Sunday, September 26, 2021

लैंगिक बदलाव, पोषण एवं शारीरिक स्वच्छता पर प्रशिक्षण

  • दो दिवसीय कार्यशाला के विषयों पर विस्तार पूर्वक हुई चर्चा 
  • किशोरियों को जागरूक करने विकास संवाद समिति की पहल 

दो दिवसीय आवसीय प्रशिक्षण में भागीदारी निभाने वाली किशोरियां। 

पन्ना। पन्ना जनपद की दस्तक परियोजना के 25 ग्रामों की 50 किशोरियों का दो दिवसीय आवसीय प्रशिक्षण आयोजित हुआ। इस प्रशिक्षण में प्रत्येक ग्राम स्तरीय गठित दस्तक किशोरी समूह की दो-दो किशोरियों द्वारा भागीदारी की गई। यह प्रशिक्षण किशोरियों में शारीरिक, मानसिक, विकास बहुत तेजी से होता है। इस अवस्था में किशोरियां अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति बहुत ही संवेदनशील होती है। 

यह एक ऐसी अवस्था है जब किशोरियों का व्यहार एक महत्त्व पूर्ण आकार लेता है। जिसका प्रभाव भविष्य में उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। किशोरियों में सबसे बड़ी समस्या खून की कमी होती है। परियोजना के कार्यक्षेत्र में भी किशोरियां इस समस्या से ग्रस्त है। इसी उम्र में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है और इस अवस्था में सही पोषण न मिलने की वजह से उनमे खून की कमी हो जाती है। इस समस्या के परिणाम स्वरूप एवं कम उम्र में विवाह होने से महिलाओं एवं किशोरियों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है और जब गर्भ धारण करती है। तो जच्चा एवं बच्चा की मृत्यु की संभावनाएं बढ़ जाती है। इस सब पर किशोरियों को जागरूक करने हेतु विकास संवाद समिति पन्ना द्वारा कार्यशाला आयोजित की गई। यह कार्यशाला संकल्प गार्डन पन्ना में आयोजित की गई। कार्यशाला की शुरुआत, हम होंगे कामयाब, प्रेरणा गीत से हुई।दस्तक परियोजना के जिला समन्वयक रविकांत पाठक द्वारा सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए दो दिवसीय कार्यशाला के बिषयों पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई। इसके साथ ही कार्यशाला के उद्देश्य से सभी प्रतिभागियों को अवगत कराया गया।


प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षिका मंजू चटर्जी द्वारा किशोरियों को जेंडर समस्या को कम करने, किशोर अवस्था में होने वाले दुतियक लेंगिक बदलाव से भयभीत नहीं होने के साथ ही मानसिक रूप से भयभीत नहीं होने की सलाह दी गई। यह भी बताया गया की किशोर अवस्था में मासिक चक्र के दौरान रक्तस्राव होता है जिससे शरीर में खून की कमी होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। खून की कमी से बचने के लिए आयरन फोलिक, कैल्शियम और पोष्टिक आहार खाना चाहिए।खाने में प्रति दिन मौसमी सब्जियों, फलों के साथ ही दाल एवं दूध लेना चाहिए। इस कार्यशाला के आयोजन एवं प्रबंधन में समीना युसूफ, रामऔतार तिवारी, छत्रसाल पटेल, रामविशाल, बबली,वैशाली, कमलाकांत, दीपा, समीर खान की महत्त्व पूर्ण सहयोग प्रदान किया गया।

00000 

No comments:

Post a Comment