Thursday, July 16, 2020

जंगली मशरूम (बोंडी) से चल रही आदिवासियों की आजीविका

  •  पन्ना में दो सौ रुपये किलो मिल रही पोषण से भरपूर यह जंगली सब्जी
  •  स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक और औषधीय गुणों से होती है भरपूर 


सड़क किनारे बेचने के लिये जंगली मशरूम (बोंडी) लेकर बैठे गांव के बच्चे। 

अरुण सिंह,पन्ना। घने जंगलों से आच्छादित मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में इन दिनों जंगली मशरूम (बोंडी) आदिवासी परिवारों की आजीविका का सहारा बना हुआ है। बारिश के मौसम में प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाली यह जंगली सब्जी अपने पौष्टिक गुणों और स्वाद के कारण दो सौ से लेकर तीन सौ रुपये तक बिकती है। कोरोना काल में जब रोजी रोजगार पर हर तरफ संकट के बादल मंडरा रहे हैं, ऐसे आड़े वक़्त में जंगल ही गरीब आदिवासियों का सहारा बने हुये हैं। जंगल में बारिश के समय पाई जाने वाली इस मशरूम को बुन्देलखण्ड क्षेत्र में बोंडी कहते हैं जो सावन भादों में बादल गरजने के बाद बामी से निकलते हैं। खाने में अत्यधिक स्वादिस्ट और पौष्टिक होने के कारण इस जंगली सब्जी की खासी मांग रहती है।
आदिवासी बहुल इलाकों व ग्रामों में कुपोषण सहित अन्य समस्याओं पर सक्रियता से काम करने वाले समाजसेवी यूसुफ बेग ने बताया कि जंगल से लगे ग्रामों में निवास करने वाले आदिवासी इन दिनों जंगली मशरूम (बोंडी) का संग्रह करने में जुटे रहते हैं। आपने बताया कि आज सुबह ग्राम बडौर जाते वक्त एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना मझगवॉ रोड पर ग्राम दरेरा - मडैयन के बीच कुछ बच्चे जंगली मशरूम लेकर सड़क किनारे बेंचने के लिये बैठे थे। वहीँ पास ही सीताराम गौंड तथा उसका पूरा परिवार बोंडी लिये सडक के किनारे बैठे मिले। सीताराम की पत्नी ने बताया कि कल आठ सौ रूपये की बोंडी बेंची हैं। इस आदिवासी महिला ने बताया कि इन्ही जंगलों से मिलने वाली चीजों से परिवार की आजीविका चलती है। सीताराम गौंड ने बताया कि जंगल से बोंडी एकत्र कर प्रतिदिन यहाँ पर आकर हम बेंचते हैं। सड़क से गुजरने वाले शहर के लोग खरीद लेते हैं। उसने बताया कि ये बोंडी 200 रूपये किलो या 50 रूपये मूठा तक बिक जाती है और जो बच जाती है उसे हम सपरिवार खा लेते हैं।

जंगली मशरूम (बोंडी) एकत्रित करने के बाद सुस्ताता सीताराम गौंड का परिवार। 

जानकारों का कहना है कि मशरूम खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। एंटी-ऑक्सीडेंट्स, प्रोटीन, विटामिन डी, सेलेनियम और जिंक से भरपूर मशरूम का इस्तेमाल कई दवाइयां बनाने के लिये किया जाता है। मशरूम में मौजूद पौषक तत्व शरीर को कई खतरनाक बीमारियों से बचा कर रखते हैं। इसके अलावा इसका सेवन इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है। यहां कहा जाता है कि कुपोषित बच्‍चे को बोड़ा उबालकर पिलाने से वह स्‍वस्‍थ्‍य हो जाते हैं। इसके स्वाद ने मांसाहारी व शाकाहारी सभी को अपना दीवाना बना रखा है। इसमें प्रचूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर और विटामिन पाया जाता है। देश की सबसे महंगी सब्जियों में शुमार इससे हार्ट और ब्‍लड प्रेशर के लिए दवा बनाई जाती है। इसमें कैलोरी कम होती है, इस कारण अपने स्‍वास्‍थ्‍य का ध्‍यान रखने वाले लोग इसे आराम से खाते हैं। बोंडी का जायका इतना लजीज होता है कि ये चिकेन और मटन के स्वाद को भी पीछे छोड़ देता है. इसलिये सावन के महीने में जब ज्यादातर लोग नॉनवेज नहीं खाते, इसकी मांग बढ़ जाती है। यहाँ यह बताना जरुरी है कि जंगली मशरूम का उपयोग करने में सावधानी भी रखना चाहिये क्योंकि इनकी कई किस्में जहरीली होती हैं जो कभी - कभी खाने पर जानलेवा भी साबित होती हैं।
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