- प्रकृति की अनुपम सौगातों के चलते यहाँ पर्यटन विकास की असीम संभावनायें मौजूद
- नवागत कलेक्टर की पहल से प्राकृतिक मनोरम स्थलों के विकास की जागी उम्मीद
पन्ना से 35 किमी. दूर स्थित बृहस्पति कुंड का मनोरम द्रश्य।
।।अरुण सिंह,पन्ना।।
भव्य प्राचीन मंदिरों और हीरा की खदानों के लिये प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में प्रकृति ने सृजन के विविध रूपों को जिस तरह से प्रकट किया है वह मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। पहली बार जो कोई भी यहाँ आता है, इस रत्नगर्भा धरती के अतुलनीय सौन्दर्य को निहारकर मंत्रमुग्ध हो जाता है। लेकिन प्रकृति के अनुपम सौगातों का पन्ना के विकास की दिशा में रचनात्मक उपयोग नहीं हो सका। पर्यटन विकास की असीम संभावनायें मौजूद होने के बावजूद अभी तक यह जिला पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र नहीं बन सका है। यहां प्राचीन भव्य मन्दिरों के अलावा ऐतिहासिक महत्व के स्थलों, खूबसूरत जल प्रपातों व प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण मनोरम स्थलों की भरमार है। इनका समुचित ढंग से प्रचार-प्रसार न होने के कारण देशी व विदेशी पर्यटक इस जिले की खूबियों से अनभिज्ञ हैं। यही वजह है कि पर्यटकों को आकर्षित करने की खूबियों के बावजूद पन्ना पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं हो सका। देर से ही सही लेकिन अब पन्ना के नवागत कलेक्टर संजय कुमार मिश्र ने विशेष रूचि प्रदर्शित करते हुए जिस तरह से आते ही सकारात्मक पहल शुरू की है उससे मन्दिरों के शहर पन्ना को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किये जाने की उम्मीद जागी है।
पन्ना के नवागत कलेक्टर संजय कुमार मिश्र प्राकृतिक सौन्दर्य को निहारते हुये। |
उल्लेखनीय है कि पन्ना कलेक्टर संजय कुमार मिश्र मंगलवार 25 अगस्त को जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 35 किमी. दूर स्थित प्राकृतिक एवं धार्मिक महत्त्व के स्थल बृहस्पति कुंड का भ्रमण कर कुंड के संबंध में विस्तृत जानकारी प्राप्त की गई है। मौके पर उपस्थित लोगों ने बताया कि कुंड का ऊपरी हिस्सा पन्ना जिले की राजस्व सीमा एवं निचला हिस्सा सतना जिले की राजस्व सीमा में आता है। यह स्थान श्री राम वन गमन मार्ग का हिस्सा है इसका उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। यह मनोरम स्थान मानसून पर्यटन का बहुत ही आकर्षक स्थल है। कलेक्टर श्री मिश्र ने मौके पर उपस्थित अधिकारियों को निर्देश दिए कि संबंधित भूमि के नक्शे प्रस्तुत करें। सतना जिले के इस क्षेत्र में पदस्थ पटवारी को भी बुलाया जाये, दोनों लोग समन्वयं बनाकर इस भूमि को पन्ना जिले मे शामिल कराने का प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करें। कुंड से संबंधित जानकारी का विस्तार पूर्वक बोर्डं तैयार करा कर लगाया जाये साथ ही इसके आसपास के अन्य पर्यटक स्थलों की जानकारी अंकित की जाये। जिससे कुंड देखने आने वाले लोगों का अन्य प्राकृतिक धार्मिक ऐतिहासिक स्थलों तक पहुंचना सुनिश्चित हो सके। उन्होंने निर्देश दिए की ग्राम पंचायत यहां पर साफ - सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करें। इसके अलावा यहां पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये जायें। कलेक्टर ने गजना-धरमपुर-पहाड़ीखेरा मार्ग में स्थित रिपटा का अवलोकन किया और यहां पर संकेतक बोर्ड लगाने के निर्देश दिये ताकि कोई दुर्घटना घटित न हो। उन्होंने मौके पर उपस्थित ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री को निर्देश दिये कि मार्ग निर्माण एवं पुलिया निर्माण का प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करें।
