Wednesday, February 2, 2022

देश के इकलौते हीरा कार्यालय पर मंडरा रहे संकट के बादल

  • एक लिपिक व एक हीरा पारखी के सहारे संचालित हो रहा हीरा कार्यालय
  • इटवांखास व पहाड़ीखेरा में संचालित होने वाले उप कार्यालय भी हुए बंद 

कैसे कायम रहेगी हीरों के लिए प्रसिद्ध रत्नगर्भा धरती पन्ना की पहचान। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। बेशकीमती हीरों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में स्थित देश के इकलौते हीरा कार्यालय पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यहाँ की रत्नगर्भा धरती से भले ही बेशकीमती हीरे निकलते हैं लेकिन लेकिन इन हीरों की चमक यहाँ कहीं नजर नहीं आती। शासन की अनदेखी और उपेक्षा के चलते पन्ना स्थित हीरा कार्यालय भी अब बंद होने की कगार में जा पहुंचा है। पिछले कई वर्षों से इस कार्यालय में कर्मचारियों के रिटायर होने पर उनकी जगह किसी की पदस्थापना नहीं हुई, फलस्वरूप इस कार्यालय के ज्यादातर पद खाली पड़े हैं। आलम यह है कि देश का यह इकलौता हीरा कार्यालय एक लिपिक व एक हीरा पारखी के सहारे संचालित हो रहा है। 

उल्लेखनीय है कि पूर्व में पन्ना स्थित हीरा कार्यालय में जहाँ हीरा अधिकारी की पदस्थापना होती थी वहीं अब खनिज अधिकारी के पास हीरा कार्यालय का प्रभार है। नवीन कलेक्ट्रेट भवन में हीरा अधिकारी का चेंबर तक नहीं है, हीरा कार्यालय एक छोटे से कमरे में संचालित हो रहा है। हीरा पारखी अनुपम सिंह ने बताया कि पहले पन्ना जिला मुख्यालय के साथ-साथ इटवांखास व पहाड़ीखेरा में उप कार्यालय हुआ करते थे जो अब बंद हो चुके हैं। उस समय उथली हीरा खदानों की निगरानी व खदानों से प्राप्त होने वाले हीरों को जमा कराने के लिए तीन दर्जन से भी अधिक सिपाही और हीरा इंस्पेक्टर पदस्थ थे। लेकिन अब सिर्फ दो सिपाही बचे हैं जो अपने रिटायरमेंट की राह देख रहे हैं।   

संयुक्त कलेक्ट्रेट स्थित हीरा कार्यालय जो एक कमरे में संचालित हो रहा। 

पन्ना जिले में हीरा धारित पट्टी का विस्तार लगभग 70 किलोमीटर क्षेत्र में है, जो मझगवां से लेकर पहाड़ीखेरा तक फैली हुई है। हीरे के प्राथमिक स्रोतों में मझगवां किंबरलाइट पाइप एवं हिनौता किंबरलाइट पाइप पन्ना जिले में ही स्थित है। यह हीरा उत्पादन का प्राथमिक स्रोत है जो पन्ना शहर के दक्षिण-पश्चिम में 20 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां अत्याधुनिक संयंत्र के माध्यम से हीरों के उत्खनन का कार्य सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) द्वारा संचालित किया जाता रहा है। मौजूदा समय उत्खनन हेतु पर्यावरण की अनुमति अवधि समाप्त हो जाने के कारण यह खदान 1 जनवरी 21 से बंद है। एनएमडीसी हीरा खदान बंद होने से हीरों के उत्पादन का ग्राफ जहाँ नीचे जा पहुंचा है वहीँ शासन को मिलने वाली रायल्टी में भी कमी आई है। यदि निकट भविष्य में एनएमडीसी हीरा खदान चालू नहीं हुई और हीरा कार्यालय की हालत नहीं सुधरी तो हीरों से जो पन्ना की पहचान थी वह भी ख़त्म हो सकती है।   

कर्मचारियों के अभाव में कैसे होगी हीरों की नीलामी 

पन्ना जिले की उथली हीरा खदानों से प्राप्त होने वाले हीरों की नीलामी कराई जाती है। इस वर्ष भी 24 फरवरी से संयुक्त कलेक्ट्रेट भवन पन्ना में हीरों की नीलामी कराई जानी है। इस नीलामी में 175.82 कैरेट वजन के 139 नग हीरे रखे जाएंगे। खनिज अधिकारी पन्ना रवि पटेल जो हीरा अधिकारी के भी प्रभार में हैं उन्होंने भी चिंता जाहिर करते हुए बताया कि आगामी 24 फरवरी से होने जा रही हीरों की नीलामी में कर्मचारियों की कमी से उपजी समस्या का कुछ न कुछ समाधान खोजना पड़ेगा ताकि नीलामी सकुशल संपन्न हो सके। 

हीरा अधिकारी पन्ना रवि पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि हीरों की नीलामी 24 फरवरी से शुरू होकर कुल हीरों की नीलामी पूर्ण होने तक चालू रहेगी। श्री पटेल ने बताया कि सुबह 9:00 बजे से 11:00 बजे तक हीरो का निरीक्षण किया जाएगा, तत्पश्चात उनकी बोली की जाएगी। नीलामी में उज्जवल, मैले व औद्योगिक किस्म के 139 नग हीरे रखे जाएंगे जिनकी अनुमानित कीमत 1 करोड़ 78 लाख 61हजार 890 रुपये है। हीरा अधिकारी ने बताया कि हीरों की इस नीलामी में सबसे बड़ा उज्जवल किस्म का कीमती हीरा भी रखा जा रहा है, जिसका वजन 14.09 कैरेट है। इसके अलावा 13.54 कैरेट वजन का भी हीरा है जो नीलामी में आकर्षण का केंद्र रहेगा।

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