- पेड़ में लालटेन की तरह लटकते दिखते हैं दर्जनों घोंसले
- नैसर्गिक होती है बया पक्षी में सृजन की अनूठी क्षमता
अनोखा घोंसला बनाने की नैसर्गिक क्षमता वाला बुनकर पक्षी बया। |
अरुण सिंह,पन्ना। प्रकृति एक ऐसी पाठशाला है जहां जीवन की जटिल से जटिल गुत्थियों को सुलझाने के सूत्र मिल जाते हैं। यहां बिना किसी जटिलताओं के सहजता के साथ जीवन जीने का पाठ सीखने को मिलता है। प्रकृति के बीच जाकर बिना किसी पूर्वाग्रह के यदि देखें तो साफ दिखाई देता है कि यहां पर सब कितने मस्त और तनाव रहित हैं। पेड़ - पौधों पर चहचहाते और गीत गाते पक्षियों के झुण्ड देख मन प्रफुल्लित हो जाता है। सैकड़ों प्रजाति के पक्षी हैं और सब अपने में मस्त व खुश हैं। हर पक्षी की कोई न कोई खूबी भी होती है, लेकिन उनके बीच ईर्ष्या, जलन व ऊँच-नीच का भाव इंसान की तरह नहीं होता। ऐसा ही एक खूबसूरत बया पक्षी है, जिसमें अनोखा घोसला बनाने की नैसर्गिक क्षमता होती है। बुनकर पक्षी समुदाय के सदस्य बया पक्षी का खूबसूरत आशियाना सहज ही सबका ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है। सृजन की उसकी क्षमता उसके द्वारा बनाये गये घोसले में प्रकट होती है।
बृक्ष में लटकते बया पक्षी के घोंसले। |
उल्लेखनीय है कि बया पक्षी छोटे-छोटे घास के तिनकों और पत्तियों का उपयोग करके लालटेन की तरह लटकते ऐसे अनोखे घोंसलों का सृजन करते हैं कि सहसा विश्वास नहीं होता कि कोई पक्षी इतनी बारीक कारीगरी के साथ घोंसला बना सकता है। आमतौर पर बया पक्षी नदी, नालों, झील व तालाबों के किनारे स्थित पेड़ों को घोंसला बनाने के लिए चुनते हैं। इस पक्षी में सामाजिक भावना इस कदर होती है कि एक ही पेड़ में दर्जनों घोंसले होते हैं, जहां बया पक्षी एक साथ रहते और गीत गाते हैं। ईर्ष्या, जलन और महत्वाकांक्षा से पीड़ित रहने वाले इंसानों को इन पक्षियों से सीखना चाहिए कि किस तरह आपसी सहयोग की भावना और प्रेम के साथ छोटे से घरौंदे में आनंद पूर्वक रहा जा सकता है।
पन्ना के जंगलों से गुजरने वाले प्राकृतिक नालों और सेहों में बया पक्षी के घोसलों से सुसज्जित अनेकों पेड़ देखने को मिल जाते हैं। यह नन्हा पक्षी बुनकर पक्षी समुदाय का सदस्य है, जिसे जुलाहा पक्षी भी कहा जाता है। यह पूरे भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है। बया पक्षी के झुंड घास के मैदानों, खेतों और जंगलों में उड़ते हुए सहजता से दिख जाते हैं। बया पक्षी का प्रजनन काल मानसून के दौरान होता है, इस समय नर बया पक्षी ही शानदार घोसले का निर्माण करता है। इस घोसले में अंडों को रखने के लिए एक बड़ा गोलाकार स्थान होता है तथा नीचे की ओर एक ट्यूब की तरह निकलने का रास्ता होता है। नर बया पक्षी घोसला बनाने के लिए तकरीबन 5 सौ बार उड़कर लंबी घास व पत्तियां लाता है। इसके बाद यह अपनी चोंच से तिनकों और लंबी घास को आपस में बुन देता है। घोंसला बनाने के बाद ही नर पक्षी मादाओं को आकर्षित करने के लिए पंखों को हिलाकर मधुर आवाज निकालता है। मादा बया पक्षी दो से चार सफेद अंडे देती है। इन अंडों को 14 से 17 दिनों तक सेया जाता है। नर और मादा दोनों मिलकर बच्चों को खिलाते हैं और 17 दिन में ही बच्चे खुले आकाश में उडऩे के लिए तैयार हो जाते हैं।
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