ज्वालामुखी कृत बृहस्पति कुंड का दिलकश है नजारा
बाघिन नदी के प्रवाह क्षेत्र पर बना ज्वालामुखी कृत बृहस्पति कुंड का नजारा दिलकश और मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। मानसून सीजन में घोड़े के नाल की आकृति में जब बाघिन नदी इठलाते हुये गहरी घाटी में गिरती है, तब जो द्रश्य निर्मित होता है और उसे देखकर जिस तरह की अनुभूति होती है उसे बयां कर पाना कठिन है। बृहस्पति कुंड जलप्रपात का क्षेत्र प्राकृतिक रूप से तो मनभावन है ही यह धार्मिक-पौराणिक, ऐतिहासिक और आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण है । एक कथा अनुसार देवगुरु बृहस्पति ने यहां पर यज्ञ किया था । ऋषि मुनियों के अनेक आश्रम भी यहाँ रहे हैं। त्रेता युग में भगवान राम अपने चित्रकूट वनवास काल में सीता और लक्ष्मण के साथ यहाँ ऋषि-मुनियों के दर्शन करने आये थे । यहाँ की गुफाओं और चट्टानों पर आदिमानवों द्वारा हजारों साल पहले बनाये गये शैलचित्र आज भी मौजूद हैं। अधिकांश शैलचित्रों में शिकार , आदिमानवों की तत्कालीन गतिविधियाँ और वन्य जीवों के चित्र हैं। आर्थिक महत्व के रूप में इस जलप्रपात के आसपास हीरे की खदानें भी हैं जहाँ बड़ी संख्या में लोग अपनी किस्मत चमकाने की मंशा से बेशकीमती हीरों की तलाश करते हैं। मालुम हो कि पन्ना के निकट मझगंवा से लेकर पहाड़ीखेरा तक हीरा धारित पट्टी है जहाँ किम्बरलाइट चट्टाने बहुतायत में पाई जाती हैं, जिनमें हीरे मिलते हैं।
अवैध उत्खनन से नष्ट हो रहा प्राकृतिक सौन्दर्य
बृहस्पति कुण्ड के आसपास जंगल में चलती हैं हीरा की खदानें। |
जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 35 किमी दूर पहाड़ीखेरा के निकट स्थित प्राकृतिक मनोरम स्थल बृहस्पति कुण्ड वीरान हो रहा है। रत्नगर्भा बाघिन नदी इसी कुण्ड पर गिरती है। फलस्वरूप इस नदी के प्रवाह क्षेत्र में कई किमी की लम्बाई में बेशकीमती हीरे निकलते हैं। इन्हीं हीरों की खोज में यहां पर सैकडों की संख्या में अवैध हीरा की खदानें चल रही हैं, जिससे इलाके का जंगल उजड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि इस गहरे कुण्ड में अनेकों प्राचीन गुफायें भी स्थित हैं। बताया जाता है कि इन गुफाओं के भीतर ऋषि मुनि तपस्या में लीन रहा करते थे। बृहस्पति कुण्ड के पास विद्यमान आश्रम भी इंगित करता है कि किसी समय यह इलाका प्राकृतिक सुन्दरता के साथ-साथ धार्मिक आस्था का केन्द्र भी रहा है। मकर संक्रान्ति के अवसर पर इस स्थल में एक विशाल मेला भी भरता है। लेकिन अवैध उत्खनन व जंगल की हो रही अधाधुंध कटाई से इस पुरातात्विक महत्व वाले मनोरम स्थल की रौनक गायब हो रही है। जानकारों का कहना है कि बृहस्पति कुण्ड के जंगल में दुर्लभ किस्म की आयुर्वेेदिक जड़ी बूटियां प्राकृतिक रूप में प्रचुरता से पाई जाती हैं। इन जड़ी . बूटियों की खोज में आयुर्वेद के ज्ञाता व वैद्य यहां दूर . दूर से आते हैं। प्रकृति व पर्यावरण के संरक्षण में रूचि रखने वाले लोग इस अनूठे कुण्ड की दुर्दशा को देख आहत हैं। उनका कहना है कि यदि इस स्थल के संरक्षण हेतु प्रभावी कदम न उठाये गये तो आने वाले कुछ वर्षों में यह पूरा इलाका वीरान हो जायेगा। वृहस्पति कुण्ड