Thursday, March 4, 2021

हीरे, मंदिर और जंगल, अब चाहिए "मंगल" !

  •  विशाल वन क्षेत्र के बदले में पन्ना को आखिर क्या मिला ?
  •  पर्यटन के साथ एजुकेशन हब के रूप में होना चाहिए विकास
  •  प्राकृतिक आबोहवा और शांतिपूर्ण वातावरण इसके लिए अनुकूल


डायमण्ड सिटी पन्ना में स्थित सुप्रसिद्ध बल्देव जी का भव्य मंदिर। 
।। अरुण सिंह ।। 

पन्ना। विकास की विपुल संभावनाओं व अनमोल धरोहरों के रहते हुए भी बुंदेलखंड क्षेत्र का पन्ना जिला विकास के मामले में अत्यधिक पिछड़ा और उपेक्षित है। इस जिले का 45 फ़ीसदी से भी अधिक हिस्सा वनों से आच्छादित है तथा यहां की रत्नगर्भा धरती से बेशकीमती हीरे निकलते हैं। यहां के भव्य प्राचीन मंदिर व प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर मनोरम स्थल हर किसी का मन मोह लेते हैं। ऐसी अनगिनत खूबियों के रहते हुए बुंदेल केसरी महाराजा छत्रसाल की नगरी जिसे समृद्धि के शिखर पर होना चाहिए, वह आख़िरकार दीन हीन और फटेहाल क्यों है ? 

 उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले को प्रकृति ने अनगिनत सौगातों से नवाजा है, लेकिन ये खूबियां इस जिले के लिए वरदान साबित होने के बजाय अभिशाप बनी हुई हैं। आजादी के तकरीबन 73 साल गुजर जाने के बाद भी पन्ना जिला जहां अभी भी रेल सुविधा से वंचित है, वही यहां पर औद्योगिक विकास न के बराबर है। इस पिछड़ेपन व गरीबी के लिए यहां के खूबसूरत जंगलों व राष्ट्रीय उद्यान को जिम्मेदार ठहराया जाता है। जिले के अधिसंख्य लोगों को यह तर्क समझ में भी आता है कि वनों के कारण ही जिले का विकास बाधित है। यही वजह है कि ज्यादातर लोगों के जेहन में जंगल के प्रति बैर भाव है। जबकि हकीकत यह है कि यहां की हरी-भरी वादियां व खूबसूरत जंगल यदि उजड़ गया तो पन्ना की सारी खूबी भी तिरोहित हो जाएगी। जंगल के रहते जब गर्मियों में पन्ना का तापमान 46 डिग्री सेल्शियस के पार पहुंच जाता है,तो कल्पना करिये जंगल के उजड़ जाने पर क्या स्थिति बनेगी। जाहिर है कि तापमान का पारा 50 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचेगा, तब पन्ना में रह पाना क्या संभव होगा ? यहां की भौगोलिक स्थिति और प्रकृति के अनुरूप होना तो यह चाहिए कि पन्ना की वादियां व जंगल भी सुरक्षित रहें और यहां के बाशिंदों की रोजी-रोटी भी चलती रहे। इस दिशा में स्थानीय जनप्रतिनिधियों विशेषकर सांसद बी.डी. शर्मा तथा पन्ना विधायक व प्रदेश शासन के खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह को ठोस और सार्थक पहल करनी चाहिये, ताकि पन्ना सही अर्थों में विकास के पथ पर अग्रसर हो सके।

 

जैव विविधता से परिपूर्ण पन्ना टाइगर रिज़र्व के जंगल की हरी-भरी वादियों का मनोरम द्रश्य। 

पन्ना जिले ने देश को यदि इतना बड़ा वन क्षेत्र व बेहतर पर्यावरण दिया है तो इसके बदले में पन्ना को भी प्रतिफल मिलना चाहिए। अन्यथा लाख प्रयासों के बावजूद न तो जंगल बचेगा और ना ही जंगल में विचरण करने वाले वन्य प्राणी। यदि सरकार पन्ना जिले में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग नहीं लगा सकती तो कम से कम इसे एजुकेशन हब के रूप में तो विकसित किया ही जा सकता है। यहां की प्राकृतिक आबोहवा और शांतिपूर्ण वातावरण शैक्षणिक गतिविधियों के लिए अनुकूल है। इसके अलावा पर्यटन के विकास को बढ़ावा देकर स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान किए जा सकते हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ पुनर्स्थापना योजना को मिली ऐतिहासिक कामयाबी को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि यहां पर बाघ पुनर्स्थापना का रिसर्च सेंटर खुले ताकि यहां के अनुभवों का लाभ पूरे देश के टाइगर रिजर्वों को मिल सके।

