Tuesday, March 30, 2021

मामा, पेड़ कट जायेंगे तो हमें सांस लेने में दिक्कत होगी

  •  बच्चों, बूढ़ों और जवानों ने की प्रदेश के मुख्यमंत्री से मार्मिक अपील 
  •  केन-बेतवा प्रोजेक्ट को पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए बताया अभिशाप 

हाँथ में पोस्टर लिए मामा जी से मार्मिक अपील करता मासूम बालक। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। विश्व जल दिवस के मौके पर 22 मार्च को केन बेतवा लिंक परियोजना के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एमओए पर हस्ताक्षर किये थे। बाघों से आबाद हो चुके पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए डेथ वारंट जारी करने के छठवें दिन ही प्रदेश के मुखिया शिवराज जी रंगों के पर्व होली पर परिवार सहित एकांतवास के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व की वादियों में आ पहुंचे। यहां उन्होंने अकोला बफर के जंगल में बाघों का दीदार भी किया और दीर्घजीवी बृक्ष बरगद के पौधे का रोपण भी किया। चूंकि उनका यह निजी और एकांत प्रवास था, इसलिए वे न तो स्थानीय लोगों से मिले और न ही उनकी समस्याएं सुनीं। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री जी के पन्ना प्रवास के दौरान ही होली पर्व पर पन्नावासियों ने कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए अनूठे अंदाज में मुख्यमंत्री का ध्यान केंद्र बेतवा लिंक परियोजना तथा उसके विनाशकारी परिणाम की ओर आकृष्ट किया जो राष्ट्रीय स्तर पर अब चर्चा का विषय बन चुका है।

वर्ष 2015 में मुख्यमंत्री जी परिवार सहित जब पन्ना टाइगर रिज़र्व में आये थे, उस समय की तस्वीर। 

अपने हाथों में स्लोगन लिखी तख्तियां लेकर बूढ़े, बच्चे और जवान जो जहां था वहीं से ही प्रदेश के मुखिया शिवराज जी को होली पर्व की शुभकामनाएं देते हुए उनसे मार्मिक अपील की। पन्नावासियों ने मुख्यमंत्री जी से अनुरोध किया कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को दृष्टिगत रखते हुए जिस वनक्षेत्र में आपने परिवार सहित शांति और सुकून के पल बिताये हैं, उस खूबसूरत वनक्षेत्र को कृपा कर उजडऩे से बचायें। विकास के नाम पर बीते 73 सालों में पन्ना को कुछ नहीं मिला, अब कम से कम उसकी प्राकृतिक संपदा को तो सुरक्षित रहने दें। केन नदी न सिर्फ पन्ना टाइगर रिजर्व अपितु बुंदेलखंड क्षेत्र की जीवन रेखा है, जिससे जीव-जंतु, वनस्पतियां, पेड़-पौधे और मानव सभी जीवन पाते हैं। ऐसी जीवनदायी नदी के नैसर्गिक प्रवाह को थाम कर इस अंचल के लोगों की सांसो को अवरुद्ध करने का अपराध मत करें। यहां के लोग आपसे प्यार करते हैं और बच्चे आपको मामा कहते हैं। उनके प्रेम और विश्वास को कायम रखें ताकि आने वाली पीढय़िां भी आपके प्रति सम्मान का भाव रख सकें।


 पन्ना जिले की धरती न सिर्फ रतनगर्भा है अपितु यह ऋषि-मुनियों और साधकों की तपोस्थली भी रही है। यहां का जंगल सुतीक्षण मुनि व अगस्त्य मुनि जैसे ऋषि यों का ठिकाना रहा है, जहां वनवास के समय मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम भी आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। इस धरा की यह तासीर रही है कि यहां के लोग सिर्फ प्रेम और सद्भाव जानते हैं तथा समूचे प्रदेश, राष्ट्र व विश्व की मंगल कामना करते हैं। ऐसे प्रेम पूर्ण और सहज, सरल व प्राकृतिक जीवन जीने वाले लोगों की शांतिपूर्ण जिंदगी में कृपया खलल पैदा न करें। कम से कम इस मासूम बच्चे की अपील पर गौर करें, जो बड़े प्यार से आपको मामा कहते हुए अनुरोध कर रहा है कि प्यारे मामा, इतने पेड़ कट जाएंगे फिर हम लोगों को सांस लेने में दिक्कत होगी न। पन्ना के युवक अपनी भावनाओं का इजहार करते हुए कह रहे हैं कि केन बेतवा प्रोजेक्ट पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए अभिशाप है, कृपा करके इसे रोकें।

 नदी के प्रवाह को रोकने के बजाय धरा को पानीदार बनायें



 नदी के नैसर्गिक प्रवाह को रोकने, लाखों पेड़ पौधों को काटने और एक आबाद व जीवंत वन क्षेत्र को उजाडऩे से किसी का कोई भला नहीं हो सकता। बल्कि इसके दुष्परिणाम आने वाली पीढ़ियों को भोगना पड़ेगा। नदी को हमने नहीं बनाया, यह तो प्रकृति का सृजन है, तो फिर हमें यह अधिकार कहां से मिल गया कि हम मनचाहे तरीके से उसके प्रवाह को बाधित करें। हमारी नासमझी से केन की ही एक सहायक मिढ़ासन नदी मृतप्राय हो चुकी है। इस नदी को पुनर्जीवित करने के लिए आपने एक दशक पूर्व अभियान छेड़ा था, जिसमें 20 करोड़ रुपये से ज्यादा की धनराशि भी खर्च हो चुकी है। लेकिन इस नदी की क्या हालत है, कृपया एक बार आकर जरूर देखें।  मिढ़ासन नदी आज भी सुखी और मृत पड़ी है, सिर्फ बारिश में यह नदी बहती नजर आती है। केन की ही सहायक नदी पतने के भी बुरे हाल हैं। इन हालातों में पन्ना टाइगर रिजर्व को जीवन देने वाली केन नदी को बांधना व यहां के खूबसूरत जंगल को उजाडऩा घातक होगा। हमें इस तरह की विनाशकारी परियोजनाओं के जरिए खुशहाली लाने की कथित सोच पर पुनर्विचार करना चाहिए और इस वसुंधरा को हरा-भरा एवं पानीदार बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिये।

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