Tuesday, March 16, 2021

पन्ना के सकरिया हवाई पट्टी में उतरते थे इंडियन एयरलाइंस के विमान

  •  तत्कालीन पन्ना नरेश महाराजा यादवेंद्र सिंह जूदेव ने वर्ष 1929 में कराया था सकरिया हवाई पट्टी का निर्माण 
  •  पन्ना जिले की पूर्व कलेक्टर दीपाली रस्तोगी के प्रयासों से 13 वर्ष पूर्व फिर यहां पर एयरपोर्ट के निर्माण की हुई थी पहल
  •  नागरिक उड्डयन विभाग के अधिकारियों ने हेलीकॉप्टर से सकरिया पहुंचकर हवाई पट्टी का किया था निरीक्षण

हेलीकॉप्टर से जब सकरिया हवाई पट्टी का निरीक्षण करने पहुंचे नागरिक उड्डयन विभाग के अधिकारी। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। बेशकीमती हीरा की खदानों, घने जंगलों और भव्य प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में आजादी से पहले इंडियन एयरलाइंस के विमान उतरते रहे हैं। जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 12 किलोमीटर दूर पन्ना-सतना मुख्य सड़क मार्ग के किनारे स्थित सकरिया हवाई पट्टी में उतरने वाले विमानों से विदेशी पर्यटक आते थे और फिर यहां से बस में सवार होकर खजुराहो जाते थे। बाद में जब खजुराहो में एयरपोर्ट का निर्माण हो गया तो पन्ना जिले के सकरिया हवाई पट्टी का उपयोग बंद हो गया। लेकिन 13 वर्ष पूर्व तत्कालीन पन्ना कलेक्टर दीपाली रस्तोगी की पहल व प्रयासों से एक बार फिर सकरिया में एयरपोर्ट के निर्माण की उम्मीद जगी थी। उस समय नागरिक उड्डयन विभाग के आला अधिकारी हेलीकॉप्टर से यहां आकर सकरिया हवाई पट्टी का निरीक्षण भी किया था। लेकिन दीपाली रस्तोगी का स्थानांतरण होने के बाद पन्ना जिले के विकास से जुड़ा यह महत्वपूर्ण मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया, फिर किसी ने भी इस मामले की खोज खबर नहीं ली।

 

मौके पर नक्शा देखकर हवाई पट्टी की भूमि का आकलन करते अधिकारी। (फाइल फोटो -अरुण सिंह) 

उल्लेखनीय है कि विश्व धरोहरों की श्रेणी में आने वाले खजुराहो के चंदेल कालीन मंदिरों की सुरक्षा व उनके संरक्षण को दृष्टिगत रखते हुए खजुराहो एयरपोर्ट को आसपास कहीं अन्यत्र शिफ्ट किए जाने की जब बात हो रही थी। उस समय तत्कालीन पन्ना कलेक्टर दीपाली रस्तोगी ने पन्ना जिले की सकरिया हवाई पट्टी जहां पूर्व में विमान उतरते रहे हैं, उसे इसके लिए सबसे उपयुक्त बताते हुए यहां पर एयरपोर्ट के निर्माण की वकालत की थी। उन्होंने नागरिक उड्डयन विभाग को इस आशय का प्रस्ताव दिया था कि खजुराहो एयरपोर्ट का सबसे बेहतर विकल्प पन्ना शहर के निकट स्थित सकरिया हवाई पट्टी है, जहां अत्याधुनिक एयरपोर्ट का निर्माण बिना किसी बाधा के किया जा सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित होने के कारण पर्यटकों को भी यहां से खजुराहो जाने में कोई असुविधा नहीं होगी। महज एक घंटे में सकरिया से खजुराहो पहुंचा जा सकता है।

 सकरिया हवाई पट्टी के आधिपत्य में है 34 हेक्टेयर भूमि 


तत्कालीन पन्ना कलेक्टर दीपाली रस्तोगी। 

सकरिया हवाई पट्टी के निरीक्षण हेतु मार्च 2007 में जब नागरिक उड्डयन विभाग के आला अधिकारी यहां आये थे, उस समय पूरा रिकॉर्ड खंगाला गया था। कलेक्टर दीपाली रस्तोगी ने नागरिक उड्डयन विभाग के अधिकारियों को बताया था कि सकरिया हवाई पट्टी के आधिपत्य में लगभग 34 हेक्टेयर भूमि है तथा इससे लगी वन भूमि है, जिसका जरूरत के अनुरूप अधिग्रहण किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में एक अत्याधुनिक और सर्व सुविधा युक्त एयरपोर्ट के निर्माण हेतु जितनी भूमि व एरिया की जरूरत होगी, वह यहां पर मौजूद है। स्थल का लोकेशन भी एयरपोर्ट के लिहाज से अति उत्तम है।

सिर्फ 60 रुपये था दिल्ली से पन्ना तक विमान का किराया

 राजाशाही जमाने में निर्मित सकरिया हवाई पट्टी में वर्ष 1962 तक इंडियन एयरलाइंस के विमान उतरते रहे हैं। खजुराहो भ्रमण के लिए आने वाले पर्यटक उस समय हवाई जहाज से सकरिया उतरते थे और फिर यहां से सड़क मार्ग द्वारा खजुराहो जाते थे। जानकारों का यह कहना है कि उस जमाने में दिल्ली से पन्ना तक हवाई जहाज का किराया सिर्फ 60 रुपये हुआ करता था। सकरिया हवाई पट्टी का निर्माण कब व किसके द्वारा कराया गया, इसकी खोजबीन किए जाने पर पन्ना राज परिवार के वरिष्ठ सदस्य पूर्व सांसद स्वर्गीय लोकेंद्र सिंह जी ने बताया था कि सकरिया हवाई पट्टी का निर्माण महाराजा यादवेंद्र सिंह जूदेव ने वर्ष 1929 में कराया था।

 सकरिया एयरपोर्ट का भवन खंडहर में तब्दील

 

पन्ना जिला मुख्यालय के निकट स्थित सकरिया हवाई पट्टी का खण्डहर हो चुके भवन का द्रश्य। 

पन्ना जिले के सकरिया एयरपोर्ट में जब विमान उतरते थे, उस समय यहां पर एक शानदार भवन और कार्यालय भी था। जो देखरेख के अभाव में अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। हवाई पट्टी में अब उस भवन के सिर्फ अवशेष बचे हैं। बताते हैं कि हवाई पट्टी का निर्माण होने के बाद आजादी से पूर्व यहां पर अंग्रेज अधिकारी व विभिन्न रियासतों के राजा हवाई जहाज से आते थे। 

जयपुर के महाराज मानसिंह तो अक्सर ही शिकार खेलने के लिए यहां आते थे। आजादी के बाद जब राजाशाही खत्म हो गई, उस समय भी इस हवाई पट्टी का उपयोग होता रहा है। लेकिन बीते 60 वर्षों से यह हवाई पट्टी उपेक्षित पड़ी हुई है। यदि क्षेत्रीय सांसद बीडी शर्मा इस ओर ध्यान दें और सकरिया में एयरपोर्ट के निर्माण हेतु सार्थक पहल व प्रयास करें तो पर्यटन के विकास की असीम संभावनाओं वाले पन्ना जिले का भाग्योदय हो सकता है।

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