Friday, November 27, 2020

आसमान के बादशाह गिद्धों की पन्ना में होगी रेडियो टैगिंग

  •  देश में गिद्धों पर अनुसंधान हेतु अपनी तरह का यह पहला प्रयोग
  •  रेडियो टैगिंग कार्य हेतु भारत सरकार से मिल चुकी है अनुमति 

पन्ना टाईगर रिज़र्व में गुनगुनी धूप का आनंद लेते गिद्ध। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश का पन्ना टाइगर रिजर्व अब सिर्फ बाघों पर हुए अभिनव प्रयोगों के लिए ही नहीं अपितु गिद्धों पर होने जा रहे अनुसंधान के लिए भी जाना जाएगा। यहां के खूबसूरत जंगल, पहाड़ व गहरे सेहे बाघों के साथ साथ आसमान में ऊंची उड़ान भरने वाले गिद्धों का भी घर है। यहां पर गिद्धों की 7 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें 4 प्रजातियां पन्ना टाइगर रिजर्व की निवासी प्रजातियां हैं। जबकि शेष 3 प्रजातियां प्रवासी हैं। मालुम हो कि गिद्धों के प्रवास मार्ग हमेशा से ही वन्य प्राणी प्रेमियों के लिए कौतूहल का विषय रहे हैं। गिद्ध न केवल एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश बल्कि एक देश से दूसरे देश मौसम अनुकूलता के हिसाब से प्रवास करते हैं।

 क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने जानकारी देते हुए आज बताया कि गिद्धों के रहवास एवं प्रवास के मार्ग के अध्ययन हेतु पन्ना टाइगर रिजर्व द्वारा भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून की मदद से गिद्धों की रेडियो टैगिंग का कार्य प्रारंभ किया गया है। जिसके अंतर्गत पन्ना टाइगर रिजर्व में 25 गिद्धों को रेडियो टैगिंग किया जावेगा। रेडियो टैगिंग कार्य को अनुमति भारत सरकार से प्राप्त हो चुकी है। रेडियो टैगिंग से गिद्धों के आस-पास के मार्ग एवं पन्ना लैंडस्केप में उनकी उपस्थिति आदि की जानकारी ज्ञात हो सकेगी, जिससे भविष्य में इनके प्रबंधन में मदद मिलेगी। इस हेतु पन्ना टाइगर रिजर्व के झालर घास मैदान में कार्य प्रारंभ किया गया है। रेडियो टैगिंग कार्य लगभग एक माह में पूर्ण होगा। उन्होंने बताया कि गिद्धों की रेडियो टैगिंग का यह कार्य देश में पहली बार हो रहा है। पार्क प्रबंधन कार्य की सफलता हेतु आश्वस्त है एवं यह प्रयोग सफल हो इस दिशा में सभी संभव प्रयास कर रहा है। क्षेत्र संचालक ने आशा व्यक्त की है कि भविष्य में रेडियो टैगिंग से प्राप्त जानकारी टाइगर रिजर्व ही नहीं बल्कि पूरे देश व विदेश में गिद्धों के प्रबंधन के लिए लाभकारी होगी।

विलुप्त होने की कगार पर हैं गिद्ध

 आसमान में सबसे ऊंची उड़ान भरने वाले पक्षी गिद्धों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। प्रकृति के सबसे बेहतरीन इन सफाई कर्मियों की जहां भी मौजूदगी होती है वहां का पारिस्थितिकी तंत्र स्वच्छ व स्वस्थ रहता है। लेकिन प्रकृति और मानवता की सेवा में जुटे रहने वाले इन विशालकाय पक्षियों का वजूद मानवीय गलतियों के कारण संकट में है। गिद्धों के रहवास स्थलों के उजडऩे तथा मवेशियों के लिए दर्द निवारक दवा डाइक्लोफिनेक का उपयोग करने से गिद्धों की संख्या तेजी से घटी है। पन्ना टाइगर रिजर्व जहां आज भी गिद्धों का नैसर्गिक रहवास है, वहां पर रेडियो टैगिंग के माध्यम से उनकी जीवन चर्या का अध्ययन निश्चित ही एक अनूठी पहल है। इससे विलुप्ति की कगार में पहुंच चुके गिद्धों की प्रजाति को बचाने में मदद मिलेगी।

बाघों की तरह गिद्धों की होगी मॉनिटरिंग

बाघ पुनर्स्थापना योजना की चमत्कारिक सफलता के बाद से पन्ना टाइगर रिजर्व अभिनव प्रयोगों और अनुसंधान कार्यों का केंद्र बन चुका है। रेडियो टैगिंग करके गिद्धों पर अनुसंधान होने से पन्ना टाइगर रिजर्व अब सिर्फ बाघों के लिए ही नहीं बल्कि गिद्धों के लिए भी जाना जाएगा। इस अभिनव प्रयोग से पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की तरह आसमान के बादशाह गिद्धों की भी मॉनिटरिंग हो सकेगी। जिससे गिद्धों की प्रजाति के अनुसंधान, विस्तार व प्रबंधन में काफी मदद मिलेगी। इस अनुसंधान कार्य से आशा की किरण जागी है कि विलुप्ति की कगार में पहुंच चुकी गिद्धों की प्रजाति पुन: अपनी पुरानी स्थिति को हासिल कर सकेगी।

दैनिक जागरण झाँसी में 28 नवम्बर को प्रकाशित खबर .

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1 comment:

  1. Excellent initiative by MPFD and FD, PTR. I would like to recall that Panna TR was poineer in Vulture Estimation in the post Diclofenac Tsunami era from 2010 onwards. State wide vulture estimation process in Madhya Pradesh started taking cue from this initiative. I as Member Secretary of Madhya Pradesh State Biodiversity Board intiated such radio telemetry project, but that couldn't take off for want of funds and required approvals. Happy to note that Panna TR had made a breakthrough on this count which is the need of the hr to understand Vulture Biology and Ecology. All the best for the project.

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