- जिले के लगभग 3 हजार अतिकुपोषित बच्चों को लिया गया गोद
- बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ एवं संजीवनी अभियान की कार्यशाला सम्पन्न
अरुण सिंह,पन्ना। जिले से कुपोषण के कलंक को मिटाने के लिये कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा पोषण संजीवनी अभियान चलाया गया। इस अभियान में उन्होंने शासकीय अमले के साथ-साथ समाज के हर वर्ग को जोडऩे का प्रयास किया। जिससे यह कार्यक्रम जन आन्दोलन का रूप ले सके। जुलाई माह से प्रारंभ किये गये इस अभियान के दौरान जिले के लगभग 3 हजार अतिकुपोषित बच्चों को संजीवनी अभिभावकों को गोद दिलाया गया। इन कुपोषित बच्चों की पहचान कर इन्हें पोषण पुनर्वास केन्द्रों में भर्ती कराकर उपचार उपलब्ध कराने के साथ-साथ रक्त कमी वाले बच्चों को जन सहयोग से रक्तदान कराकर रक्त दिलवाया गया। जिससे बच्चों के स्वास्थ्य में निरंतर सुधार आया है। वर्तमान में जिले में 5 हजार बच्चे चिन्हित किये गये हैं जिन्हें गोद दिलाकर कुपोषण से मुक्ति दिलाना है।
जिले में संजीवनी अभियान को प्रभावी रूप से संचालित करने एवं आगामी आने वाले समय में निरंतर चलता रहे इसके लिये इस अभियान को जन आन्दोलन का रूप देने के प्रभावी प्रयास के तहत कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला के माध्यम से कुपोषण की शुरूआत को खत्म करने के लिये बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के तहत बेटियों को सही ढंग से पोषण आहार उपलब्ध कराने, पढ़ाने लिखाने, किशोरी बालिकाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान देने, बाल विवाह रोकने के साथ गर्भवती माताओं के स्वास्थ्य पर ध्यान रखने के संबंध में लोगों को जानकारी दी गई। जिले में मातृ एवं शिशु मृत्युदर को कम करने के लिये उठाये जाने वाले कदमों के संबंध में कार्यशाला में उपस्थित लोगों को बताया गया।
साफ-सफाई व स्वास्थ्य संबंधी जानकारी आवश्यक
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुये मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी द्वारा बताया गया कि किशोरी बालिकाओं का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें आवश्यक औषधियां उपलब्ध कराई जाती हैं लेकिन उन्हें आवश्यक पोषण आहार मिलना भी बहुत आवश्यक है। इसके अलावा उनको साफ-सफाई और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दिया जाना आवश्यक है। उन्होंने बाल विवाह से होने वाले दुष्परिणामों पर प्रकाश डालते हुये कहा कि समाज के प्रत्येक वर्ग की जिम्मेदारी है कि वह बाल विवाह जैसी कुप्रथा को जड़ से समाप्त करने के लिये प्रशासन का सहयोग करें। उन्होंने गर्भवती माताओं के संबंध में कहा कि प्रत्येक गर्भवती माता का गर्भ धारण होने के साथ ही पंजीयन होने पर उसे आवश्यकतानुसार टीकाकरण एवं उपचार उपलब्ध हो जाने से कुपोषित बच्चे जन्म नही लेते। उन्होंने कहा कि जिस परिवार में गर्भवती मातायें होती हैं उस परिवार की जिम्मेदारी है कि वह उसके पोषण पर विशेष ध्यान दें। मातृ एवं शिशु मृत्युदर रोकने के लिये यह आवश्यक है कि प्रत्येक गर्भवती माता का प्रसव संस्थागत ही होना चाहिये।कुपोषण के कलंक को मिटाने जागरूकता जरूरी
