Wednesday, October 9, 2019

परम्परानुसार महाराजा छत्रसाल के वंशज को सौंपी गई तलवार

  •   खेजड़ा मन्दिर में हजारों श्रद्धालु सैकडों वर्षों से चली आ रही परम्परा के बने साक्षी
  •   महामति प्राणनाथ जी व बुन्देल केशरी महाराजा छत्रसाल के जयकारों से गूँजा पन्ना


 महाराज छत्रसाल के वंशज को तलवार व बीरा भेंट करते हुए।

अरुण सिंह,पन्ना। बुन्देल केशरी महाराजा छत्रसाल के वंशजों को दशहरा के दिन खेजड़ा मन्दिर में पान बीरा और तलवार भेंट किये जाने की प्राचीन परम्परा का निर्वहन पूरे विधि विधान और उत्साहपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ। पद्मावतीपुरी धाम पन्ना के प्राचीन खेजड़ा मन्दिर मेंं महामति के हजारों अनुयायी व श्रद्धालु अपरान्ह 4 बजे से ही मन्दिर प्रांगण में एकत्रित हो गए और उस घड़ी का इंतजार करने लगे जो आज से लगभग  चार सौ वर्ष पूर्व घटी थी। उस समय महामति श्री प्राणनाथ जी द्वारा छत्रसाल जी को दिव्य तलवार व वीरा भेंट कर उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया था। महामति श्री प्राणनाथ जी से मिले इस आशीर्वाद के उपरान्त उन्होंने ऐतिहासिक 52 लडाईयां मुगलों के खिलाफ  जीती थीं। तभी से इस प्राचीन परम्परा के निर्वहन में प्रतिवर्ष दशहरा के दिन महाराज छत्रसाल के वंशजों को तलवार व वीरा भेंट किया जाता है। इस समारोह में भाग लेने तथा परम्परानुसार पानी वीरा व तलवार भेंट किये जाने के दृश्य को निहारने के लिये हजारों की संख्या में प्रणामी सम्प्रदाय के अनुयायी व श्रद्धालु यहां पहुँचते हैं।
उल्लेखनीय है कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक महाराज छत्रसाल के वंशज जैसे ही खेजड़ा मन्दिर पहुंचे, प्राणनाथ प्यारे और  महाराजा छत्रसाल के जयकारों से समूचा वातावरण गूँज उठा। मंगलवार शाम 7 बजे के लगभग पन्ना महाराजा राघवेन्द्र सिंह जू देव को मन्दिर के पुजारी द्वारा तलवार व वीरा भेंटकर परम्परा निभाई गई। इस परम्परा के साक्षी बने देश-विदेश से आए हजारों सुन्दरसाथ श्रद्धालुओं ने अपने आप को धन्य महसूस करते हुए श्री जी के चरणों में मत्था टेका। मालुम हो कि महामति श्री प्राणनाथ जी ने बुन्देलखण्ड की रक्षा के लिए महराजा छत्रसाल को वरदानी तलवार सौंपी थी तथा वीरा उठाकर संकल्प करवाया था जिससे महाराजा छत्रसाल मुगलों के खिलाफ लड़ी गई सभी 52 लड़ाईयों को जीतने में सफल हुये थे। अपराजेय महाराजा छत्रसाल ने अपना साम्राज्य स्थापित कर पन्ना को राजधानी बनाया था। पन्ना में उसी समय से इस परम्परा का निर्वहन किया जा रहा है। विजयादशमी के दिन सायं 6 बजे से 8 बजे के बीच आयोजित इस गरिमामयी कार्यक्रम में श्री प्राणनाथ जी मन्दिर के पुजारी महाराज छत्रसाल के वंशजों का तिलक कर वीरा व तलवार देकर इस पुरानी रस्म को निभाते हैं।

महोत्सव में दिखी सांस्कृतिक विविधता की झलक


 खेजड़ा मन्दिर प्रांगण में आयोजन के दौरान मौजूद श्रद्धालु।

पन्ना के खेजड़ा मन्दिर में आयोजित इस भव्य समारोह को देखने के लिये हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा रहा। देश के कोने-कोने से यहां पहुँचे श्रद्धालुओं की सांस्कृतिक विविधता देखते ही बन रही थी। कोई नेपाल से आया था तो कोई सिक्किम से, कोई गुजरात से आया था तो कोई महाराष्ट्र से यहां पहुँचा था। महोत्सव के बीच जब महाराज छत्रसाल के वंशज पन्ना महाराज राघवेन्द्र ङ्क्षसह जू देव साथ में राजपरिवार के सदस्यगण पधारे तो सभा भवन प्राणनाथ जी की जय व बुन्देल केशरी महाराजा छत्रसाल के जयकारों से गूँज उठा।

धर्मगुरूओं ने महाराज छत्रशाल के शौर्य का किया बखान

समारोह में प्रणामी सम्प्रदाय के धर्म गुरूओं द्वारा महाराजा छत्रसाल के शौर्य, साहस और बहुमुखी प्रतिभा का बखान किया गया जिसे उपस्थित श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव के साथ मंत्रमुग्ध होकर सुना। इस मौके पर महामति श्री प्राणनाथ जी द्वारा दिए गए आशीर्वाद स्वरूप दिव्य तलवार व बीरा का महत्व भी बतलाया गया। धर्मोपदेशक पं. खेमराज जी ने इस स्थान की विशेषता तथा अखंड मुक्तिदाता, निष्कलंक बुद्ध अवतार, प्राणनाथ जी की महिमा सुनाते हुए कहा कि इसी स्थान से नरबीर केसरी महाराजा छत्रसाल साकुण्डल हुये थे और पूरे देश में एकता, सामाजिक समरसता का वह भाव जो उन्हें महामति प्राणनाथ जी ने दिया था उसे विस्तारित किया था। आपने कहा कि यह महामति का आशीर्वाद ही था कि छत्रसाल छत्ता हो गए और उनके तेज से सारे सुल्तान घबऱाने लगे। भोपाल से आये धर्माचार्य रूपराज शर्मा ने भी उपस्थित जनसमूह को महाराजा छत्रसाल व महामति श्री प्राणनाथ जी की महिमा बताई। जैसे ही मन्दिर के पुजारी जी ने पन्ना महाराजा राघवेन्द्र  सिंह जू देव को तिलक कर वीरा देते हुए तलवार दिया महोत्सव में उपस्थित सैकड़ों लोग महामति प्राणनाथ की जय, महाराज छत्रसाल की जय तथा सभी सुन्दरसाथ की जय का उद्घोष किया। इस अवसर पर श्री प्राणनाथ मन्दिर ट्रस्ट के पदाधिकारी अजय शर्मा, जयप्रकाश शर्मा, प्रबंधक राजकिशन शर्मा व न्यासीगण सहित धर्माचार्य व हजारों की संख्या में देश-विदेश से आये सुंदरसाथ उपस्थित रहे।
00000

दैनिक जागरण में प्रकाशित रिपोर्ट। 

No comments:

Post a Comment