के आसपास पाई जाने वाली जड़ी बूटियां भी जंगल की अधाधुंध कटाई व उत्खनन से विलुप्त हो जायेंगी। इस संबंध में जब खनिज विभाग से पूंछा जाता है तो उनका साफ कहना रहता है कि बृहस्पति कुण्ड के जंगल में पट्टे की हीरा खदानें नहीं चलतीं। इस क्षेत्र में जो भी खदानें चलती हैं वे अवैध हैं, लेकिन वन क्षेत्र होने के कारण इस संबंध में हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। जिले के वन अधिकारियों का कहना होता है कि यह पूरा इलाका जहां हीरा की खदानें चलती हैं वह सतना जिले में आता है। इस विचित्र भौगोलिक स्थिति के कारण यहां धड़ल्ले से अवैध खदानें चलती हैं और कोई कुछ कहने वाला नहीं है।
पन्ना में मानसून पर्यटन को बढ़ावा देने मुख्यमंत्री ने की थी घोषणा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान। |
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विगत 5 वर्ष पूर्व पन्ना प्रवास के दौरान यह घोषणा की थी कि पन्ना शहर के आस-पास स्थित प्राकृतिक मनोरम स्थलों व जल प्रपातों का विकास कर यहां मानसून पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये प्रयास किये जायेंगे ताकि बारिश के मौसम में जब पन्ना टाईगर रिजर्व के गेट पर्यटकों के भ्रमण हेतु बंद हो जायें, उस समय भी पर्यटक यहां आकर प्रकृति के अद्भुत नजारों का आनन्द ले सकें। इससे यहां पर रोजगार के नये अवसरों का जहां सृजन होगा, वहीं मन्दिरों के शहर पन्ना को एक खूबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री जी की इस सोच व घोषणा की पन्नावासियों ने सराहना की थी, लेकिन 5 वर्ष गुजर जाने के बाद भी इस दिशा में कोई सार्थक पहल व प्रयास नहीं हुये। मालुम हो कि पन्ना शहर के आस-पास 10 किमी के दायरे में प्राकृतिक व ऐतिहासिक महत्व के ऐसे अनेकों स्थल व जल प्रपात हैं, जिनको यदि पर्यटकों की दृष्टि से विकसित कर दिया जाये तो ये स्थल आकर्षण का केन्द्र बन सकते हैं। जिला मुख्यालय पन्ना से 10 किमी. की दूरी पर सड़क मार्ग के निकट स्थित लखनपुर सेहा का घना जंगल तथा ऊँची मीनार जैसा नजर आने वाला यहां का मशरूम राक देखने जैसा है। गौरतलब है कि पन्ना जिले को प्रकृति ने अनुपम सौगातों से नवाजा है। यहां के हरे-भरे घने जंगल, अनूठे जल प्रपात व गहरे सेहे देखकर लोग हैरत में पड़ जाते हैं कि यहां इतना सब है फिर भी यह इलाका उपेक्षित और पिछड़ा क्यों है? पन्ना शहर में जहां प्राचीन भव्य व विशाल मन्दिर हैं वहीं इस जिले में ऐतिहासिक महत्व के स्थलों की भी भरमार है। प्रकृति तो जैसे यहां अपने बेहद सुन्दर रूप में प्रकट हुई है। यदि इन सभी खूबियों का सही ढंग से क्षेत्र के विकास व जन कल्याण में रचनात्मक उपयोग हो तो इस पूरे इलाके का कायाकल्प हो सकता है। पन्ना शहर के बेहद निकट स्थित लखनपुर का सेहा एक ऐसा स्थान है जो इस जिले को पर्यटन के क्षेत्र में सम्मानजनक स्थान दिलाने की क्षमता रखता है। लखनपुर सेहा के अलावा पन्ना शहर के ही निकट गौर का चौपड़ा, खजरी कुड़ार गाँव के पास चरही, कौआ सेहा, बृहस्पति कुण्ड सहित अनेकों स्थल हैं जो उपेक्षित पड़े हैं। यदि इन मनोरम स्थलों को विकसित किया जाकर सही तरीके से प्रस्तुत किया जाये तो पर्यटक यहां खिंचे चले आयेंगे। इन सभी स्थलों को चिह्नित करते हुये वहां तक सुगम मार्ग व बुनियादी सुविधायें यदि उपलब्ध करा दी जायें तो ये स्थल बारिश के मौसम में पर्यटकों से गुलजार हो सकते हैं।
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