Thursday, June 9, 2022

पन्ना टाइगर रिजर्व के नर बाघ पी-111 की हुई संदिग्ध मौत

  • सड़क किनारे शव मिलने से मॉनिटरिंग व्यवस्था पर उठ रहे सवाल 
  • पन्ना में जन्मा बाघ पुनर्स्थापना योजना का था यह पहला बाघ 

पन्ना-कटनी सड़क मार्ग के किनारे बाघ पी-111 का शव इस हालत में मिला। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। बाघों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में गुरुवार को सुबह संदिग्ध हालत में नर बाघ पी-111 का शव मिला है। बाघ की मौत से टाइगर रिजर्व में जहां खलबली मची हुई है, वहीं मानिटरिंग व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। 13 वर्षीय नर बाघ की मौत कैसे व किन परिस्थितियों में हुई अभी इसका पता नहीं चला, लेकिन पार्क प्रबंधन मौत की वजह बीमारी बता रहा है।

क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि पन्ना कोर परिक्षेत्र के बीट राजा बरिया कक्ष क्रमांक पी-394 में पन्ना-कटनी सड़क मार्ग के किनारे बाघ पी-111 मृत पाया गया है। श्री शर्मा ने बताया कि मृत नर बाघ की उम्र लगभग 13 वर्ष है। यह नर बाघ पन्ना टाइगर रिजर्व का डील-डौल व साइज में सबसे बड़ा बाघ था, जिसकी एक झलक पाने को पर्यटक बेताब रहते थे। इस नर बाघ ने यहां बाघों की वंश वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है तथा पन्ना टाइगर रिजर्व के बड़े इलाके में इस ताकतवर बाघ का साम्राज्य रहा है।

राजा बरिया में मृत बाघ पी-111 का हुआ दाह संस्कार।   

बाघ की मौत कैसे हुआ किन परिस्थितियों में हुई इस बाबत पूछे जाने पर क्षेत्र संचालक श्री शर्मा ने बताया कि पोस्टमार्टम से पता चला है कि बाघ की किडनी फेल थी। किसी बीमारी के चलते इसकी मौत हुई है। मृत बाघ का पोस्टमार्टम वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता द्वारा किया गया है। श्री शर्मा ने बताया कि बाघ के अवयवों का सैंपल जांच हेतु बरेली, सागर व जबलपुर भेजा जा रहा है। जांच रिपोर्ट आने पर ही पता चलेगा कि मौत की वजह क्या है। मृत नर बाघ का पोस्टमार्टम के उपरांत राजा बरिया में क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा, उपसंचालक रिपुदमन सिंह भदौरिया, वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव गुप्ता व राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रतिनिधि इंद्रभान सिंह बुंदेला की मौजूदगी में दाह संस्कार किया गया।

बाघ पी-111 से ही शुरू हुई थी सफलता की कहानी

वर्ष 2009 में जब पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था, तब यहां बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से आबाद करने के लिए बाघ पुनर्स्थापना योजना शुरू हुई। योजना के तहत बांधवगढ़ से 4 मार्च 2009 को बाघिन टी-1 पन्ना लाई गई। इस बाघिन का पेंच टाइगर रिजर्व से पन्ना लाए गए नर बाघ टी-3 से संसर्ग हुआ। तदुपरांत बाघिन टी-1 ने 16 अप्रैल 2010 को रात्रि धुंधुआ सेहा में चार नन्हे शावकों को जन्म दिया। इन्हीं शावकों में पहला शावक पी-111 था। जिसका जन्म दिन हर साल 16 अप्रैल को धूमधाम के साथ मनाया जाता रहा है। पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना की सफलता की कहानी इसी बाघ से शुरू हुई थी, जो अब नहीं रहा।

18 माह की उम्र में मां से अलग होकर कायम किया साम्राज्य


बाघिन पी-213 के साथ नर बाघ पी-111  ( फाइल फोटो )  

नर बाघ पी-111 जन्म के बाद 18 माह तक अपनी मां बाघिन टी-1 के साथ रहकर जंगल में रहने और शिकार करने का कौशल सीखा। फिर मां से अलग होकर इसने अपना पृथक साम्राज्य बनाया। अपने पिता टी-3 के इलाके तालगांव पठार पर इस बाघ ने कब्जा जमा लिया। भारी-भरकम डील डौल वाले इस शानदार नर बाघ का दबदबा पन्ना टाइगर रिजर्व के बड़े इलाके में कायम रहा। आलम यह था कि कोई भी दूसरा नर बाघ इसके इलाके में जाने की जुर्रत नहीं कर पाता था। फलस्वरूप यह बाघिन पी- 213, पी-234 व टी-2 सहित अन्य कई बाघिनों के साथ पन्ना में बाघों की वंश वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया। मौजूदा समय यह नर बाघ पन्ना कोर क्षेत्र व अकोला बफर के जंगल में स्वच्छंद रूप से विचरण करता रहा है।

राजाबरिया का राजा था बाघ पी-111 

पन्ना टाइगर रिजर्व का नर बाघ जिसका शव आज पन्ना कोर परिक्षेत्र के राजाबरिया बीट में मिला है, वनकर्मी उसे राजाबरिया का राजा कहकर पुकारते थे। पन्ना टाइगर रिजर्व का यह सबसे डोमिनेंट टाइगर था, जिसकी हुकूमत पन्ना कोर से लेकर हिनौता वन परिक्षेत्र तक चलती थी। पन्ना के इस सबसे ज्यादा बलशाली बाघ का भी नियमानुसार पोस्टमार्टम के बाद दाह संस्कार किया गया। टाइगर सहित अन्य दूसरे वन्य प्राणियों की मौत होने पर उनका दाह संस्कार इसलिए कर दिया जाता है ताकि उनके अंगों का दुरुपयोग ना हो सके।

शिखर पर पन्ना इसलिए बेहतर मॉनिटरिंग जरूरी

मौजूदा समय पन्ना टाइगर रिजर्व में 70 से भी अधिक बाघ हैं जो टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र सहित बफर क्षेत्र के जंगलों में स्वच्छंद रूप से विचरण कर रहे हैं इसके पूर्व बाघों की इतनी संख्या टाइगर रिजर्व में कभी नहीं रही इस लिहाज से पन्ना टाइगर रिजर्व इस समय शिखर पर है इसे कायम रखना पार्क प्रबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि थोड़ी सी चूक भी बड़े खतरे की वजह बन सकती है इसलिए जंगल में मॉनिटरिंग सिस्टम को और बेहतर बनाना समय की जरूरत ही नहीं अनिवार्यता भी है।

पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना के शिल्पी रहे पूर्व क्षेत्र संचालक आर श्रीनिवास मूर्ति ने नर बाघ पी-111 की मौत पर गहरा दु:ख प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि इसी बाघ के जन्म से पन्ना की सफलता की कहानी शुरू हुई थी। यह बहुत ही पीड़ादायी व दु:ख की बात है कि अब पी-111 हमारे बीच नहीं है।

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