- इस लाइलाज बीमारी के लिये पन्ना हाई रिस्क जिलों में शामिल
- जिले में फाइलेरिया के 1613 मरीज हो चुके हैं पंजीकृत
- अजयगढ़ क्षेत्र के 9 ग्रामों में फाइलेरिया का सर्वाधिक प्रकोप
मीडिया एडवोकेसी कार्यशाला में पत्रकारों को जानकारी देते मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी । |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। लाइलाज कही जाने वाली फाइलेरिया की बीमारी पन्ना जिले में सैकड़ों लोगों को विकलांग बना रही है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज जीते जी मौत से भी बद्तर जिंदगी जीने को मजबूर हैं। मंगलवार को आईपीडीपी सभाकक्ष में आयोजित मीडिया एडवोकेसी कार्यशाला को सम्बोधित करते हुये मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी ने बताया कि पन्ना जिले में फायलेरिया के 1613 मरीज पंजीकृत है। जिनमें से 875 मरीज अण्डकोस में सूजन या हाईड्रोसिल और 738 मरीज हॉथी पांव या लिम्फेडिमा के है।
जिले में 17 हाईरिस्क ग्राम व नगर हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 09 ग्राम अजयगढ़ क्षेत्र में हैं। हाईरिस्क ग्राम व नगरों में इस वर्ष विशेष अधिकारियो की ड्यूटी लगाई जावेगी। सम्पूर्ण जिले में ग्राम अभ्युदय दलों के माध्यम से 100 प्रतिशत दवा सेवन का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश में फायलेरिया बीमारी की दृष्टि से जिले का स्थान छतरपुर के पश्चात दूसरे क्रम पर है।
आपने बताया कि गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी राष्ट्रीय फाइलेरिया दिवस कार्यक्रम 11 जनवरी 2020 से जिले में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें दो वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को सामूहिक रूप से फाइलेरिया रोधी दवा (डी.ई.सी एवं एलवेन्डाजोल) का सेवन कराया जाना है। केवल गर्भवती माताओं, अतिवृद्ध और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को फायलेरिया रोधी दवा का सेवन नही कराना है। पन्ना जिले में मॉप अप राउंड 12 जनवरी एवं 13 जनवरी 2020 को आयोजित होगा। जिसमें दवा सेवन से छूटे हुये लोगों को पुनः घर-घर जाकर दवा सेवकों द्वारा अपने सामने दवा सेवन कराया जावेगा।
आपने बताया कि गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी राष्ट्रीय फाइलेरिया दिवस कार्यक्रम 11 जनवरी 2020 से जिले में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें दो वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को सामूहिक रूप से फाइलेरिया रोधी दवा (डी.ई.सी एवं एलवेन्डाजोल) का सेवन कराया जाना है। केवल गर्भवती माताओं, अतिवृद्ध और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को फायलेरिया रोधी दवा का सेवन नही कराना है। पन्ना जिले में मॉप अप राउंड 12 जनवरी एवं 13 जनवरी 2020 को आयोजित होगा। जिसमें दवा सेवन से छूटे हुये लोगों को पुनः घर-घर जाकर दवा सेवकों द्वारा अपने सामने दवा सेवन कराया जावेगा।
जिले में दो वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों की अनुमानित संख्या 1072705 है। जिन्हें यह दवा खिलाने के लिये लगभग तीन हजार नौ सौ दवा सेवक एवं तीन सौ नब्बे सुपरवाइजर की ड्यूटी लगाई गयी है। उन्होंने बताया कि फायलेरिया बीमारी गन्दे पानी, नालियो में पनपने वाले संक्रमित मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती हैं। यदि सात से आठ वर्ष तक सभी लोग फाइलेरिया की दवा का वर्ष में एक बार सेवन करें तो फाइलेरिया बीमारी के नये प्रकरणो को प्रकट होने से रोका जा सकता है।
यह दवा एक तरह से टीका है जो कि एक वर्ष तक फायलेरिया के कृमि से सुरक्षा देती है। फाइलेरिया की दवा डी.ई.सी. और अल्वेन्डाजोल का उम्र के अनुसार सेवन करने पर कोई भी दुष्प्रभाव नही होते। यह पूर्ण रूप से सुरक्षित दवा है केवल ऐसे लोग जिनके शरीर मे फायलेरिया के कृमि पहले से ही मौजूद होते है उन्हे इस गोली को खाने से हल्का बुखार आ सकता है,जो बिना किसी उपचार के स्वतः ठीक हो जाता है। कार्यशाला में जिला मलेरिया अधिकारी एच.एम. रावत, नगर पालिका पन्ना के अध्यक्ष मोहनलाल कुशवाहा सहित अन्य अधिकारी व जिले के पत्रकार शामिल रहे।
फाइलेरिया मच्छरों द्वारा फैलता है, खासकर परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के जरिए। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं। लेकिन ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है। इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है। इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है।
मच्छरों द्वारा फैलता है फाइलेरिया रोग
फाइलेरिया पीड़ितों में दिखते हैं ये लक्षण
आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते, लेकिन बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैर हाथी के पांव जितने सूज जाते हैं इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। वैसे तो फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।ठंड में बढ़ जाती है मरीजों की परेशानी
ठंड में फाइलेरिया का अटैक बढ़ जाता है। भीषण ठंढ और शीतलहर के के दौरान फाइलेरिया के मरीजों की परेशानी और बढ़ जाती है। दर्द से परेशान लोग अस्पताल आते हैं लेकिन यहाँ भी उन्हें राहत नहीं मिल पाती। फाइलेरिया की रोकथाम के लिए ऐसे तो हर साल अभियान चलाकर घर-घर निरूशुल्क दवाएं दी जाती हैं, लेकिन जागरुकता के अभाव में लोग दवा लेने में रुचि नहीं दिखाते हैं। जिससे इस खतरनाक और लाइलाज बीमारी से पन्ना जिले को निजात नहीं मिल पा रही है। अधिकृत आंकडों के मुताबिक पन्ना शहर के 20 वार्डों में इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या दो सौ के पार है। फाइलेरिया की जांच शाम ढ़लने के बाद ही होती है।00000
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