- पन्ना टाइगर रिज़र्व क्या फिर 2009 की राह पर चल पड़ा है ?
- घटना से वन्यजीव प्रेमी दु:खी होने के साथ ही अब चिंतित भी
पन्ना टाइगर रिज़र्व के अकोला बफर क्षेत्र में मिले बाघ शावक का शव। |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। पन्ना टाइगर रिज़र्व यकायक दु:खद कारणों के चलते राष्ट्रीय स्तर पर सुर्ख़ियों में आ गया है। गुरुवार को सुबह पन्ना-कटनी मार्ग पर सड़क के किनारे नर बाघ पी-111 का संदिग्ध हालत में शव मिलता है। इस बाघ का दाह संस्कार होने के कुछ ही घण्टे बाद अकोला बफर क्षेत्र से 9 माह की उम्र पार कर चुके एक शावक के मरने की खबर आ जाती है। एक ही दिन में घटी इन दो घटनाओं ने वन्य जीव प्रेमियों को दु:खी करने के साथ ही चिंता में डाल दिया है। लोग कहने लगे हैं कि पन्ना टाइगर रिज़र्व क्या फिर 2009 की राह पर चल पड़ा है ?
बाघ शावक की असमय मौत की खबर मिलने पर जब पन्ना टाइगर रिज़र्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि मृत शावक बाघिन पी-234 का बच्चा है जो लगभग 9 माह का है। बीते साल इस बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया था। मौत के सम्बन्ध में श्री शर्मा ने बताया कि किसी बाघ ने इस शावक को मारा है। लेकिन पार्क प्रबंधन के इस दावे पर ज्यादातर लोग असहमति जता रहे हैं। मृत बाघ शावक का पोस्टमार्टम चूँकि आज नहीं हो सका इसलिए मौत की असल वजह क्या है यह स्पष्ट नहीं हुआ। शावक का पीएम अब 10 जून को होगा तभी मौत के कारणों का खुलासा हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि टाइगर रिज़र्व में फील्ड की लचर व्यवस्था को देखते हुए विगत कई माह पूर्व से ही मैदानी अमला दबी जुबान से हालात बिगड़ने की आशंका जताने लगे थे लेकिन आला अधिकारी इससे बेखबर वाहवाही में ही मशगूल रहे। नतीजा आज सामने है कि एक ही दिन में दो बाघ निपट गये। जानकारों का तो यहाँ तक कहना है कि अभी तो यह टेलर है, यदि फील्ड की व्यवस्था व मॉनिटरिंग सिस्टम में सुधार नहीं हुआ तो पूरी फिल्म देखने को मिलेगी। वन्य जीव प्रेमी अब कहने लगे हैं कि पन्ना वालो बचा सको तो अपनी इस अमूल्य प्राकृतिक धरोहर को बचा लो अन्यथा बाघों से आबाद यह खूबसूरत जंगल फिर बाघ विहीन हो जायेगा।
बाघिन पी-234 के कुनबे से ही गुलजार हुआ अकोला बफर
पन्ना टाइगर रिजर्व के अकोला बफर का आकर्षण बाघिन पी-234 तथा उसका भरा-पूरा कुनबा है। मालूम हो कि पन्ना टाइगर रिजर्व की संस्थापक बाघिन टी-2 जिसे मार्च 2009 में कान्हा से पन्ना लाया गया था। इस बाघिन ने जुलाई 2013 में चार शावकों को जन्म दिया था। इन्हीं शावकों में से एक बाघिन पी-234 है। जिसके कुनबे ने अकोला बफर को गुलजार किया हुआ है। इस बाघिन ने नर बाघ टी-7 के साथ मिलकर अपने कुनबे को बढ़ाया है। इसी बाघिन की बेटी पी-234 (23) ने अकोला बफर क्षेत्र में ही जनवरी 2021 में तीन शावकों को जन्म दिया था।
बाघिन पी- 234 ने भी अपने चौथे लिटर में तीन शावकों को जन्म दिया था। कैमरा ट्रैप में बाघिन सहित शावकों की फोटो पहली बार सितम्बर 21 में कैद हुई थी। इन्ही तीन शावकों में से एक की मौत हुई है। इसके पूर्व बाघिन पी-234 ने अपने तीसरे लिटर में भी जनवरी 2020 में तीन शावकों को जन्म दिया था। इस तरह से बाघिन पी-234 के कारण ही अकोला बफर बाघों से आबाद हुआ जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। लेकिन दुर्भाग्य से अकोला बफर क्षेत्र की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है जो बेहद चिंताजनक है।
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