- पन्ना की हीरा खदान बंद होने से गर्माई प्रदेश की सियासत
- खनिज मंत्री व सांसद ने रविवार को ही मुख्यमंत्री से की भेंट
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भेंट कर चर्चा करते हुए मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह व सांसद बी.डी. शर्मा। |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की रत्नगर्भा धरती हीरा उगलती है। बेशकीमती रत्न हीरों की उपलब्धता के कारण ही देश और दुनिया में डायमण्ड सिटी के रूप में पन्ना की पहचान है। लेकिन इस पहचान पर संकट के बादल तब मंडराने लगे जब नये वर्ष के पहले दिन ही यहाँ की मझगंवा स्थित एनएमडीसी हीरा खदान बंद हो गई। यह स्थिति वन्य जीव संरक्षण विभाग सहित पर्यावरण मंत्रालय से आवश्यक स्वीकृति न मिल पाने के चलते निर्मित हुई है। मालुम हो कि एनएमडीसी हीरा खदान पन्ना टाइगर रिजर्व के गंगऊ अभ्यारण्य अंतर्गत वन भूमि रकबा 74.018 हेक्टेयर में संचालित है। जिसके संचालन की अवधि 31-12-2020 को समाप्त हो गई है। खदान के बंद होने से प्रदेश की सियासत गर्माने लगी और जनाक्रोश भी प्रकट होने लगा। जिसे देखते हुए प्रदेश के खनिज मंत्री व स्थानीय विधायक ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह तथा क्षेत्रीय सांसद बीडी शर्मा सक्रिय हो गये। मामले को गंभीरता से लेते हुए दोनों नेता रविवार को रात्रि में ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से उनके निवास में जाकर इस सम्बन्ध में चर्चा की। सीएम शिवराज सिंह ने आश्वस्त किया है कि पन्ना की एनएमडीसी हीरा खदान बंद नहीं होगी।
मामले के सम्बन्ध में दी गई जानकारी के मुताबिक प्रदेश के खनिज एवं श्रम मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह एवं क्षेत्रीय सांसद बीडी शर्मा ने एनएमडीसी परियोजना के उत्खनन कार्य की अनुमति को संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री से भेंट कर उत्खनन की स्वीकृति के संबंध में चर्चा की है। इस पर मुख्यमंत्री ने मौके पर चीफ सेक्रेटरी मध्यप्रदेश शासन को निर्देश दिये हैं कि इस संबंध में तत्काल कार्रवाई करने के लिए बैठक आयोजित की जाये। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस संबंध में केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से बात कर एनएमडीसी को उत्खनन कार्य की स्वीकृति प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि उत्खनन कार्य प्रारंभ हो जाने से पन्ना जिले के लोगों को रोजगार उपलब्ध होने के साथ जिले का विकास होगा। मालुम हो कि नए साल के पहले दिन केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते जब एनएमडीसी परियोजना मझगवां पहुंचे थे तो कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों ने केंद्रीय मंत्री श्री कुलस्ते को ज्ञापन भी सौंपा था। कर्मचारियों ने मंत्री जी को परियोजना के संचालन में उत्पन्न संकट की विस्तार से जानकारी देते हुए बंद खदान को अविलम्ब चालू कराने की मांग की गई थी। यूनियन के पदाधिकारियों ने केंद्रीय मंत्री को बताया था कि खनिज संपदा प्रकृति में विशेष परिस्थितियों में निर्मित होती है, जिसका स्थानांतरण असंभव होता है। खनन कार्य खनिज संपदा के प्राप्ति स्थल पर ही करना होता है। ज्ञातव्य हो कि हीरा खनन परियोजना का प्रारंभ सन 1958 में हुआ था, जबकि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में लागू हुआ है। बीते 5 वर्षों में परियोजना द्वारा नैगम सामाजिक दायित्व के तहत 1037. 56 लाख रुपये व्यय किये गये हैं। परियोजना बंद होने की स्थिति में पन्ना जिले के लोग मिलने वाले इस लाभ से वंचित हो जायेंगे।
विशेष गौरतलब बात यह है कि पन्ना की मझगंवा स्थित एनएमडीसी हीरा खदान न सिर्फ पन्ना अपितु प्रदेश की भी शान है। यह एशिया महाद्वीप की इकलौती मैकेनाइज्ड हीरा खदान है जहाँ वर्ष 1968 से लेकर अब तक लगभग 13 लाख कैरेट हीरों का उत्पादन किया जा चुका है। इस खदान में अभी भी 8.5 लाख कैरेट हीरों का उत्पादन होना शेष है। ऐसी स्थिति में आगे खदान संचालन की अनुमति यदि नहीं मिलती तो अरबों रुपये कीमत के हीरे जमीन के भीतर ही दफन रह जायेंगे। पन्ना की पहचान बन चुकी एनएमडीसी हीरा खदान के बंद होने से पन्ना के साथ - साथ प्रदेश की चमक भी फीकी पड़ जायेगी। इतना ही नहीं इस खदान के संचालन से हजारों लोगों को परोक्ष व अपरोक्ष रूप से जो लाभ मिलता है वह बंद हो जायेगा साथ ही रोजी रोजगार पर भी असर पड़ेगा। हीरा खनन परियोजना के आसपास स्थित ग्रामों के लोगों को दशकों से जो सुविधायें मिलती रही हैं उनसे भी वंचित होना पड़ सकता है।
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