- एक जिला एक उत्पाद के लिए जिले में आंवला उत्पाद का हुआ चयन
- पन्ना के जंगलों में प्राकृतिक रूप से प्रचुर संख्या में हैं आंवले के वृक्ष
आंवला का मुरब्बा बनातीं पन्ना जिले में स्वसहायता समूह की महिलायें। |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। बेशकीमती रत्न हीरों और भव्य मंदिरों के लिए मशहूर मध्यप्रदेश का पन्ना जिला अब आंवला उत्पादों के लिये भी जाना जायेगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री की मंशानुसार आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के अन्तर्गत एक जिला एक उत्पाद योजनान्तर्गत पन्ना जिले को आंवला उत्पाद के लिए चयनित किया गया है। उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले के जंगल में आंवला के वृक्ष प्राकृतिक रूप से बहुतायत में पाये जाते हैं। यहाँ का आंवला दूसरे प्रांतों में स्थित आयुर्वेदिक कारखानों में पहुँचाया जाता रहा है। लेकिन इसका अपेक्षित लाभ स्थानीय निवासियों व जिले को नहीं मिल पाता था। लेकिन अब एक जिला एक उत्पाद के लिए जिले में आंवला उत्पाद का चयन होने से इसका पूरा लाभ स्थानीय लोगों को मिल सकेगा। मालुम हो कि पन्ना जिले का आंवला औषधीय गुणों से भरपूर और रेशारहित होने के कारण उपयोग में अत्यधिक लाभकारी एवं सरल है। यही वजह है कि एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत आंवले के उत्पाद हेतु पन्ना जिले का चयन किया गया है ताकि आंवला उत्पाद के लिए भी देश और दुनिया में पन्ना की पहचान बन सके।
उल्लेखनीय है कि आज से तक़रीबन दो दशक पूर्व भी पन्ना को आंवला जिला बनाने की दिशा में प्रयास हुए थे। पन्ना के निकट सकरिया गांव में वन विभाग द्वारा 42 हेक्टेयर क्षेत्र में आंवले के पौधे रोपित कराये गये थे। आंवले का उत्पादन शुरू होने पर आसपास के ग्रामों की गरीब महिलाओं को आंवला मुरब्बा सहित अन्य उत्पादों के निर्माण का प्रशिक्षण दिलाया गया था। सकरिया में निर्मित आंवला उत्पाद ने खूब ख्याति अर्जित की तथा यहाँ के उत्पादों की मांग दूर - दूर तक होने लगी। सकरिया के अलावा पन्ना जिले का दहलान चौकी गांव भी आंवला मुरब्बा सहित आंवले के अन्य उत्पादों के लिए जाना जाता है। इस गांव की महिलाओं द्वारा बनाये आंवला मुरब्बा की पन्ना सहित अन्य जिलों व दूसरे प्रदेशों तक सप्लाई होती है। दहलान चौकी को ख्याति मिलने पर पन्ना - अजयगढ़ घाटी में व्यापक पैमाने पर आंवला के पौधों का रोपण कराने की योजना भी बनी थी ताकि यह ऐतिहासिक और खूबसूरत घाटी आंवला घाटी के रूप में अपनी पहचान बना सके। लेकिन दुर्भाग्य से यह सुन्दर पर्यावरण हितैषी व रोजगार परक योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी। अब चूँकि पन्ना जिले को आंवला उत्पाद के लिए चयनित किया गया है, इसलिए उम्मीद जागी है कि अजयगढ़ घाटी की खूबसूरती और उपयोगिता बढ़ाने के लिए यहाँ पर प्रचुर संख्या में आंवले के पौधों का रोपण कराने की योजना मूर्तरूप ले सकेगी।
सहायक संचालक उद्यान महेन्द्र मोहन भट्ट ने बताया कि आंवले से बनने वाली सामग्री आंवला मुरब्बा, अचार, चटनी, सुपारी, रशीली केण्डी, आंवला लड्डू, बर्फी, चूर्ण, चवनप्राश आदि का उत्पादन जिले में वृहद रूप में प्रारंभ करने की योजना तैयारी की गयी है। जिले में स्वसहायता समूहों द्वारा आंवले का मुरब्बा, आंवला सुपारी, आंवला पाउडर, आंवला रस का उत्पादन किया जा रहा है। इसके द्वारा उत्पादित आंवला मुरब्बा, केण्डी, आचार राष्ट्रीय स्तर तक आयोजित होने वाले ग्रामोद्योग मेलों में विक्रय किये जा चुके हैं। जिले में उत्पादित हो रही आंवले की सामग्री स्थानीय स्तर पर एवं पडोसी जिलों में आसानी से बिक जाती है। जिला मुख्यालय पर आजीविका मिशन द्वारा उत्पादों के विक्रय के लिए दुकान स्थापित की गयी है। बडे पैमाने पर आंवले के उत्पाद जिले में तैयार करने के लिए लोगों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिससे जिले में आंवला से बनने वाली सामग्री की इकाईया स्थापित कर लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। वर्तमान में जिले के किसानों द्वारा आंवले की विभिन्न प्रजातियों की खेती की जा रही है। आंवले की सामग्री का उत्पादन बडे पैमाने पर प्रारंभ किये जाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। श्री भट्ट ने बताया कि किसानों को अपने खेतों व खाली पड़ी जगह पर आंवला लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। आपने बताया कि नवीन संयुक्त कलेक्ट्रेट भवन परिसर के एक पोर्सन में आंवले के विभिन्न प्रजाति के पौधों के रोपण की योजना है। इसके अलावा शासकीय कार्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों व खाली पड़ी जमीनों पर भी आंवले के पौधे लगाये जायेंगे।
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