- खरपतवार का प्रकोप रोकने व उत्पादन बढ़ाने में यह विधि कारगर
- मौसम परिवर्तन से पौधों को बचाने मल्चिंग एक बेहतर विकल्प
पन्ना। ड्रिप के साथ मल्चिंग विधि का प्रयोग करके टमाटर, बैगन और मिर्च की खेती बेहतर तरीके से की जा सकती है। किसान भाई यह जानते हैं कि टमाटर, बैगन और मिर्च की खेती में खरपतवार का प्रकोप अधिक देखने को मिलता है, जिससे फसल के उत्पादन पर असर पड़ता है। ऐसे में किसान खेत में ड्रिप के साथ मल्चिंग विधि का प्रयोग कर सकते हैं। इसके अलावा मौसम परिवर्तन से पौधों को बचाने के लिए मल्चिंग एक बेहतर विकल्प है। इस तकनीक से फसल लंबे समय तक सुरक्षित रहती है।
प्लास्टिक के अलावा सूखी घास से भी मल्चिंग कर सकते हैं। टमाटर, बैगन और मिर्च की खेती में मल्चिंग लगाने बावत वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी संजीत सिंह बागरी ने बताया कि किसान इस विधि से खेती कर अपनी फसलों का उत्पादन बढ़ा सकते हैं। मल्चिंग विधि क्या है इसकी जानकारी देते हुए आपने बताया कि इस विधि में रेस बेड को प्लास्टिक शीट से पूरी तरह कवर कर दिया जाता है, जिससे खेत में खरपतवार नहीं होती है। खेत में लगे पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक कवर द्वारा सही तरीके से ढकने को प्लास्टिक मल्चिंग कहते हैं। वहीं बेड पर बिछाई जाने वाली कवर को पलवार या मल्च कहते हैं।
मल्चिंग लगाने का क्या क्या है लाभ
मिट्टी को धूप कम लगती है, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती है। बीज का अंकुरण एवं पौधों की जड़ों का विकास अच्छे से होता है तथा तेज हवाओं एवं बारिश से पौधों का बचाव होता है। बारिश एवं तेज हवा के कारण मिट्टी का कटाव कम होता है। इस विधि का प्रयोग करने से फल जमीन की सतह से सट कर खराब नहीं होते हैं। खरपतवारों के पनपने की संभावना बहुत कम हो जाती है। प्लास्टिक मल्चिंग का प्रयोग करने से फसल के उपज में वृद्धि होती है। बारिश के दौरान पानी की बूंदें मल्चिंग शीट की निचली सतह पर इकठ्ठा होती हैं और पौधों को मिलती है। जिससे सिंचाई के समय पानी की बचत होती है। देसी विधि मे सूखी घास या पत्तो की मल्चिंग करने पर कुछ समय बाद यह सड़ कर खाद बन जाती है, जिससे मिट्टी अधिक उपजाऊ बनती है। इसके प्रयोग से खेत की मिट्टी कठोर नहीं होती है।
टमाटर बैंगन और मिर्च की खेती में मल्चिंग बिछाने का तरीका
सबसे पहले जिस खेत में फसल की खेती करनी है उसकी अच्छे से जुताई कर लें। अब इसमें १०० से १५० क्विंटल गोबर खाद का इस्तेमाल करें। अब खेत में उठी हुई क्यारीयां या मेड़ बना लें। इनके उपर ड्रिप सिंचाई की पाइप लाइन को बिछा दें। अब २५ से ३० माइक्रोन प्लास्टिक मल्च फिल्म को अच्छी तरह बिछाकर, फिल्म के दोनों किनारों को मिट्टी की परत से अच्छी तरह दबा दें। अब फिल्म पर गोलाई में पाइप से पौधों से पौधों की उचित दूरी तय कर छिद्र कर दें। अब इन किए हुए छेदों में बीज या नर्सरी में तैयार पौध का रोपण का कार्य शाम के समय कर के ड्रिप सिंचाई विधि से पानी चला देना चाहिए। यदि लाइट ना हो तो डिब्बों या बाल्टी के माध्यम से प्रत्येक पौधे में सिंचाई अच्छी तरह से करना चाहिए।
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