इस अवसर पर कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास परियोजना उदल सिंह ने कार्यशाला के संबंध में प्रकाश डालते हुये कहा कि जिले को कुपोषण तथा मातृ एवं शिशु मृत्युदर को समाप्त करने के लिये हम सभी को आवश्यक प्रयास करने होंगे। इसके लिये प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक करने की आवश्यकता है कि प्रत्येक परिवार की किशोरी बालिकाओं, गर्भवती महिलाओं एवं जन्म लेने वाले शिशुओं के पोषण आहार पर ध्यान दें। पोषण आहार के अलावा स्वच्छता, शुद्ध पेयजल, संक्रमित बीमारियों से बचाने के लिये टीकाकरण आदि पर ध्यान दिया जाये। इसके लिये जरूरी है कि समाज की आर्थिक विपन्नता, अंधविश्वास, अशिक्षा, स्वच्छता का अभाव, लिंग आधारित भेदभाव, बाल विवाह एवं कम उम्र में गर्भ धारण जैसे समस्याओं का निदान किया जाये। उन्होंने की वर्तमान में जिले में 6 माह से 6 वर्ष की आयु के कुल 1393 अति कम वजन के बच्चे मध्यम वजन के 10307 बच्चे हैं। सामान्य वजन के 96797 बच्चे आँगनबाड़ी केन्द्रों में दर्ज हैं। इनमें अति कम वजन एवं मध्यम वजन के बच्चों को पोषण आहार एवं समझाईश देकर सामान्य श्रेणी में लाने की आवश्यक है।दलगत राजनीति से ऊपर उठकर करें कार्य
कार्यशाला में पूर्व पन्ना विधायक श्रीकांत दुबे ने अपने उद्बोधन में कहा कि जिले को कुपोषण मुक्त करने के लिये हम सभी को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कार्य करना होगा। किशोरी बालिकाओं, गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से मुक्ति एवं उनके स्वास्थ्य के लिये समाज के लोगों की मानसिक दशा में बदलाव लाना पड़ेगा। जिला पंचायत के अध्यक्ष रविराज ङ्क्षसह यादव ने जिला प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे अभ्युदय कार्यक्रम एवं पोषण संजीवनी अभियान की सराहना करते हुये कहा कि जिला प्रशासन द्वारा यह सराहनीय कदम उठाया गया है। इसमें समाज के लोगों को मिलकर कार्य करना चाहिये। जिससे समाज की बेटी खुशहाल हो। समाज से रूढिय़ा खत्म हो, शिक्षा का प्रचार प्रसार हो। इस अवसर पर श्रीमती दिव्यारानी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें अपने समाज से अंधविश्वास और कुरीतियों को मिटाना होगा। तभी हम किशोरियों, माताओं एवं बच्चों के साथ न्याय कर सकेंगे। पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती शारदा पाठक ने प्रजनन एवं स्वास्थ्य विषय पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर अन्य जनप्रतिनिधियों में शिवजीत सिंह , श्रीमती मीना यादव आदि ने सुझाव दिये। इसके अलावा जगदीश नामदेव, मंगला भाले, आशा गुप्ता, बालकृष्ण शर्मा, आशिब खान, सुश्री बादल, राजेन्द्र विश्वकर्मा, रामकिशोर मिश्रा, श्रीमती स्नेहलता पारासर, नीलम चौबे आदि ने सुझाव देने के साथ-साथ कुपोषित बच्चों को गोद लेने की घोषणा की।प्रतिभाशाली 13 बालिकाओं का हुआ सम्मान
इस अवसर पर स्वयं सेवी संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने सुझाव और किये जा रहे कार्यो पर प्रकाश डाला। इनमें पृथ्वी ट्रस्ट से युसूफ बेग, धरती संस्था से राहुल निगम, दर्शना महिला मण्डल से जीतू, आधार से महरून सिद्दिकी आदि ने सम्बोधित करने के साथ कुपोषित बच्चों को गोद लेने की घोषणा की। इस अवसर पर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना अन्तर्गत जिले की कक्षा 12वीं एवं 10वीं की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण करने वाली 13 बालिकाओं को सम्मानित किया गया। वहीं कक्षा 10वीं में शत प्रतिशत परीक्षा परिणाम लाने वाले विद्यालयों में शा. हाईस्कूल पिष्टा तहसील अजयगढ़ एवं शासकीय मॉडल उमावि अजयगढ़ को प्रमाण पत्र एवं 10 हजार रूपये से पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा संजीवनी अभियान में उत्कृष्ट कार्य करने एवं 2 बच्चियों के उपरांत परिवार नियोजन अपनाने वाले परिवारों को सम्मानित किया गया। इस कार्यशाला में विभिन्न विभागों के अधिकारी, जनप्रतिनिधि, व्यवसायी, समाज सेवी, पत्रकारगण, गणमान्य नागरिक, स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।
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