जेमोलॉजी पर केंद्रित शैक्षणिक संस्थान की हो स्थापना


पन्ना की खदान से निकले हीरे। 

विश्व प्रसिद्ध हीरा खदानों के लिए पन्ना जाना जाता है। यहां पर उत्तम गुणवत्ता वाले हीरे निकलते हैं। सदियों से पन्ना की खदानों से हीरा निकाला जाता रहा है जो आज भी जारी है। लेकिन इसका अपेक्षित लाभ पन्ना को नहीं मिला। मौजूद समय पन्ना में डायमंड म्यूजियम खोले जाने की खासी चर्चा है, म्यूजियम खोलना अच्छी बात है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। पन्ना में ऐसे शिक्षण संस्थान खुलने चाहिए जिससे यहां हीरा व्यवसाय को बढ़ावा मिले तथा रोजी रोजगार के नए अवसर पैदा हों। इसके लिए जेमोलॉजी पर केंद्रित शैक्षणिक संस्थान की स्थापना उपयोगी साबित होगी। क्योंकि यहां पर हीरा निकलता है इसलिए पन्ना इसके लिए उपयुक्त स्थल है। उल्लेखनीय है कि रत्नों की पहचान, मूल्यांकन की कला, पेशा और विज्ञान को जेमोलॉजी कहा जाता है। जेमोलॉजी के अंतर्गत रत्नों की पहचान करना तथा रत्नों की कटिंग, सॉर्टिंग (छटाई), ग्रेडिंग, वैल्यूएशन (मूल्य निर्धारण), डिजाइनिंग के बारे में बताया जाता है। देश में जेमोलॉजि विषय के बहुत ही कम से शैक्षणिक संस्थान हैं, जो कि महानगरों में स्थित हैं। लेकिन जहां हीरा निकलता है वहाँ इससे संबंधित कोई शिक्षा संस्थान नहीं है। यदि इसकी स्थापना हो जाए तो देश भर के विद्यार्थी यहाँ पढऩे आएंगे, इसी के साथ यहां पर हीरों की कटिंग, पॉलिसिंग व ज्वेलरी निर्माण का काम भी होगा। जिससे हीरा व्यवसाय को पंख लग जाएंगे और इसका लाभ निश्चित ही स्वाभाविक तौर पर पन्ना को मिलेगा।

बाघ पुनर्स्थापना रिसर्च व ट्रेनिंग सेंटर जरूरी


आर. श्री निवास मूर्ति। 

पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से आबाद करने के लिए वर्ष 2009 में शुरू की गई बाघ पुनर्स्थापना योजना को कामयाबी दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर श्रीनिवास मूर्ति भी इस बात के पक्षधर हैं। उनका कहना है कि पन्ना में बाघ पुनर्स्थापना सेंटर के साथ-साथ वन अधिकारियों के प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना होनी चाहिए। ऐसा होने से पन्ना की जहां एक नई पहचान बनेगी वहीं रोजी रोजगार के अवसरों का भी सृजन होगा। इसके लिए हिनौता अनुकूल व उपयुक्त जगह है। इसको मूर्त रूप देने में एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना की भी मदद ली जा सकती है।

हीरा और जंगल से बदल सकती है तस्वीर 

हीरा अधिकारी पन्ना। 

प्रकृति ने पन्ना को बेशकीमती रत्न हीरा व खूबसूरत जंगल की सौगात दी है। यदि इन्हीं दो खूबियों का पन्ना के हित में बेहतर उपयोग हो तो पन्ना जिले का कायाकल्प हो सकता है। खनिज एवं हीरा अधिकारी पन्ना रवि कुमार पटेल का कहना है कि पन्ना में जेम एंड ज्वैलरी रिसर्च व एजुकेशन इंस्टीट्यूट की स्थापना यदि हो जाए तो यह देश का सबसे अच्छा इंस्टिट्यूट साबित होगा। क्योंकि पन्ना में हीरा निकलता है इसलिए इसकी स्थापना से पन्ना में हीरा व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा तथा रोजी रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।

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