- सौ दंडी और एक बुंदेलखंडी की नजीर रामलली अम्मा
- मानिकपुर के कच्चे घर पर लिखा है पाठा की शेरनी
- सरकार ने जारी किया था डबल बैरल बंदूक का लाइसेंस
मानिकपुर पाठा की रामलली बन्दूक के साथ। |
अरुण सिंह,पन्ना। बुन्देलखण्ड की धरती वीरांगनाओं की बहादुरी, उनके शौर्य और अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए असंभव को भी संभव बना देने वाली गाथाओं से भरी पडी है। वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की वीर गाथा से तो सभी परचित हैं, लेकिन गरीब परिवार की कोई महिला अपने आत्मसम्मान और दूसरे की रक्षा के लिए खूंखार डकैतों से भी मोर्चा ले सकती है, यह निश्चित ही बुन्देलखण्ड की धरा में ही संभव है। ऐसी ही एक वीरांगना की रोचक दास्तान विश्व महिला दिवस के मौके पर बुन्देलखण्ड के दबंग पत्रकार आशीष सागर ने लिखकर भेजी है। डकैतों से मोर्चा लेने वाली महिला रामलली को बुन्देलखण्ड की शेरनी कहा जाने लगा है। बीहड़ के अजीम सरगना ददुआ डकैत से लेकर बलखड़िया,बबुली कोल की हनक रामलली को न डरा सकी। ठेठ अंदाज,बेबाक जीवनशैली ने इस मर्दानी को शेरनी बना दिया।.....जी हां हम बात कर रहे है यूपी बुंदेलखंड के चित्रकूट मंडल ज़िला चित्रकूट धाम कर्वी की मानिकपुर तहसील के हरिजनपुर रहवासी दबंग रामलली की। साथियों दबंग भी कैसी, वही सोनाक्षी सिन्हा कहिन वाली बतकही में.....एक जुझारू और गृहस्थ संघर्ष शील श्रमिक-किसान स्त्री की जीवटता। पाठा में रामलली की चर्चा के पीछे का फ्लैशबैक यह है कि गांव में एक बैंक मैनेजर जगन्नाथ के बेटे का वर्षों पहले डकैतों ने अपहरण कर लिया था। अपहरण का शिकार युवक किसी तरह भागकर रामलली के गांव घर आया और गुहार लगाई...अम्मा बचाए लियो।...माँ की उम्र में रामलली ने उस लड़के की ज़िंदगी तो डकैतों से बचाई ही साथ मे गांव के अंदर डकैतों से मोर्चा लेने की ठान ली।...अखबारी दौर में बीहड़ की दबंग आवाज बंदूक से ऐसी निकली कि पाठा में प्रशासन की कबदस मच गई...। वक्त के साथ रामलली को लखनऊ की एक संस्था ने स्वशक्ति महिला सम्मान से नवाजा। खबरों में रामलली चर्चित रही तो विधायक, सांसद और क्षेत्र के मंत्री तक रामलली की बिटिया का ब्याह देखने और शरीक होने के गवाह बने। आज भी रामलली खुद को मिले सम्मान, समाचार की कतरनों में जमी धूल को गाहे-बगाहे साफ करती पुरानी यादों में उतर जाती है। उम्रदराज हो चुकी अम्मा के पास सम्मान और मीडिया में छपी खबरें सजाने के लिए शोकेस-अलमारी भले न लेकिन उनका वजूद उनकी बुलंदी कहता है। आज पाठा में सारे बड़े डकैत पुलिसिया मुठभेड़ में शूट आउट हो चुके हैं लेकिन निशानेबाज अम्मा का हौसला अब भी वैसा ही मजबूत है जैसा वर्षों पहले फौलादी था। सभी मातृ शक्ति को विश्व महिला दिवस की बधाई।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर उत्तर मध्य रेलवे की अनोखी पहल
बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस का सम्पूर्ण संचालन महिला कर्मचारियों द्वारा किया गया
झाँसी अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर रविवार को महिला शक्ति को प्रोत्साहित करने एवं महिलाओं के आत्मसम्मान को बढ़ाने के लिए रेलवे द्वारा अनोखी पहल की गयी। उत्तर-मध्य रेलवे के झांसी मंडल मुख्यालय से ग्वालियर तक लगभग 100 किलोमीटर तक बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस का संचालन महिला रेल कर्मियों द्वारा किया गया। झाँसी रेल मण्डल के डीआरएम सन्दीप माथुर एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में महिला लोको पायलट आशा देवी एवं पूनम शाक्य ने झाँसी से ग्वालियर तक बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस का सफल संचालन किया गया। इस ट्रेन में गार्ड के रूप में शिवानी तैनात थीं, जबकि यात्रियों की जान-माल एवं सुरक्षा की जिम्मेदारी महिला एस्कॉर्ट द्वारा संभाली गई जिनकी प्रभारी आशा टकाटे आरपीएफ आरक्षक थीं। उनका सहयोग आरपीएफएस की 4 महिला आरक्षकों ने किया। महिला शक्ति को बढ़ावा देने एवं महिला दिवस पर महिलाओं को सम्मानित करने के उद्देश्य से रेलवे की अनूठी पहल का यात्रियों ने जोरदार तरीके से स्वागत किया।
00000
No comments:
Post a Comment