Friday, April 1, 2022

मध्य प्रदेश के जंगलों में आग लगने का नहीं थम रहा सिलसिला

  • पन्ना जिले में प्रतिदिन आ रहे 8-10 फायर प्वाइंट 
  • महुआ सीजन में सर्वाधिक होती हैं आग की घटनाएं 

अपनी जान जोखिम में डालकर जंगल में भड़की आग को बुझाते वनकर्मी। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना।  गर्मी के शुरुआती दौर में ही मध्य प्रदेश के जंगलों में आग लगने का सिलसिला जो शुरू हुआ तो थमने का नाम नहीं ले रहा। प्रदेश के वन क्षेत्र वाले अधिकांश जिलों में आग लगने की घटनाएं दर्ज हुई हैं। शुक्रवार 1 अप्रैल को भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा जारी अलर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में आज आग लगने की 71 बड़ी घटनाएं हुई हैं, जो तुलनात्मक रूप से देश में अन्य दूसरे प्रांतों के मुकाबले सर्वाधिक है। 

जंगल में आखिर आग क्यों भड़कती है, इस बाबत पूछे जाने पर वन मंडलाधिकारी उत्तर वन मंडल पन्ना गौरव शर्मा ने बताया कि महुआ सीजन गर्मी के मौसम में आता है। तेज धूप और गर्मी पडऩे पर ही महुआ फूल नीचे टपकते हैं। चूंकि गर्मी में पतझड़ भी होता है जिससे महुआ वृक्ष के नीचे बड़ी मात्रा में पत्ते जमा हो जाते हैं जिसके चलते महुआ फूल इन पत्तों के बीच से बीनने पर काफी असुविधा होती है। इसे दूर करने के लिये लापरवाहीवश ग्रामीण पेड़ के नीचे सफाई करने के लिये पत्तों में आग लगा देते हैं, यह आग फैलकर कभी-कभी जंगल को ही अपनी चपेट में ले लेती है जिससे वन व वन्य प्राणियों को नुकसान होता है। 

श्री शर्मा आगे बताते हैं कि आगजनी की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए हर रेंज में फायर वाचर तैनात किए गए हैं। जिस इलाके से आग लगने की सूचना मिलती है वहां तत्काल फायर वाचरों सहित वन कर्मियों को आग बुझाने के लिए भेजा जाता है। डीएफओ श्री शर्मा ने बताया कि पिछले तीन-चार दिनों से पन्ना जिले के उत्तर वन मंडल में 8-10 फायर पॉइंट आ आ रहे हैं। आग लगने की ऐसी घटनाएं महुआ सीजन में ज्यादा होती हैं। हम वन समितियों के माध्यम से ग्रामीणों को जागरूक करने का भी काम कर रहे हैं तथा उनको समझाइस दे रहे हैं कि महुआ वृक्षों के नीचे पत्तों में गांव के लोग आग न लगायें।

जंगल में आग लगने पर उसे बुझाने के लिए हर समय तैयार रहते हैं ये फायर वाचर। 

इस वर्ष मार्च के महीने में ही आगजनी की घटनाओं ने तांडव दिखाना शुरू कर दिया है। मार्च में उत्तर वन मंडल व दक्षिण वन मंडल सहित पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में कई इलाकों पर आग भड़क चुकी है, जिससे जंगल को क्षति पहुंची है। डीएफओ शर्मा ने बताया कि बीते 31 मार्च को  पन्ना बफर,छापर, झिन्ना, रानीपुर, दहलान चौकी,बनहरी, विश्रामगंज व पाठा में आग भड़की थी जिसे बुझाने में फायर वॉचर और वन कर्मी लगे हैं। 

पन्ना टाइगर रिज़र्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि आग लगने के मामले में बफर क्षेत्र का जंगल कोर के मुकाबले ज्यादा सेंसटिव है। इसकी वजह बताते हुए आपने कहा कि कोर क्षेत्र में वनोपज संग्रहण ( महुआ ) की इजाजत नहीं है, जबकि बफर क्षेत्र में ग्रामीण महुआ बीनते हैं। आग लगने की मुख्य वजह यही है। श्री शर्मा ने बताया कि अप्रैल का महीना इस द्रष्टि से काफी संवेदनशील रहेगा क्योंकि 20-25 अप्रैल तक महुआ सीजन चल सकता है।     

क्षेत्र संचालक के मुताबिक बफर क्षेत्र में अजयगढ़, रानीपुर और दहलान चौकी वाला इलाका ज्यादा सेंसटिव है। हमारे फायर वाचर व वन कर्मी आग लगने की सूचना मिलते ही तत्काल मौके पर पहुंचकर आग बुझाने में जुट जाते हैं।  मैदानी वन कर्मचारियों का कहना है कि गर्मी के दिनों में जंगल को आग से बचाना बड़ी चुनौती होती है। यहाँ सूखी घास के मैदान बारूद के ढेर की तरह हैं यदि आग फ़ैल पाई तो बुझा पाना मुश्किल हो जाता है। वन अधिकारीयों के मुताबिक गर्मी शुरू होने से पहले जंगल में फायर लाइन बनाई जाती है ताकि लोगों द्वारा बीड़ी, सिगरेट फेके जाने पर आग जंगल में न फैले। 

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