- प्रदेश स्तरीय प्रेजेंटेशन में मिला है पहला स्थान
- टीम के मुखिया डॉ संजीव गुप्ता ने प्राप्त की ट्रॉफी
समारोह में पन्ना टाइगर रिज़र्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता ट्राफी लेते हुए। |
अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की रेस्क्यू टीम कार्यकुशलता के मामले में सबसे बेहतर है। कान्हा टाइगर रिजर्व में गत 23 से 25 नवंबर तक आयोजित कार्यशाला में प्रदेश के पांचों टाइगर रिजर्व, सभी सेंचुरी व वन मंडलों के रेस्क्यू स्क्वायड शामिल हुए। कार्यशाला में सभी ने अपना प्रेजेंटेशन दिया, जिसमें पन्ना टाइगर रिजर्व की रेस्क्यू टीम को प्रथम स्थान मिला है। इसमें वन विहार भोपाल को दूसरा तथा पेंच व संजय टाइगर रिजर्व को संयुक्त रूप से तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है। 25 नवंबर को यहां आयोजित गरिमामय समारोह में पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव कुमार गुप्ता ने अपनी टीम की ओर से ट्रॉफी प्राप्त की है।
बाघिन को ट्रैंक्युलाइज करके जाँच कर रेडियो कॉलर पहनाती पन्ना रेस्क्यू टीम। |
उल्लेखनीय है कि बाघ पुनर्स्थापना योजना को मिली शानदार कामयाबी के कारण पन्ना टाइगर रिजर्व ने देश और दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। वर्ष 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था तब यहां बाघों को फिर से आबाद करने के लिए बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत कान्हा व बांधवगढ़ से दो बाघिन तथा पेंच टाइगर रिजर्व से एक नर बाघ लाया गया था। तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर.श्रीनिवास मूर्ति के नेतृत्व में पूरी टीम ने पन्ना टाइगर रिजर्व के के खोए हुए गौरव को पुन: हासिल करने के लिए जुनून और जज्बे के साथ अथक श्रम किया। परिणाम स्वरूप यहां नन्हें शावकों ने जन्म लिया और पन्ना टाइगर रिजर्व फिर से गुलजार हो गया। यहां पर अनाथ व अर्ध जंगली दो बाघिनों को जंगली बनाने का अभिनव प्रयोग भी सफल रहा, जिससे पन्ना टाइगर रिजर्व को न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली अपितु कई देश पन्ना मॉडल को अपनाने के लिए प्रेरित हुए। इस कामयाबी में पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव कुमार गुप्ता व उनकी समर्पित टीम का अतुलनीय योगदान रहा। इस टीम ने बीते 10 वर्षों में 150 से भी अधिक रेस्क्यू ऑपरेशन सहित 65 बार बाघ व बाघिनों का सफल रेडियो कॉलर किया है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इतने कम समय में देश में कहीं भी फ्री रेजिंग बाघों को ट्रेंकुलाइज कर उन्हें रेडियो कॉलर करने का कार्य नहीं हुआ। इस लिहाज से भी पन्ना टाइगर रिजर्व की टीम न सिर्फ प्रदेश अपितु देश भर में अव्वल है।
हथिनी वत्सला को दिया था जीवनदान
पन्ना टाइगर रिजर्व की उम्र दराज हथनी जो 100 वर्ष की उम्र को पार कर चुकी है तथा संभवत: दुनिया की सबसे बुजुर्ग हथनी है। उसे पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता व उनकी टीम ने दो बार मौत के मुंह में जाने से बचाया है। डॉ. गुप्ता ने बताया कि वर्ष2003 व 2008 में हाथी राम बहादुर ने प्राणघातक हमला कर इस उम्रदराज हथिनी को बुरी तरह से घायल कर दिया था। मदमस्त हाथी ने वत्सला का पेट अपने लंबे दांतों से चीर दिया था, जिससे इस हथनी का बच पाना लगभग नामुमकिन सा प्रतीत हो रहा था। लेकिन बेहतर उपचार व सतत सेवा से इस बुजुर्ग हथिनी को मौत के मुंह में जाने से बचा लिया गया, जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। यह हथिनी आज भी पन्ना टाइगर रिजर्व की एक अनमोल धरोहर के रूप में यहां की शोभा बढ़ा रही है।
काम के प्रति समर्पित रहती है पूरी टीम
पन्ना टाइगर रिजर्व की रेस्क्यू टीम अपने काम के प्रति पूरी निष्ठा के साथ समर्पित रहती है। टीम के मुखिया डॉ संजीव कुमार गुप्ता व उनके सहयोगियों में दायित्व बोध इतना प्रगाढ़ है कि वे विकट परिस्थितियों में भी अडिग रहते हैं और वही करते हैं जो सही है। इस टीम ने अनेकों बार यह साबित भी किया है। इस टीम की यह विशेषता है कि यह किसी के दबाव व हस्तक्षेप से प्रभावित हुए बिना वही करती हैं जो वन्य प्राणियों व पार्क की सुरक्षा के हित में है। यही वजह है कि पन्ना टाइगर रिजर्व की रेस्क्यू टीम को प्रथम स्थान मिला है, निश्चित ही यह टीम इसकी हकदार भी है।
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