नई पीढ़ी को प्रकृति का मर्म समझाने वाले, पन्ना नेचर कैंप के मुख्य शिल्पी तथा पन्ना जिले की कई पीढियों को शिक्षित और संस्कारित करने वाले शिक्षाविद परम सम्माननीय अंबिका प्रसाद खरे जी के निधन से विचलित हूं। आज हमने एक ऐसे शिक्षक को खो दिया है जो 89 वर्ष की उम्र में भी ताजगी और ऊर्जा से लबरेज रहते थे। दो वर्ष पूर्व 1 फरवरी 2019 को आपके आकर्षक व चुंबकीय व्यक्तित्व के बारे में मैंने अपने ब्लॉग में चंद लाइने लिखी थीं। जिनसे अंबिका जी के आकर्षक व्यक्तित्व की झलक मिलती है।
इस महान शिक्षक, प्रकृति प्रेमी और कर्मयोगी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !
दो वर्ष पूर्व अकोला बफर क्षेत्र में मेरे द्वारा ली गई अम्बिका जी की तस्वीर। |
।। अरुण सिंह पन्ना ।।
वक्त से पहले ही बूढ़े हो चुके निराश हताश और तनाव से भरे युवक मौजूदा समय हर जगह मिल जाएंगे, लेकिन 87 वर्ष का उर्जा से लबरेज हर समय कुछ नया सीखने की ललक वाला प्रशन्न चित्त युवक निश्चित ही दुर्लभ घटना है। 87 वर्ष के इस युवा से मिलना और उनके अनुभवों को साझा करना किसी के लिए भी प्रेरणादाई साबित हो सकता है। आकर्षक व्यक्तित्व का धनी यह युवा मंदिरों के शहर पन्ना में किसी परिचय का मोहताज नहीं है, क्योंकि अपने लंबे जीवन काल में इन्होंने कई पीढय़िों को शिक्षित और संस्कारित किया है ।इनके पढ़ाए हुए न जाने कितने विद्यार्थी कब बुढ़ापे की दहलीज को लांघते हुए इस दुनिया से ही कूच कर गए लेकिन यह बुजुर्ग युवा आज भी ताजगी से भरा है और शिक्षा की रोशनी फैलाने के कार्य में जुटा हुआ है। नई पीढ़ी को प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण से जोड़ने के लिए भी इनके द्वारा अभिनव पहल की गई जो अनवरत जारी है। इस उम्र में भी उनकी आंखों की चमक कायम है बिना चश्मे के उन्हें लिखते और पढ़ते हुए देख आज के युवक आश्चर्य से भर जाते हैं। अब तो आप समझ गए होंगे यह शख्स कौन है ? ठीक समझा यह अंबिका प्रसाद खरे हैं जिन्हें लोग अंबिका सर कहते हैं। पिछले दिनों पन्ना बफर क्षेत्र के अकोला जंगल में इस बुजुर्ग युवा का सानिध्य मिला फलस्वरुप यह सब लिखने से अपने को नहीं रोक पाया। अंबिका जी को देख कर यह एहसास हुआ कि -
"जवानों में भी कई बूढ़े हैं,और बूढ़ों में भी कई जवान हैं"।
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