्रा ने दिया। स्वागत गीत विजय कुमार शर्मा ने सस्वर प्रस्तुत किया। तदुपरान्त मंचासीन अतिथियों द्वारा काव्य कृति अंधेरों ने पत्र लिखा सूरज के नाम का लोकार्पण किया।

समारोह को संबोधित करते हुये मुख्य अतिथि डॉ. सत्येन्द्र शर्मा ने कहा कि अच्छी कविता जहां एक ओर अपने समय की कविता होती है, वहीं वह भविष्य की भी बात करती है। वर्तमान व भविष्य दोनों को अपने जेहन में समेटने वाली कविता ही कालजयी कृति बनती है। पुस्तक के रचयिता श्री नायक ने कविता में अपने परिजनों सहित छत्रसाल महाविद्यालय की यादों को भी संजोया है। उन्होंने नगर के चित्रकार लल्लू भैया एवं अजयगढ़ के देवीदयाल पाठक को याद करते हुये कृतज्ञता ज्ञापित की है। 

डॉ. शर्मा ने कहा कि नायक जी की कविता में व्यक्ति से समष्टि तक जन तंत्रीय व्यवस्था, व्यथा की बात विशेष उल्लेखनीय है। जन तंत्रीय प्रणाली एवं नारी की संवेदना दोनों ही नाजुक विषयों पर उनका चित्रण सराहनीय है। उनकी कविता में ज्ञान की सुरसरि प्रवाहित है। कार्यक्रम में डॉ. टी.आर. नायक, डॉ. पी.पी. मिश्रा तथा डॉ. एच.एस. शर्मा ने भी काव्य कृति पर प्रकाश डालते हुये सारगर्भित उदबोधन  दिया। 

इस मौके पर छत्रसाल महाविद्यालय पन्ना के पूर्व छात्र रहे प्रदीप सिंह राठौड़, मुरारी लाल थापक, रोनी जेम्स, कल्लू दीक्षित सहित नगर के साहित्यकारों में एस. कुमार चनपुरिया, गोविन्द यदुवंशी, पं. उमादेव उपाध्याय, सुरेश सौरभ, जगदीश कुशवाहा, प्रदीप श्रीवास्तव दीप, उपेन्द्र मिश्र, सीताराम कुशवाहा, शम्भू प्रसाद खरे, श्रीमति राधा जनार्दन, श्रीमति भूमि कुमारी, रामआसरे सोनी व अश्वनी चौबे की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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