Friday, March 19, 2021

पन्ना के जंगलों में रहते थे आदिमानव

  •  पहाड़ों की गुफाओं व चट्टानों में आखेट के दुर्लभ भित्त चित्र मौजूद
  •  प्राचीन धरोहरों से समृद्ध जंगल बन सकते हैं पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र

पन्ना जिले के घने जंगल जहाँ की पहाड़ियों व कंदराओं में रहते थे आदिमानव। 

।। अरुण सिंह ।।   

 पन्ना।  मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में स्थित घने जंगलों और पहाड़ों की कंदराओं में हजारों वर्ष पूर्व आदिमानव निवास करते रहे हैं। यहां के पहाड़ों व घने जंगलों के बीच स्थित गुफाओं में मिले आखेट के दुर्लभ चित्रों से यह साबित होता है कि हजारों साल पहले भी यहां पर मानव आबादी थी। जिनके द्वारा चट्टानों और कंदराओं में प्राकृतिक रंगों से आखेट के ऐसे चित्र बनाये गये हैं। 

जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 18 किलोमीटर दूर पन्ना टाइगर रिजर्व के जंगल में जरधोआ गांव के निकट पहाड़ों की चट्टानों व गुफाओं में प्राचीन भित्ति चित्र आज भी मौजूद हैं। भित्ति चित्र (रॉक पेंटिंग) कितने प्राचीन हैं, इसका पता लगाने के लिए जानकारों व विषय विशेषज्ञों की मदद ली जानी चाहिए। ताकि यहां के दुर्लभ प्राचीन भित्ति चित्रों का संरक्षण हो सके। पन्ना टाइगर रिजर्व के घने जंगलों में दर्जनों की संख्या में ऐसी गुफाएं मौजूद हैं, जहां हजारों वर्ष पूर्व आदिमानव निवास करते रहे हैं। यहां की गुफाओं व पहाड़ों की शेल्टर वाली चट्टानों पर उस समय के आदिमानवों की जीवनचर्या का बहुत ही सजीव चित्रण किया गया है। भित्ति चित्रों में वन्यजीवों के साथ-साथ शिकार करने के दृश्य भी दिखाये गये हैं।

जरधोआ गांव के निकट जंगल की पहाड़ी में चट्टानों पर बने प्राचीन भित्ति चित्र। 

 यहां नजर आने वाले भित्ति चित्रों में वन्यजीवों का शिकार करने के लिए आदि मानव द्वारा तीर कमान का उपयोग किया गया है। चित्रों से यह स्पष्ट नहीं होता कि तीर की नोक लोहे की है या फिर इनको नुकीले पत्थर अथवा हड्डी से तैयार किया गया है। यदि तीर के नोक लोहे से निर्मित नहीं हैं, तो भित्ति चित्र पाषाण काल के हो सकते हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व के अलावा जिले के अन्य क्षेत्रों में भी इस तरह के भित्तिचित्र मिले हैं। 

जानकारी के मुताबिक बराछ की पहाड़ी, बृहस्पति कुंड की गुफाओं तथा सारंग की पहाड़ी में भी कई स्थानों पर आदिमानवों द्वारा बनाई गई पेंटिंग मौजूद हैं। लेकिन दुर्भाग्य से अभी तक शासन व प्रशासन का ध्यान इन प्राचीन धरोहरों के संरक्षण की ओर नहीं गया, जिससे इन अमूल्य धरोहरों के नष्ट होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। वन व पर्यावरण का संरक्षण करने के साथ-साथ यदि इन दुर्लभ भित्ति चित्रों को भी संरक्षित किया जाय तो इन प्राचीन धरोहरों से समृद्ध पन्ना के जंगल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं।

दुर्लभ भित्त चित्रों का संरक्षण जरूरी

पर्यावरण संरक्षण के हिमायती व वन्य जीव प्रेमी हनुमंत सिंह का कहना है कि पन्ना के जंगलों में मिले भित्ति चित्र हजारों वर्ष पुराने हैं। इन भित्ति चित्रों का हर हाल में संरक्षण होना चाहिए। क्योंकि इन दुर्लभ धरोहरों से मानव विकास के इतिहास का ज्ञान होता है। आने वाले समय में इन भित्ति चित्रों का पर्यटन के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।

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