Sunday, July 3, 2022

प्रसव पीड़िता को कुर्सी में बैठा कर पार करवाया एक कि.मी का दलदल

  •  पन्ना जिले के सड़क विहीन ददोलपुर गाँव की दर्दभरी कहानी 
  •  विकास का ढिंढोरा पीटने वाले नेताओं को नहीं दिखती हकीकत 

प्रसव पीड़ित महिला को कुर्सी में बिठाकर दलदली रास्ता पार कराते गांव के युवक।  

।। अरुण सिंह ।।  

पन्ना। आजादी के 75 सालों बाद भी यदि किसी प्रसव पीड़ित महिला को कुर्सी में बिठाकर दलदली रास्ता और नाला पार करवाना पड़े, तो विकास के बड़े-बड़े दावों पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है। पन्ना जिले में कई गांव बुनियादी और मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। इन ग्रामों में सड़क, बिजली और पेयजल तक कि सुविधा नहीं है। इन ग्रामों के लोगों को कैसी-कैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, इसकी कल्पना करने से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। ऐसा ही मामला पन्ना जिले के गुनौर विकासखंड और विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत विक्रमपुर के ग्राम ददोलपुर का सामने आया है। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार ददोलपुर निवासी सोहद्रा आदिवासी पति प्रताप सिंह आदिवासी को प्रसव पीड़ा की वजह से अस्पताल ले जाना था। सड़क मार्ग न होने से बारिश के इस मौसम में जननी एक्सप्रेस केवल विक्रमपुर तक पहुंच पाई, जहां से ददोलपुर एक किलोमीटर दूर है। ददोलपुर गांव तक पहुंचने के लिए दलदली रास्ता पार करना पड़ता है। जहां वाहन तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल होता है। 

बारिश के मौसम में ग्रामीणों ऐसे पार करना पड़ता है रास्ता।  

महिला को दर्द बढ़ता ही जा रहा था, ऐसी स्थिति में गांव के युवाओं ने साहस और सूझबूझ का परिचय देते हुए महिला को प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठाकर एक किमी. का दलदल युक्त मार्ग एवं नाला पार करवाकर विक्रमपुर पहुंचाया। जहां से जननी एक्सप्रेस के माध्यम से जिला चिकित्सालय पहुंचाया गया। जिला चिकित्सालय पन्ना में महिला ने शिशु को जन्म दिया और रास्ते की कठिनाइयों व तकलीफ को भूल गई। वापस जाते समय भी यही हाल हुआ फिर कुर्सी में बैठा कर विक्रमपुर से ददोलपुर तक पहुंचना पड़ा। 

स्थानीय युवा राहुल अहिरवार ने बताया कि यहां सड़क और पुल का निर्माण नहीं होने से बारिश के दिनों में आवागमन मुश्किल हो जाता है। नाले का जल बहाव हल्की बारिश में भी काफी तेज हो जाता है, जिसे पार करना खतरे से खाली नहीं होता। स्थानीय लोगों ने अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से अनेकों बार फरियाद की पर किसी के द्वारा ध्यान नहीं दिया गया, जिससे गांव के लोगों को बारिश में इसी तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। 

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