Thursday, March 25, 2021

प्राचीन तालाबों से आज भी बुझ रही पन्नावासियों की प्यास

  •  आजादी के 73 सालों में नहीं हो सकी पेयजल की स्थाई व्यवस्था
  •  जीवन के आधार प्राचीन जलाशयों का वजूद भी अब संकट में 

पन्ना शहर के जीवंन का आधार प्राचीन धरमसागर तालाब।  

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। भव्य विशाल मंदिरों और राजाशाही जमाने में निर्मित प्राचीन तालाबों के शहर पन्ना में आबादी बढऩे के साथ ही गर्मी के दिनों में पेयजल संकट गंभीर होने लगा है। आज भी पन्ना शहर के लोग पेयजल के लिए धर्मसागर, लोकपाल सागर व निरपत सागर तालाब के पानी पर ही आश्रित हैं। आजादी के बीते 73 सालों में यहां के जनप्रतिनिधियों ने शहर की पेयजल समस्या का स्थाई समाधान खोजने में कोई रुचि नहीं ली, नतीजतन यही तीन प्राचीन तालाब पन्ना के जीवन का आधार बने हुए हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि इन प्राचीन जलाशयों की सुरक्षा, संरक्षण व सौंदर्यीकरण की सिर्फ चर्चाएं होती रहीं, इस दिशा में ठोस पहल व प्रयास नहीं हुए। फलस्वरुप इन जीवनदायी तालाबों का वजूद ही अब संकट में पड़ गया है।

उल्लेखनीय है कि जीवन के लिए बेहद जरूरी हवा, पानी और पर्यावरण के प्रति हमारा रवैया सम्मानजनक नहीं रहा। हमारी इसी सोच का फायदा दूसरे जिलों व प्रांतों के लोग उठाने का भरसक प्रयास अतीत में भी करते रहे हैं और आज भी कर रहे हैं। केन-बेतवा लिंक परियोजना इसका जीवंत उदाहरण है। बीते 73 सालों में हम 18 किलोमीटर दूर से केन नदी का स्वच्छ जल पन्नावासियों की प्यास बुझाने के लिए नहीं ला सके और केन का पानी 200 किलोमीटर से भी अधिक दूर बेतवा में ले जाने की योजना बना ली गई। इस बहुचर्चित और विवादित परियोजना से पन्ना जिले को क्या लाभ होगा यह तो अभी नहीं पता लेकिन इतना सुनिश्चित है कि इससे पन्ना की अनमोल प्राकृतिक धरोहर नष्ट हो जायेगी। लाखों की संख्या में पेड़ कटेंगे, जिससे राष्ट्रीय पशु बाघ सहित अन्य दूसरे प्राणियों का जीवन संकट में पड़ जायेगा। इसका परिणाम यह होगा कि पन्ना में पर्यटन विकास की जो उम्मीदें जागी हैं, वे भी खत्म हो जायेंगी। जंगल कटने से पर्यावरण को भारी नुकसान होगा और यहां का तापमान जो इतने जंगल के रहते गर्मियों में 45 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंचता है, वह यदि 50 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचे तो कोई आश्चर्य नहीं है। इन हालातों में मंदिरों के शहर पन्ना में जीवन दुश्वार हो जायेगा।

अतिक्रमण का शिकार हो रहे प्राचीन तालाब 


चौतरफा अतिक्रमण की गिरफ्त में आ चुके लोकपाल सागर तालाब का द्रश्य। 

पन्ना शहर के तीनों जीवनदायी तालाबों का वजूद अतिक्रमण के चलते संकट में है। पन्ना-पहाड़ीखेरा मार्ग पर शहर के निकट 492 एकड़ क्षेत्र में लोकपाल सागर तालाब का निर्माण तत्कालीन पन्ना नरेश महाराजा लोकपाल सिंह द्वारा कराया गया था। उस समय यह तालाब कम बारिश में भी लबालब भर जाता था, जिससे शहर में पेयजल की आपूर्ति के साथ-साथ इस क्षेत्र में फसलों की सिंचाई भी हो जाती थी। लेकिन सतत उपेक्षा के चलते इस तालाब के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण होता गया, फलस्वरूप अब यह तालाब भर ही नहीं पाता। तालाब न भर पाने से किसानों को जहां पर्याप्त पानी नहीं मिलता, वहीं पेयजल संकट से भी जूझना पड़ता है। कमोबेश यही हालत शहर के प्राचीन धर्मसागर तालाब व निरपत सागर तालाब की भी है। प्रशासनिक अनदेखी के चलते अतिक्रमण का जाल फैलने से इन उपयोगी जीवनदायी तालाबों का मूल स्वरूप ही तहस-नहस हो गया है।

अधर में लटका किलकिला फीडर का कार्य 

शहर के धर्मसागर व लोकपाल सागर तालाब को बारिश के पानी से लबालब भरने के लिए किलकिला फीडर नहर का पूर्व में निर्माण कराया गया था। जिससे दोनों तालाब अल्प वर्षा होने पर भी भर जाते थे। लेकिन अनदेखी व लापरवाही के कारण यह नहर पूरी तरह अतिक्रमण की चपेट में आ गई, जिससे किलकिला फीडर से तालाबों को भरने की व्यवस्था बाधित हो गई। नगरवासियों की मांग पर शासन द्वारा किलकिला फीडर नहर को पुन: चालू करने के लिए 6 करोड रुपए की राशि स्वीकृत की गई थी। फलस्वरुप बीते साल किलकिला फीडर का कार्य शुरू हुआ लेकिन कुछ माह बाद ही इसका काम जो रुका तो अभी तक चालू नहीं हो सका है। यदि यही रवैया रहा तो आने वाली बारिश में भी तालाब खाली रह जाएंगे। क्योंकि राशि स्वीकृत होने के बावजूद किलकिला फीडर का काम अधर में लटका हुआ है।

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